Durga Puja 2022: रांची में देखने लायक टाप फाइव पूजा पंडाल कौन, जानिए इनकी कलात्मक विशेषताएं
Durga Puja 2022 कोरोना के बाद रांची शहर में दुर्गा पूजा की धूम है। उत्साह सिर चढ़कर बोल रहा है। इस उत्साह को चार चांद लगा रहे दुर्गा पूजा पंडाल। कहने के लिए तो यहां सैकड़ों पंडाल बनाए गए हैं लेकिन कलात्मक नजरिए से पांच पूजा पंडाल जरूर देखना चाहिए।
By M. EkhlaqueEdited By: M EkhlaqueUpdated: Mon, 03 Oct 2022 03:21 PM (IST)
रांची, डिजिटल डेस्क। Durga Puja 2022 झारखंड की राजधानी रांची में यूं तो सैकड़ों पूजा पंडाल बनाए गए हैं। हर पूजा पंडाल की अपनी विशेषताएं भी हैं, लेकिन कुछ पूजा पंडाल ऐसे हैं जो कई मायनों में खास हैं। इन पूजा पंडालों को देखकर आप तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे। इन पूजा पंडालों को बाहर से आए कलाकारों ने कठिन परिश्रम से मूर्त रूप दिया है। इन पंडालों को देखना एक सुखद अनुभूति है। आप इन्हें देखकर नजरें नहीं हटा पाएंगे।
नंबर वन : रांची रेलवे स्टेशन पूजा पंडाल
रांची रेलवे स्टेशन पर कई वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है। हर वर्ष यहां मां दुर्गा की प्रतिमा और पूजा पंडाल कुछ खास किस्म का होता है। इस बार भी यहां कलाकारों ने अद्भुत पूजा पंडाल का निर्माण किया है। यह पूजा पंडाल किसी ऐतिहासिक स्थल या धार्मिक धरोहर की प्रतिकृति नहीं है। कलाकारों की परिकल्पना का परिणाम है। लकड़ी की पटरी, बांस, जूट और सिंथेटिक रूई से यहां पंडाल बनाया गया है। इन सामग्री के अलावा रंग बिरंगी लाइट का संयोजन किया गया है।
पूजा पंडाल में जैसे ही प्रवेश करेंगे बहुत कम रोशनी के बीच आपको किसी गुफा में होने का एहसास होगा। आसमान में उड़ते रूई रूपी बादल आपका मन मोह लेंगे। बांस की पटरियों पर मामूली लकड़ियों से बनाए गए जीव जंतुओं को देखकर आप कलाकारों की परिकल्पना को सराहे बिना नहीं रह पाएंगे। सांप, बिच्छू, मकड़ी, गोंजर, चिड़िया, पेड़ यानी पूरी कायनात यहां पर नजर आएगी।
कलाकारों ने जिस तरह से मामूली लकड़ियों का प्रयोग कर इन चीजों को बनाया है, वह हैरान कर देने वाला है। पतले पतले बांस के कइन से तैयार पंडाल में प्रवेश करने के बाद आपको देवी दुर्गा का विशाल पंडाल नजर आएगा। यह पटरियों से बनाया गया है। इसी पंडाल के भीतर मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा विरजमान है।
कलात्मक नजरिए से देखा जाए तो यह पूजा पंडाल नंबर वन स्थान रखता है। यह पूजा पंडाल पूरी तरह से इको फ्रेंडली भी है। ऐसा कुछ भी इस्तेमाल नहीं किया गया है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो।नंबर टू : इस्कान मंदिर बकरी बाजार रांची रांची शहर के बकरी बाजार स्थित पूजा पंडाल इस्कान मंदिर की प्रतिकृति है। तीन विशाल गुंबद वाले इस मंदिर को दूर से देखने पर आपको इस्कान मंदिर देखने जैसी अनुभूति होगी। मंदिर की दीवारों पर नृत्य मुद्रा में भगवान कृष्ण की प्रतिमाएं विरजमान हैं। गोपियों के सरोवर स्नान का प्रसंग भी नजर आएगा।
मंदिर के विशाल प्रवेश द्वार में प्रवेश करने के पश्चात जब आप अंदर प्रवेश करते हैं तो भगवान गणेश, माता दुर्गा व अन्य देवियों का दर्शन होगा। गुंबद के भीतरी दीवारों पर भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े कई प्रसंगों को दर्शाया गया है। इसके अलावा भीतरी दीवारों पर भी आप श्रीकृष्ण संबंधित प्रसंगों को देख सकते हैं। यह पंडाल बाहर से आए कलाकारों ने थर्मोकोल व लकड़ी की पटरी से से तैयार किया है। इसका रंग-रोगन इतना बेहतरीन है कि मन माेह लेगा। रात के समय दुधिया रोशनी में यह पूजा पंडाल इस तरह आकर्षक नजर आता है कि लोग इसकी तस्वीर खींचे बिना नहीं रह पाते हैं। यही वजह है कि यहां भारी भीड़ उमड़ रही है।
पंडाल के बाहर इस्कान मंदिर की तरह कृष्ण धुन पर थिरकते सैकड़ों लोग नजर आएंगे। इसके लिए यहां एक विशेष टीम कृष्ण धुन पर नृत्य करती नजर आएगी।नंबर थ्री : रांची मेन रोड स्थित पूजा पंडालरांची मेन रोड में अलबर्ट एक्का चौक के पास चंद्रशेखर आजाद दुर्गा पूजा समिति की ओर से भी शानदार पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है। यह पूजा पंडाल भी देखने लायक है। यह पहली नजर में किसी प्राचीन मंदिर की प्रतिकृति प्रतीत होता है। सड़क किनारे से ही इसका अवलोक किया जा सकता है।
बांस, जूट, लकड़ी, कपड़ा आदि से यहां कलाकारों ने मंदिर के बाहरी दीवारों पर आदिम सभ्यता को उकेरने का प्रयास किया है। पहली नजर में ही यहां आदिम जनजाति की झलक आपको मिलेगी। बांस की पलती लकड़ी से यहां पंडाल के प्रवेश द्वार पर ही विशाल मछली की प्रतिकृति बनाई गई है। इस पंडाल पर सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल किया गया है। इससे यह और अधिक निखरकर नजर आता है। इस पंडाल को भी बाहर के कलाकारों ने बनाया है। यह पूजा पंडाल एक तरह से तीसरा स्थान रखता है।
नंबर फोर : मार्तंड सूर्य मंदिर व लाल चौकरांची के कोतवाली थाना के पास हाईस्कूल के प्रांगण में बनाया गया पूजा पंडाल भी अन्य पंडालों को मात दे रहा है। यहां तीन चीजें आप देख सकते हैं। यह तीनों चीजें देश के धरोहरों की प्रतिकृति हैं। पंडाल में जैसे ही प्रवेश करेंगे आपको जम्मू कश्मीर का ऐतिहासिक लाल चौक नजर आएगा। पहल नजर में ही इसे आप पहचान जाएंगे कि लाल चौक है।
इसे बाद आपको प्रांगण में जम्मू कश्मीर का डल झील नजर आएगा। पहाड़ों से घिरे इस डल झील में नौकायन करते पर्यटक नजर आएंगे। इसके बाद आप यहां मार्तंड सूर्य मंदिर अनंतनाग का दर्शन कर सकते हैं। कलाकारों ने इसे थर्मोकोल से तैयार किया है। थर्मोकोल से तैयार बड़े बड़े चट्टानों से इस मंदिर को ऐसा बनाया गया है कि यह वास्तविक मंदिर नजर आता है। इसकी दीवरों को इस तरह ब्लैक रंग दिया गया है कि इसकी प्राचीनता उभरकर सामने आती है। यह पूजा पंडाल कलात्मक नजरिए से चौथा स्थान प्राप्त कर सकता है।
नंबर फाइव : जूट की लकड़ी से बना पंडाल रांची मेन रोड में बकरी बाजार जाने के लिए जिस गली में आप प्रवेश करते हैं वहां भी एक शानदार पूजा पंडाल बनाया गया है। कलाकारों ने इस पूजा पंडाल को जूट और जूट की लकड़ी से तैयार किया है। यह बेहद कलात्मक पंडाल है। पंडाल के बाहर महिलाओं की कुछ कलात्मक प्रतिमाएं रखी गई हैं।
यह आपको अपनी ओर आकर्षित करती नजर आएंगी। जूट कर लकड़ी बेहद नाजुक होती है, लेकिन कलाकाराें ने इसी के सहारे बेहद कुशलता से विशाल पूजा पंडाल बना दिया है। इसकी शालीनता ही इसकी खासियत भी है। आप इसे नजदीक से देखेंगे तो आपको इसकी बारीकी नजर आएगी।
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