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Hemant Soren: 'पुलिस जांच पर भरोसा नहीं...', अब ED ने हेमंत सोरेन के खिलाफ दाखिल की याचिका, ये है पूरा मामला

हेमंत सोरेन की ओर से ईडी के अधिकारियों के खिलाफ एससी-एसटी के मामला की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है। उक्त याचिका ईडी के अधिकारियों की ओर से दाखिल की गई है। जिसमें कहा गया है कि उन्हें पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 05 Apr 2024 03:11 PM (IST)
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झारखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, रांची। हेमंत सोरेन की ओर से ईडी के अधिकारियों के खिलाफ एससी-एसटी के मामला की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है। उक्त याचिका ईडी के अधिकारियों की ओर से दाखिल की गई है। जिसमें कहा गया है कि उन्हें पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के अधिकारी कपिल राज, देवव्रत झा सहित चार अन्य के खिलाफ एससी-एसटी का मामला दर्ज कराया है।

गौरतलब है कि हेमंत सोरेन ने रांची के एससी-एसटी थाने में ईडी के अधिकारी कपिल राज, देवब्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल व अन्य अज्ञात के विरुद्ध 31 जनवरी को एससी-एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। ये सभी अधिकारी ईडी के जोनल कार्यालय रांची से संबंधित हैं।

ईडी के अधिकारियों पर हेमंत के लगाए गए आरोप

  • हेमंत सोरेन ने कहा था कि ईडी के अधिकारियों ने उन्हें 29 से 31 जनवरी तक रांची में रहने के लिए कहा था।
  • इसी दरमियान उनके दिल्ली स्थित आवास पर उनकी अनुपस्थिति में बिना किसी पूर्व सूचना के छापामारी की गई।
  • पूर्व मुख्‍यमंत्री ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह अनुसूचित जनजाति से आते हैं, लेकिन ईडी के उक्त अधिकारियों में से एक भी अधिकारी एससी-एसटी अधिनियम से संबंधित नहीं था।
  • हेमंत सोरेन का आरोप है कि केंद्रीय जांच एजेंसी के इस झूठे, बनावटी कृत्य से वह मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित हुए हैं। वह आहत हैं।
  • उन्‍होंने आरोप लगाया ईडी ने मीडिया में भ्रम फैलाने का काम किया है। उन्हें जनता के बीच बदनाम करने की कोशिश की गई है।

क्‍या है एससी/एसटी अधिनियम

आम भाषा में समझे तो एससी-एसटी एक्ट या हरिजन एक्ट उस व्यक्ति पर लगता है, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से नहीं, बल्कि किसी अन्य वर्ग से संबंध रखता है।

अगर इस व्‍यक्ति के द्वारा SC/ST वर्ग के लोगों पर अत्याचार किया जाता है या उनका किसी तरह से अपमान किया जाता है, तो उसके खिलाफ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत उक्‍त व्‍यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाती है।

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