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Jharkhand News: चुनाव से पहले रांची में ED की ताबड़तोड़ छापामारी, IAS विनय चौबे समेत 15 ठिकानों पर बोला धावा

झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने रांची में आईएएस अधिकारी विनय चौबे के ठिकाने समेत 17 जगहों पर छापामारी की है। प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार सुबह को झारखंड के वरिष्ठ आईएएस विनय चौबे उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह समेत अन्य के करीबी रिश्तेदारों और संबंधित अधिकारियों के चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के ठिकानों पर छापामारी की है।

By Dilip Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Tue, 29 Oct 2024 11:32 AM (IST)
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रांची में ईडी का ताबड़तोड़ एक्शन (जागरण)
जागरण संवाददाता, रांची। Jharkhand News: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने रांची में ताबड़तोड़ छापामारी की है। ईडी ने शराब घोटाले मामले में आईएएस अधिकारी विनय चौबे के ठिकाने समेत 15 जगहों पर छापामारी की है।  वरिष्ठ  वरिष्ठ आईएएस विनय चौबे के अलावा उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह और संबंधित अधिकारियों के चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के ठिकानों पर छापामारी की गई है। 

शराब घोटाले का छत्तीसगढ़ कनेक्शन आया था सामने

बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा EOW ने पहले ही इस मामले में उत्पाद विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की थी।

रांची के विकास कुमार ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था। जिसके बाद रायपुर में प्राथमिकी दर्ज हुई। आवेदन में कहा गया था कि शराब घोटाले की पूरी साजिश रायपुर में ही रची गई थी और आबकारी नीति में फेरबदल कराया गया।

इनके खिलाफ दर्ज है प्राथमिकी

रायपुर में दर्ज प्राथमिकी में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग छत्तीसगढ़ के तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ राज्य मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर के बैरन बाजार निवासी अनवर ढेबर, भिलाई निवासी अरविंद सिंह, मेसर्स सुमित फैसेलिटीज के संचालक, प्रिज्म होलोग्राफी और सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड नोएडा के विधु गुप्ता, झारखंड उत्पाद एवं मध्य निषेध विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे, झारखंड राज्य बेवरेजेस कॉरपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक, संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह तथा अन्य अधिकारी के अलावा मैनपॉवर सप्लाई करने वाली तथा शराब सप्लाई करने वाली एजेंसियां।

प्राथमिकी में लगाए गए थे गंभीर आरोप

रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह ने रायपुर के आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत की थी। उनका आरोप था कि अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी व उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश पूर्वक झारखंड की आबकारी नीति में फेर बदलकर वहां देसी व विदेशी शराब का ठेका सिंडिकेट के लोगों को दिलवाकर धोखाधड़ी की है और झारखंड सरकार को करोड़ों की क्षति पहुंचाई है।

सिंडिकेट ने झारखंड में बेहिसाब नकली होलोग्राम लगी देसी शराब की बिक्री कर तथा विदेशी शराब की सप्लाई का काम दिलवाकर उन कंपनियों से करोड़ों रुपये का अवैध कमीशन प्राप्त किया है। अनिल टुटेजा व उनके सिंडिकेट ने झारखंड में अवैध शराब व्यवसाय के इरादे से जनवरी 2022 में अनवर ढेबर व अरुणपति त्रिपाठी ने झारखंड के तत्कालीन आबकारी सचिव व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मिलीभगत की।

उनके साथ मिलकर ठेकेदारी प्रथा के स्थान पर छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के माध्यम से झारखंड में देसी-विदेशी शराब की बिक्री का प्लान तैयार किया। रायपुर में बैठक हुई। इसके बाद झारखंड में 31 मार्च 2022 को नई उत्पाद नीति लागू हुई।

इसके लिए अरुणपति त्रिपाठी ने झारखंड सरकार से 1.25 करोड़ रुपये भी प्राप्त किया। राज्य में नई उत्पादन नीति लागू हुई। करीब दो वर्षों तक झारखंड उत्पाद नीति में छतीसगढ़ की एजेंसियां कार्यरत रहीं। नकली होलोग्राम, अवैध शराब की सप्लाई कर राज्य सरकार को करोड़ो के राजस्व की क्षति पहुंचाई गई।

 क्या है नकली होलोग्राम के पीछे की कहानी?

आरोप है कि छत्तीसगढ़ में नकली होलोग्राम लगाकर पूरे राज्य में शराब की सप्लाई की गई थी। उसी तरह से झारखंड में भी नकली होलोग्राम लगाकर शराब की सप्लाई की बात कही गई है। आरोप है कि नकली होलोग्राम पर लगातार शराब बेची गई है। इसका हिसाब भी नहीं है।

प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को शराब की बोतलों में होलोग्राम छापने का काम मिला था। इसी तरह मेसर्स सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड को मैन पावर सप्लाई की जिम्मेदारी मिली थी। तीनों ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपित भी हैं। इनके विरुद्ध जांच के क्रम में झारखंड का कनेक्शन जुड़ा था। झारखंड में इन तीनों ही कंपनियों पर कार्रवाई हो चुकी है।

मेसर्स प्रिज्म पर होलोग्राम छापने पर रोक लगा दी गई थी और उसे ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया था। दूसरी कंपनी मेसर्स सुमित फैसिलिटीज को राजस्व पूरा नहीं कर पाने की वजह से कंपनी की बैंक गारंटी को जब्त कर लिया गया था।

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