मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने भेजा तीसरा समन, क्या होगा अगर इस बार भी नहीं उपस्थित हुए तो ?
Ranchi Land Scam रांची जमीन घोटाला मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने तीसरी बार समन भेजा है। हालांकि ईडी की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं की गई है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अपने एक ट्वीट के जरिए इस ओर इशारा किया है। ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए 9 सितंबर को बुलाया है।
जासं, रांची। Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तीसरी बार समन भेजा है। रांची में जमीन घोटाला मामले में अब उनसे 9 सितंबर को पूछताछ होगी। हालांकि, ईडी की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर इस ओर इशारा किया है।
चाय 9 सितंबर?
ईडी को सीएम सोरेन की चुनौती
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री को यह तीसरा समन है, जिसके माध्यम से हेमंत सोरेन को 9 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
पहले उन्हें 14 अगस्त, दूसरी बार 24 अगस्त को बुलाया गया था। ईडी को उन्होंने पत्र के माध्यम से जानकारी दी थी कि वह ईडी के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए हैं।
कोर्ट के आदेश के बाद ही वह कोई कदम उठाएंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से अब तक कोई डेट नहीं मिला है और न ही ईडी को कोर्ट का कोई नोटिस गया है।
ईडी ने भी उनकी याचिका के खिलाफ कैविएट फाइल कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट का नोटिस नहीं मिलने के चलते ही ईडी ने तीसरा समन भेजा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के समन को असंवैधानिक एवं दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए इसे वापस लेने को कहा था। उन्होंंने कहा था कि उन्हें इस बात पर बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है कि ईडी ने उन्हें समन भेजा है। उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई इसलिए की जा रही है क्योंकि वह केंद्र की सत्ता पर काबिज दल के साथ जुड़े हुए नहीं हैं।
अब इसमें आगे क्या?
अगर तीसरे समन पर भी मुख्यमंत्री नहीं जाते हैं तो उन्हें चौथा, पांचवां समन भी ईडी कर सकती है। ईडी को यह भी अधिकार है कि तीसरे समन पर हाजिर नहीं होने पर मुख्यमंत्री के खिलाफ कोर्ट जा सकती है।
ईडी कोर्ट को यह बताएगी कि मुख्यमंत्री जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। फिर कोर्ट से जमानतीय वारंट, उसके बाद भी उपस्थित नहीं होने पर गैर जमानती वारंट भी निकलवा सकती है।
इसके बाद भी हाजिर नहीं होने पर कुर्की जब्ती आदि की कार्रवाई तक का अधिकार है। वर्तमान में दाहू यादव के केस में ईडी यह प्रक्रिया अपना चुकी है।