Hemant Soren: ED ने जमीन घोटाले के साक्ष्य राज्य सरकार से किए साझा, हेमंत सोरेन व अन्य के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की
ईडी ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व अन्य के खिलाफ जमीन घोटाला मामले में मिले साक्ष्य झारखंड सरकार से साझा किए और उचित कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में ईडी ने मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। ईडी ने बताया है कि जमीन घोटाला मामले में दर्ज केस में सरकारी अधिकारियों व जमीन को लेकर दलालों के गठजोड़ का भंडाफोड़ हुआ था।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व अन्य के विरुद्ध जमीन घोटाला मामले में मिले साक्ष्य को ईडी ने झारखंड सरकार से साझा करते हुए उचित कार्रवाई की अनुशंसा की है। ईडी ने मुख्य सचिव को पत्र भेजा है।
इस पत्र में 30 मार्च 2024 को ईडी की विशेष अदालत में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बड़गाईं अंचल के तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, हेमंत सोरेन के करीबी विनोद सिंह, विवादित जमीन के मालिक राज कुमार पाहन व एक अन्य सहयोगी हिलेरियस कच्छप के विरुद्ध दाखिल चार्जशीट से उन्हें अवगत कराया गया है।
ईडी ने ये बताया
ईडी ने बताया है कि जमीन घोटाला मामले में चार मई 2023 को दर्ज केस में अनुसंधान के क्रम में सरकारी अधिकारियों व जमीन दलालों के गठजोड़ का भंडाफोड़ हुआ था, जिसके आधार पर रांची के सदर थाने में एक जून 2023 को बड़गाईं अंचल के तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के विरुद्ध प्राथमिकी हुई थी।इस केस के आधार पर ईडी ने 26 जून को दूसरा केस दर्ज किया था। अनुसंधान के क्रम में ईडी ने पाया कि आरोपित भानु प्रताप कुछ अन्य लोगों के साथ इस अवैध गतिविधि में संलिप्त है। इन लोगों में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व अन्य शामिल हैं।
ईडी ने छह मार्च को की थी छापेमारी
भानु प्रताप की मदद से हेमंत सोरेन ने बड़गाईं अंचल अंतर्गत लालू खटाल के समीप शांति नगर में 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया। अनुसंधान के क्रम में ईडी ने छह मार्च 2024 को छापेमारी की, जिसमें एक भूरे रंग की फाइल मिली, जिसपर सीएमओ पिंटू अर्जेंट लिखा हुआ था।इस फाइल में 44 पन्ने थे, जिसकी संबद्धता 8.86 एकड़ जमीन से थी और इस पर सीएम बड़गाईं, भुईंहरी लिखा हुआ था। ईडी ने उक्त जमीन को अस्थायी रूप से जब्त किया है। ईडी ने राज्य सरकार को लिखा है कि उक्त जब्त संपत्ति पर किसी तरह की लेन-देन, खरीद-बिक्री की प्रक्रिया न हो और इसके लिए संबंधित विभाग को अवगत कराएं।
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