Move to Jagran APP

हजारीबाग में मां की अर्थी को आठ बेटियों ने दिया कंधा, किया अंतिम संस्कार Hazaribagh News

Hazaribagh Jharkhand News रविवार देर रात 55 वर्षीय कुंती देवी का निधन हो गया था। बेटी अजंती देवी ने कहा कि मेरे भाई नहीं हैं तो क्या हुआ। हम सभी बहनें मिलकर अपनी मां का अंतिम संस्कार करेंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Tue, 25 May 2021 01:08 PM (IST)
Hero Image
Hazaribagh Jharkhand News मां की अर्थी को कंधा देतीं बेटियां। जागरण
टाटीझरिया (हजारीबाग), [मिथिलेश पाठक]। कहावत है कि बुरे वक्त में बेटा और समाज साथ छोड़ देता है, तो उस विषम परिस्थिति में भी हमेशा मां-बाप के साथ बेटियां खड़ी मिलती हैं। यह कई मौके पर चरितार्थ भी हुआ है। हजारीबाग के टाटीझरिया के खंभवा में तो बेटियों ने एक अलग ही उदाहरण समाज के सामने पेश किया है। यहां इस परिवार को समाज ने बहिष्कृत कर दिया है, इसके बावजूद बेटियों ने पूरे विधि विधान से अपनी मां का अंतिम संस्कार ही नहीं किया बल्कि समाज को बड़ा संदेश भी दिया। दरअसल सोमवार को प्रखंड के खंभवा गांव में 55 वर्षीय कुंती देवी पति कमल भुइयां का निधन हो गया।

निधन हो जाने के बाद समाज ने उसके किसी भी कार्य में साथ देने से इन्‍कार कर दिया। इसके बाद बेटियों ने न केवल कुंती देवी की अंतिम यात्रा में घर से लेकर श्मशान तक अर्थी को कंधा दिया बल्कि पूरे रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार भी किया। सारा कार्य मृतका की आठ बेटी और उसके मताहतों ने किया। ज्ञात हो कि कुंती की केवल आठ बेटियां हैं। सात की शादी हो चुकी है और एक कुंवारी है। सोमवार को जब बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक रोते-बिलखते पहुंचाई, तो सबका ह्दय भाव विभोर हो गया।

अर्थी को कंधा देने वाली बेटी अजंती देवी ने कहा कि मेरे भाई नहीं हैं तो क्या हुआ, हम सभी बहनें मिलकर इसका अंतिम संस्कार करेंगे। कंधा देनेवालों में अजंती, रेखा देवी, केई, बाबुन कुमारी, केतकी कुमारी, भोली कुमारी प्रमुख आदि प्रमुख हैं। वहीं कुंती के निधन पर सामाजिक लोगों ने भी सहयोग किया और उनके घर जाकर शोक व्यक्त किया। शोक व्यक्त करने वालों में उदेश्वर सिंह, विनय सिंह, एम के पाठक, ब्रजकिशोर सिंह आदि हैं।

विवाद के कारण समाज से कुंती का परिवार किया जा चुका है बहिष्कृत

चार वर्षों से बीमार कुंती का इलाज घर में ही चल रहा था। वह उठने-बैठने में असमर्थ थी। पति मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पेट पाल रहा है। इस दौरान कुछ वर्ष पूर्व कमल भुईंया को समाज व गांव से बहिष्कृत कर दिया गया। किसी विवाद या सामाजिक कार्यों में कमल द्वारा हिस्सा नहीं लेने के कारण यह निर्णय लेने की बात कही जाती है। बहिष्कृत होने के कारण सोमवार को कुंती के निधन पर न तो लोग उनके घर गए और न ही दाह संस्कार में शामिल हुए। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने नियम के लिए नाई को भी शामिल होने नहीं दिया।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।