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Jharkhand News: मुठभेड़ स्थल से सुरक्षा बलों के हाथ लगा लैपटॉप और कई सामान, खुलेंगे नक्सलियों के राज!

पश्चिमी सिंहभूम जिले के घोर नक्सल प्रभावित कोल्हान और सारंडा के बीहड़ जंगलों में बीते बुधवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ के बाद से सर्च अभियान चलाया गया। इस अभियान में सुरक्षाबलों को छोटानागरा थानान्तर्गत ग्राम दोलाईगढ़ा के आस-पास जंगली पहाड़ी क्षेत्रों से रायफल डेटोनेटर समेत चार्जर और लैपटाप व कई तरह की सामग्रियां भी हाथ लगी हैं।

By Jagran News Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Fri, 19 Jul 2024 12:03 PM (IST)
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सर्च अभियान में सुरक्षाबलों के हाथ लगा सामान
जागरण संवाददाता, चाईबासा। भाकपा माओवादी संगठन के उग्रवादियों व सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ के बाद पश्चिमी सिंहभूम जिले के घोर नक्सल प्रभावित कोल्हान और सारंडा के बीहड़ जंगलों में अभियान चलाया गया।

इस दौरान सुरक्षाबलों को छोटानागरा थानान्तर्गत ग्राम दोलाईगढ़ा के आस-पास जंगली पहाड़ी क्षेत्र में रायफल, डेटोनेटर समेत अन्य सामग्रियों के साथ-साथ चार्जर और लैपटॉप भी मिला है। पुलिस अधिकारी इन लैपटॉप की जांच कर रहे हैं।

तकनीकी सेल में भेजे गए लैपटॉप

तकनीकी सेल को इन्हे भेजा जा रहा है ताकि इनकी मदद से नक्सलियों के बारे में कोई अहम सुराग हाथ लग सके। पुलिस को आशंका है कि शीर्ष नक्सली नेता इस लैपटॉप का प्रयोग कर नक्सली साहित्य व अन्य जानकारियां जुटाते थे।

पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में है कि यह लैपटॉप कौन सा नक्सली उपयोग कर रहा था। पुलिस के लिये दोलाईगढ़ा की मुठभेड़ बड़ी सफलता मानी जा रही है।

नक्सलियों की शरणस्थली रहा है दोलाईगढ़ा गांव

बताया जा रहा है कि सारंडा के छोटानागरा स्थित दोलाईगढ़ा व आसपास का जंगल 2003-04 से ही भाकपा माओवादी नक्सलियों का शरणस्थली रहा है। दोलाईगढ़ा घने जंगलों व ऊंची- नीची पहाड़ियों में स्थित है। यहां की भौगोलिक स्थिति नक्सलियों को हमेशा छुपने में मददगार रही है।

यहां जंगल को काटकर बाहर से आये लगभग 20-22 परिवार वर्षों से निवास करते हैं। दोलाईगढ़ा के नजदीक के गांवों में होलोंगउली, बालिबा, उसरुईया, कोलाईबुरु, मारंगपोंगा , हतनाबुरु, थोलकोबाद है।

यह सभी गांव अत्यंत नक्सल प्रभावित तथा 25 लाख रुपये का इनामी कुख्यात नक्सली लालचंद हेम्ब्रम उर्फ अनमोल दा उर्फ समर दा उर्फ सुशांत के प्रभाव वाले गांव हैं।

तिरिलपोशी में सुरक्षाबलों का स्थायी कैम्प बनने से मिल रहा लाभ

नक्सली सारंडा से कोल्हान जंगल में भागने के बावजूद हमेशा सारंडा के इसी जंगल में आकर लंबे दिनों तक शरण लेते रहते थे। नक्सलियों की सारंडा स्थित इस सुरक्षित जोन को खत्म करने के लिए ही पुलिस ने बालिबा व कोलाईबुरु गांव के बीच जंगल में तथा तिरिलपोशी में एक स्थायी कैंप कुछ माह पूर्व स्थापित किया था।

इसका लाभ भी पुलिस को मिलने लगा है। कैंप स्थापित होने के बाद दो बार इस क्षेत्र में नक्सलियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हो चुकी है। पिछले दिनों लिपुंगा में पुलिस के साथ मुठभेड़ में पांच नक्सली मारे गये तथा दो पकड़े गये थे।

इसमें से कांडे होनहागा थोलकोबाद के दिवेन्द्री टोला तथा महिला नक्सली सपनी हांसदा तथा गिरफ्तार उसका पति पांडू हांसदा हतनाबुरु गांव का निवासी था।

संभावना जताई जा रही है कि दोनों मृतक नक्सली के परिवार के सदस्यों के साथ यह दस्ता मिलने वाला था। यह टीम कुछ दिन पूर्व ही होंजोरदिरी गांव क्षेत्र के रास्ते वहां पहुंची थी।

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