Jharkhand High Court झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है कि मनी लांड्रिंग करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों एवं अन्य आरोपितों के खिलाफ झारखंड सरकार को साक्ष्य एवं सूचना मिलने के बाद भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। सेवानिवृत्त आइपीएस अरुण कुमार उरांव ने अपने अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा के माध्यम से यह याचिका दाखिल की है।
राज्य ब्यूरो, रांची। सरकार को साक्ष्यों के साथ मनी लांड्रिंग के आरोपितों की जानकारी देने के बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने पर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। सेवानिवृत्त आइपीएस अरुण कुमार उरांव ने अपने अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा के माध्यम से यह याचिका दाखिल की है।
याचिका में कहा गया है कि प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के सेक्शन 66 (2) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) राज्य सरकार को आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य एवं सूचना उपलब्ध कराती है, ताकि राज्य सरकार कार्रवाई करे, लेकिन सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
सूचना मिलने के बाद भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं
मनी लांड्रिंग करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों एवं अन्य आरोपितों के खिलाफ झारखंड सरकार को साक्ष्य एवं सूचना मिलने के बाद भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। राजीव अरुण एक्का, प्रेम प्रकाश आदि आरोपितों के खिलाफ सरकार कार्रवाई से बच रही है।
ईडी के साक्ष्य एवं सूचनाओं के बाद भी आरोपितों की फाइल सरकार के अधिकारी दबा कर बैठ जाते हैं।
प्रार्थी ने बताया है कि निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम की 36 फर्जी सेल डीड पकड़ी गई। उनकी कई संपत्तियों को ईडी ने अटैच किया। इसके बाद भी पीसी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
याचिका में कहा गया है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रार्थी ने राज्य के मुख्य सचिव के पास 11 अक्टूबर 2023 को अभ्यावेदन दिया था, लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके बाद उन्होंने जनहित याचिका दाखिल की है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।