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हर साल हजारों स्टूडेंट्स गांवों में जाकर करेंगे इंटर्नशिप, झारखंड सरकार की घोषणा

Jharkhand News झारखंड में जल्द ही ग्रास रूट इनोवेशन इंटर्नशिप प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। इसका लाभ हर साल 17380 विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। इस बात का एलान शिक्षा विभाग के मंत्री चंपई सोरेन ने किया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थी गांवों में जाकर इंटर्नशिप करेंगे। विद्यार्थी वहां जाकर परंपरागत ज्ञान और ग्रामीणों के आइडिया का डॉक्यूमेंटेशन करेंगे।

By Neeraj Ambastha Edited By: Shashank Shekhar Updated: Thu, 25 Jul 2024 09:40 PM (IST)
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ग्रास रूट इनोवेशन इंटर्नशिप प्रोग्राम जल्द होगा शुरू। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। पूर्व मुख्यमंत्री सह उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि राज्य के विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थी गांवों में जाकर इंटर्नशिप करेंगे। वे वहां न केवल परंपरागत ज्ञान और ग्रामीणों के आइडिया का डॉक्यूमेंटेशन करेंगे, बल्कि उन्हें स्टार्टअप के लिए सहयोग प्रदान करेंगे। इसके लिए जल्द ही ग्रास रूट इनोवेशन इंटर्नशिप प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष 17,380 विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

मंत्री गुरुवार को विभाग द्वारा विश्वविद्यालयों में किए जा रहे डिजिटल इनिशियेटिव पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

छात्रवृत्ति, शोध के क्षेत्र में कई योजनाएं शुरू- चंपई सोरेन

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा में बदलाव और डिजिटलाइजेशन की ओर तेजी से बढ़ रही है। छात्रवृत्ति, शोध आदि के क्षेत्र में कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं। कोई भी मेधावी छात्र-छात्रा उच्च शिक्षा से वंचित न हो, इसके लिए गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई है, जिसमें मात्र चार प्रतिशत ब्याज की दर पर 15 लाख तक शिक्षा ऋण का प्रविधान है।

उन्होंने कहा कि पीएचडी और शोध के लिए मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना तथा इंजीनियरिंग एवं डिप्लोमा छात्रों के लिए मानकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई है। अब सामान्य स्नातक के अप्रेंटिसशिप के लिए प्रतिमाह 12 हजार रुपये स्टाइपेंड की योजना शुरू की गई है।

विद्यार्थियों को ऑनलाइन सुविधा देने को लेकर नई पहल

इससे पहले कॉलेजों में खोले गए प्रज्ञा केंद्रों (कॉमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में ऑनलाइन सुविधाएं प्रदान करने के लिए राज्य सरकार, सीएससी एसपीवी तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों के बीच त्रिपक्षीय करार हुआ।

राज्य राज्य सरकार की ओर से उच्च शिक्षा निदेशक रामनिवास यादव, सीएससी एसपीवी की ओर से इसके प्रबंधन निदेशक संजय कुमार राकेश तथा विश्वविद्यालयों की ओर से कुल सचिवों ने हस्ताक्षर किए। इसके तहत विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के विद्यार्थी प्रज्ञा केंद्रों के माध्यम से ऑनलाइन शैक्षणिक सामग्री प्राप्त कर सकेंगे।

300 से अधिक कॉलेजों में CSC की स्थापना

इतना ही नहीं, उन्हें इसके माध्यम से दूसरे कॉलेजों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों के व्याख्यान का लाभ भी ऑनलाइन मिल सकेगा। इसके लिए राज्य के तीन सौ से अधिक कॉलेजों में प्रज्ञा केंद्र (कॉमन सर्विस सेंटर) की स्थापना की गई है। इन केंद्रों के माध्यम से विद्यार्थी नामांकन से लेकर परीक्षा के फॉर्म भी ऑनलाइन भर सकेंगे एवं कॉलेज से संबंधित अन्य सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे।

इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा निदेशक सुनील कुमार, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. तपन कुमार शांडिल्य, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, कालेजों के प्राचार्य तथा प्रज्ञा केंद्र संचालक आदि उपस्थित थे।

विश्वविद्यालयों को बनना होगा आत्मनिर्भर- पुरवार

उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल पुरवार ने कहा कि उच्च शिक्षा में विकास के लिएएक्सेस, क्वालिटी और सस्टेनबिलिटी तीनों पर काम करना हाेगा। इसमें डिजिटलाइजेशन महत्पूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को सरकार पर निर्भरता खत्म कर आत्मनिर्भर बनना होगा।

उन्होंने कहा कि शिक्षकों के वेतन निर्धारण की प्रक्रिया भी पूरी तरह आनलाइन की जा रही है। दिव्यांग एवं अनाथ विद्यार्थियों की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार ने चुकाने का निर्णय लिया है। उन्हें छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अब सभी नेट उत्तीर्ण विद्यार्थियों को 25 हजार रुपये छात्रवृत्ति के रूप में दी जाएगी।

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