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Fake Doctor: झारखंड के इस जिले में है फर्जी डॉक्टरों का रुतबा... एजेंटों के माध्यम से प्रशासन के नाक के नीचे मरीजों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़

Fake Doctor बिना डिग्री या फर्जी डिग्रीधारियों द्वारा संचालित अस्पताल में हड्डी रोग के मरीजों की भीड़ लगी रहती है। लोगों की मानें तो ऐसे अस्पतालों के संचालक सरकारी अस्पतालों में अपने एजेंट रखे हैं। वे ही सरकारी अस्पतालों से मरीजों को इन कथित हड्डी रोग विशेषज्ञों तक पहुंचा देते।

By Madhukar KumarEdited By: Updated: Tue, 22 Mar 2022 05:36 PM (IST)
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Fake Doctor: पुलिस की नाक के नीचे चल रहा है फर्जी क्लीनिक

गढ़वा, जासं। जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सदर अस्पताल तक हड्डी रोग के मरीजों का इलाज की व्यवस्था भले ही नहीं हो, लेकिन जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों व हाट बाजारों में नीम हकीमों द्वारा संचालित हड्डी रोग के प्राइवेट क्लिनिक व अस्पतालों की भरमार है। सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था का फायदा प्राइवेट अस्पतालों के संचालक उठा रहे हैं। इन प्राइवेट अस्पतालों के चंगुल में फंसकर मरीजों का मर्ज ठीक हो या न हो, लेकिन भरपूर आर्थिक दोहन जरुर हो रहा है। ऐसे क्लिनिक व अस्पतालों में रेडिएशन से बचाव को लेकर गाइडलाइंस का खुल्ल्मखुला उल्लंघन कर एक्सरे भी किया जा रहा है। जबकि बाहर लगे साइन बोर्ड पर कथित डाक्टरों के लिखे नाम मरीजों को सहज ही आकर्षित कर लेते हैं।

एजेंट के माध्यम से चलता है चिकित्सा का गोरखधंधा

बिना डिग्री या फर्जी डिग्रीधारियों द्वारा संचालित अस्पताल में हड्डी रोग के मरीजों की भीड़ लगी रहती है। लोगों की मानें तो ऐसे अस्पतालों के संचालक सरकारी अस्पतालों में अपने एजेंट रखे हैं। वे ही सरकारी अस्पतालों से मरीजों को इन कथित हड्डी रोग विशेषज्ञों तक पहुंचा देते हैं। इसके एवज में एजेंटों को अच्छा कमीशन मिल जाता है। जबकि निजी अस्पतालों के संचालक शुरुआत में कम रकम में इलाज कर देने की बात कहकर बाद में मरीजों से कई बार एक्सरे कराने, दवा व अन्य तरह से आर्थिक दोहन कर लेते हैं। भले ही बीमारी ठीक हो या न हो।

जिले में फर्जी चिकित्सकों के क्लिनिकों की भरमार

फर्जी चिकित्सकों द्वारा संचालित निजी क्लिनिकों की बात करें तो जिला मुख्यालय में ही सदर अस्पताल से सटे हड्डी क्लिनिक का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है। चिकित्सक बिना डिग्री का है, लेकिन कोई जांच नहीं होती है। बेखौफ धंधा फल-फूल रहा है। इसी तरह मझिआंव प्रखंड मुख्यालय में राधाकृष्ण मंदिर के आसपास संचालित वरदान हड्डी क्लिनिक, मां वैष्णवी हड्डी क्लिनिक, मगध हड्डी क्लिनिक, संजीवनी हड्डी क्लिनिक समेत कई अस्पताल फर्जी डिग्रीधारियों द्वारा संचालित हो रहे हैं। लोगों की मानें तो ऐसे अस्पताल सरकारी व्यवस्था का मुंह चिढ़ा रहे हैं। सरकारी स्तर पर जिले के सदर अस्पताल से रेफर मरीज इन अस्पतालों में पहुंचते हैं। भले ही आर्थिक दोहन का शिकार बन जाएं, लेकिन इन फर्जी डाक्टरों का लोगों के बीच किसी नामचीन हड्डी रोग विशेषज्ञ से कम वैल्यू नहीं है।

फर्जी चिकित्सकों की भरमार

मझिआंव के इन फर्जी डाक्टरों की हकीकत तब सामने आई थी, जब अक्टूबर 2021 के अंतिम सप्ताह में बीडीओ व सीएचसी प्रभारी ने जांच किया था। तब कई संचालक क्लिनिक से भाग खड़े हुए थे, तो कई के पास डिग्री नहीं होने की बात सामने आई। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह स्थिति मझिआंव या गढ़वा की ही नहीं है। बल्कि पूरे जिले में कहीं भी जाइए, बिना डिग्री वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों के क्लिनिक मिल जाएंगे। वहां धड़ल्ले से हड्डी फ्रैक्चर के इलाज होते हैं। हालांकि ऐसे अस्पतालों में इलाज कराकर ठीक नहीं होने वाले मरीज कभी आर्थिक दोहन के विरुद्ध मुखर होते हैं तो भी कार्रवाई नहीं होती या फिर क्लिनिक संचालक उन्हें किसी तरह मैनेज भी कर लेते हैं।

पक्ष

जिले में संचालित सभी निजी क्लिनिकों व अस्पतालों की जांच की जाएगी। क्लिनिकल एस्टेब्लिसमेंट एक्ट का उल्लंघन कर संचालित किए जा रहे क्लिनिकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

डा. कमलेश कुमार, सिविल सर्जन, गढ़वा।

 

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