Fake Doctor: झारखंड के इस जिले में है फर्जी डॉक्टरों का रुतबा... एजेंटों के माध्यम से प्रशासन के नाक के नीचे मरीजों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़
Fake Doctor बिना डिग्री या फर्जी डिग्रीधारियों द्वारा संचालित अस्पताल में हड्डी रोग के मरीजों की भीड़ लगी रहती है। लोगों की मानें तो ऐसे अस्पतालों के संचालक सरकारी अस्पतालों में अपने एजेंट रखे हैं। वे ही सरकारी अस्पतालों से मरीजों को इन कथित हड्डी रोग विशेषज्ञों तक पहुंचा देते।
गढ़वा, जासं। जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सदर अस्पताल तक हड्डी रोग के मरीजों का इलाज की व्यवस्था भले ही नहीं हो, लेकिन जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों व हाट बाजारों में नीम हकीमों द्वारा संचालित हड्डी रोग के प्राइवेट क्लिनिक व अस्पतालों की भरमार है। सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था का फायदा प्राइवेट अस्पतालों के संचालक उठा रहे हैं। इन प्राइवेट अस्पतालों के चंगुल में फंसकर मरीजों का मर्ज ठीक हो या न हो, लेकिन भरपूर आर्थिक दोहन जरुर हो रहा है। ऐसे क्लिनिक व अस्पतालों में रेडिएशन से बचाव को लेकर गाइडलाइंस का खुल्ल्मखुला उल्लंघन कर एक्सरे भी किया जा रहा है। जबकि बाहर लगे साइन बोर्ड पर कथित डाक्टरों के लिखे नाम मरीजों को सहज ही आकर्षित कर लेते हैं।
एजेंट के माध्यम से चलता है चिकित्सा का गोरखधंधा
बिना डिग्री या फर्जी डिग्रीधारियों द्वारा संचालित अस्पताल में हड्डी रोग के मरीजों की भीड़ लगी रहती है। लोगों की मानें तो ऐसे अस्पतालों के संचालक सरकारी अस्पतालों में अपने एजेंट रखे हैं। वे ही सरकारी अस्पतालों से मरीजों को इन कथित हड्डी रोग विशेषज्ञों तक पहुंचा देते हैं। इसके एवज में एजेंटों को अच्छा कमीशन मिल जाता है। जबकि निजी अस्पतालों के संचालक शुरुआत में कम रकम में इलाज कर देने की बात कहकर बाद में मरीजों से कई बार एक्सरे कराने, दवा व अन्य तरह से आर्थिक दोहन कर लेते हैं। भले ही बीमारी ठीक हो या न हो।जिले में फर्जी चिकित्सकों के क्लिनिकों की भरमार
फर्जी चिकित्सकों की भरमार
मझिआंव के इन फर्जी डाक्टरों की हकीकत तब सामने आई थी, जब अक्टूबर 2021 के अंतिम सप्ताह में बीडीओ व सीएचसी प्रभारी ने जांच किया था। तब कई संचालक क्लिनिक से भाग खड़े हुए थे, तो कई के पास डिग्री नहीं होने की बात सामने आई। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह स्थिति मझिआंव या गढ़वा की ही नहीं है। बल्कि पूरे जिले में कहीं भी जाइए, बिना डिग्री वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों के क्लिनिक मिल जाएंगे। वहां धड़ल्ले से हड्डी फ्रैक्चर के इलाज होते हैं। हालांकि ऐसे अस्पतालों में इलाज कराकर ठीक नहीं होने वाले मरीज कभी आर्थिक दोहन के विरुद्ध मुखर होते हैं तो भी कार्रवाई नहीं होती या फिर क्लिनिक संचालक उन्हें किसी तरह मैनेज भी कर लेते हैं।पक्ष