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Jharkhand Floor Test: झारखंड में सियासी संकट के बीच इन विधायकों के छिटकने का था डर, इस रणनीति से मिली सफलता

सफल राजनीतिक रणनीति का ही हिस्सा था कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने दृढ़ता के साथ हालिया संकट का समाधान किया। एक समय ऐसा भी आया जब लगा था कि राज्य राजनीतिक अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। 31 जनवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के पूर्व दिल्ली में ईडी की छापेमारी के बाद ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई जिसने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा।

By Pradeep singh Edited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 05 Feb 2024 06:32 PM (IST)
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झारखंड में सियासी संकट के बीच इन विधायकों के छिटकने का था डर, इस रणनीति से मिली सफलता

राज्य ब्यूरो, रांची। सफल राजनीतिक रणनीति का ही हिस्सा था कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने दृढ़ता के साथ हालिया संकट का समाधान किया। एक समय ऐसा भी आया जब लगा था कि राज्य राजनीतिक अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। 31 जनवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के पूर्व दिल्ली में ईडी की छापेमारी के बाद ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा।

उसके बाद एक के बाद एक घटनाएं हुई। दिल्ली से हेमंत सोरेन के लौटने के अगले दिन ईडी की पूछताछ और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सबको सहेजकर रखना बड़ी चुनौती थी। सत्तारूढ़ गठबंधन के रणनीतिकारों ने संयम का परिचय देते हुए इस दिशा में काम आरंभ किया। राजभवन में तीन बार सरकार बनाने के लिए आग्रह करने जाना पड़ा।

इन विधायकों के छिटकने का था डर 

एक बार तो ऐसा लग रहा था कि इस प्रक्रिया में देरी होगी। पर्याप्त विधायकों की संख्या नहीं रहने के दावे हुए, लेकिन विधायकों की वीडियोग्राफी और गिनती कराकर जब जारी की गई तो संदेह के बादल छंटने लगे। देर रात सरकार बनाने का निमंत्रण मिला।

इधर, चंपई सोरेन मंत्रिमंडल का शपथ हो रहा था तो दूसरी तरफ, विधायकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की तैयारी चल रही थी। विधायकों को हैदराबाद ले जाया गया। रविवार को उन्हें यहां लाया गया। बड़ी उपलब्धि यह रही कि हेमंत सरकार के विरोध का झंडा उठाने वाले बोरियो के झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी समर्थन में खड़े हो गए।

यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि लोबिन छिटकने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन संकट की घड़ी में साथ आने के लिए राजी हो गए। प्रतिद्वंद्वी दल की तरफ से हेमंत सोरेन के परिवार में विवाद की अटकलों को भी रणनीतिकारों ने विफल कर दिया। जामा की विधायक सीता सोरेन समर्थन में खुलकर आईं तो दुमका के विधायक बसंत सोरेन पूरे घटनाक्रम के दौरान काफी सक्रिय रहे।

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