To Kill A Tiger Oscar: झारखंड की बेटी पर बनी फिल्म 'टू किल ए टाइगर' ऑस्कर के लिए नामित, पढ़ें इसकी रियल स्टोरी
भारत की अकेली बेस्ट डाक्यूमेंट्री श्रेणी में टू किल ए टाइगर को ऑस्कर के लिए नामित किया गया है। फिल्म इससे पहले टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2022 में सर्वश्रेष्ठ कनाडाई फीचर फिल्म के लिए एम्प्लीफाई वायस अवार्ड जीत चुकी है। फिल्म को भारतीय मूल की कनाडाई फिल्म मेकर निशा पाहुजा ने बनाया है। फिल्म की कहानी 13 साल की किशोरी की है जिसके साथ तीन लोगों ने दुष्कर्म किया था।
जागरण संवाददाता, रांची। भारत की अकेली बेस्ट डाक्यूमेंट्री श्रेणी में "टू किल ए टाइगर" को ऑस्कर के लिए नामित किया गया है। इस श्रेणी में कुल पांच फिल्में नामित की गई हैं, जिनमें यह अकेली भारतीय फिल्म है। मंगलवार को 96वें ऑस्कर नॉमिनेशन में इसकी घोषणा की गई। इस डाक्यूमेंट्री का संबंध रांची के बेड़ो से है। जिन चार फिल्मों से मुकाबला है, उनमें 'बॉबी वाइन: द पीपल्स प्रेसिडेंट', 'द इटरनल मेमोरी', 'फोर डॉटर्स' और '20 डेज इन मारियुपोल' शामिल है।
यह कहानी एक 13 साल की किशोरी की है, जिसके साथ तीन लोगों ने दुष्कर्म किया था। एक बरात से घर लौटते समय यह अमानवीय घटना हुई थी। किसान पिता ने अपनी बेटी के साथ हुए बर्बर अमानवीय घटना को लेकर न्याय की लड़ाई लड़ी। फिल्म में अपनी 13 साल की बेटी को न्याय दिलाने के लिए किस तरह जूझता है, इसे दर्शाया गया है।नौ मई 2017 की घटना के एक साल बाद 2018 में फैसला आया तो बेटी के पिता के बोल थे, हमें उम्मीद थी कि आरोपियों को कड़ी सजा मिलेगी। हम लगातार अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे थे।
पिता ने बताया कि केस वापस लेने के लिए हमें धमकियां दी गईं। पैसा लेने की पेशकश की गई। डराया-धमकाया गया, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। हमें न्याय चाहिए था। हम नहीं चाहते थे कि जो मेरी बेटी के साथ हुआ वह किसी और की बेटी के साथ हो। अंतत: हम किसी के आगे झुके नहीं। न्याय के लिए लड़ते रहे और अंतत: हमें न्याय मिला।
कौन हैं निशा पाहुजा?
56 वर्षीया निशा पाहुजा भारतीय मूल की कनाडाई फिल्म निर्माता हैं। 1970 के दशक की शुरुआत में पाहुजा अपने परिवार के साथ दिल्ली से कनाडा चली गईं। पाहुजा ने टोरंटो विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया। वह एक सफल फिल्म निर्माता हैं। "टू किल ए टाइगर" 2022 में उन्होंने बनाई थी। इसकी पूरी शूटिंग बेड़ो में हुई।नौ मई 2017 को बेड़ो में नाबालिग एक शादी से अपने घर लौट रही थी। इसी दौरान तीन लोगों ने उसे अपहृत कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। आरोपियों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से लेकर उनकी गिरफ्तारी के लिए पिता व बेटी को जद्दोजहद करनी पड़ी। पूरा संघर्ष फिल्म में दर्ज है।फिल्म इससे पहले टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2022 में सर्वश्रेष्ठ कनाडाई फीचर फिल्म के लिए एम्प्लीफाई वायस अवार्ड जीत चुकी है।
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