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Jharkhand News: फिल्मकार और लेखक इकबाल दुर्रानी की नई वेबसीरीज 'घाटशिला'... फिल्म बताएगी नक्सलियों की कहानी

Jharkhand News फिल्मकार और लेखक इकबाल दुर्रानी टीम के साथ रांची में हैं। उनकी नई वेबसीरीज घाटशिला आने वाली है। झारखंड में ही इसकी शूटिंग होगी पूरी। स्थानीय कलाकारों को मिलेगा मौका। शीघ्र शुरू होने वाली है शूटिंग। बोले खून और आंसू से लिखी गई है फिल्म की कहानी।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Tue, 08 Mar 2022 01:58 PM (IST)
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Jharkhand News: फिल्मकार और लेखक इकबाल दुर्रानी बना रहे वेबसीरीज घाटशिला।
रांची, आरपीएन मिश्र। Iqbal Durrani NEW WEBSERIES GHATSHILA खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड के लिए नक्सली अभिशाप की तरह हैं। प्रसिद्ध फिल्मकार इकबाल दुर्रानी के मन को भी यह सवाल लंबे समय से कचोटता रहा है कि सोना, कोयला, यूरेनियम, तांबा, पन्ना जैसे बहुमूल्य खनिज और रत्न उगलने वाली झारखंड की धरती में नक्सली कैसे पैदा हो गए। अपनी वेबसीरीज घाटशिला के माध्यम से वह नक्सल समस्या के इर्द-गिर्द घूमते विकास के सवाल, उलझे सामाजिक ताने-बाने के बीच हिलोरे लेती उम्मीदें, पुलिस, नेता, माफिया की भूमिका और इससे जुड़े तमाम पहलुओं को सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं।

लेखन और फिल्म निर्माण में पूरा जीवन समर्पित कर देने वाले इकबाल दुर्रानी युवाओं के लिए संदेश देते हुए कहते हैं, हमेशा बड़े सपने देखें। यही उनके फिल्म की सेंट्रल थीम भी है। वह कहते हैं, सपने ही इंसान को आगे बढ़ाते हैं। जो सपने देखें, उन्हें पूरा करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा दें। यही सफलता का मूल मंत्र है। इस संबंध में अपनी एक कविता की कुछ पंक्तियां सुनाते हैं, अपने अंधे गांव में मैंने कुछ सपने देखे, जो पूरे हुए। फिर उन सपनों ने भी कुछ सपने देखे। वे भी पूरे हो गए। बाबा... अब मैं कंगाल हो गया। मेरी हाथों में कुछ सपने दे दो...। खाली हाथों से डर लगता है, क्योंकि इन खाली हाथों में कुछ भी आ सकता है।

पूरी शूटिंग झारखंड में, 60 प्रतिशत होंगे स्थानीय कलाकार

बिहार और झारखंड में पले-बढ़े प्रसिद्ध फिल्मकार और लेखक इकबाल दुर्रानी बताते हैं कि इस वेबसीरीज के जरिये वह अपनी माटी का कर्ज उतारने की कोशिश करेंगे। समस्याओं और सवालों की तह तक पहुंचते हुए वह कहानी को समाधान की दिशा में ले जाना चाहते हैं। इसमें वेबसीरीज में 60 प्रतिशत स्थानीय कलाकार होंगे। इस बहाने वह यहां की प्रतिभाओं को मौका देने चाहते हैं। दुर्रानी कहते हैं, घाटशिला की कहानी खून और आंसू से लिखी गई है। यह लोगों के दिल तक पहुंचेगी। फिल्म में 40 प्रतिशत कलाकार मुंबई के होंगे। इसमें कुछ बड़े कलाकार भी होंगे। दुर्रानी अपनी टीम के साथ अभी रांची में कैंप किए हुए हैं। इस वेबसीरीज के 12 एपिसोड होंगे।

...फिल्मकार के सवाल पर रो पड़ा कुख्यात नक्सली

दुर्रानी बताते हैं, कुछ साल पहले 25 लाख के इनामी नक्सली कान्हू मुंडा ने आत्मसमर्पण किया था। बाद में कुछ और बड़े नक्सलियों ने भी समर्पण किया। परिस्थितियां बदल रही हैं औऱ मुजरिम अच्छे इंसानों में बदल रहे हैं। इन घटनाओं ने वेबसीरीज में नए अध्याय जोड़े। इस क्रम में जेल में वह कान्हू मुंडा से मिले और उससे पूछा, तुमने इतनी हिंसा की, इतने लोगों की जान ली। ये बता इस दौरान तू कब-कब रोया...। फिल्मकार के इस सवाल पर नक्सली उनके सामने ही रो पड़ा। अपने जीवन से जुड़े कुछ किस्से सुनाए। कहानी का एक पात्र नक्सली कान्हू मुंडा भी है। बकौल दुर्रानी घाटशिला घटनाओं की शृंखला है, जो समय का दस्तावेज भी है। फिल्म लोगों की संवेदनाओं को झकझोरने की कोशिश करेगी। मोहब्बत का संदेश देगी। जंगलों - पहाड़ों से घिरे और स्वर्णरेखा नदी के तट पर बसे घाटशिला में यूरेनियम, तांबा, सोना-चांदी, पन्ना और अन्य खनिजों का भंडार है, लेकिन इस पर खून के भी छींटे पड़े हैं। संघर्ष के बीच अक्सर गरीब-आदिवासी मारे जाते हैं। उसके हाथ खाली ही रहते हैं। इन सवालों को फिल्म के माध्यम से उठाने की कोशिश की है। नक्सलवाद पर व्यक्तिगत चर्चा में दुर्रानी नक्सलियों पर पुलिस द्वारा ईनाम रखे जाने के खिलाफ हैं। वह कहते हैं, यह एक तरह से नक्सलियों की बोली (कीमत) लगाने जैसा है। इससे अपराध को बढ़ावा मिलता है। सरकार और पुलिस को दूसरे तरीकों पर विचार करना चाहिए। समस्या को जड़ से मिटाने की चिंता हो।

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