Iqbal Durrani: फिल्मकार इकबाल दुर्रानी की पहल... सामवेद का उर्दू व हिंदी में अनुवाद... मोदी सरकार के लिए कही बड़ी बात
Samaveda In Urdu दाराशिकोह वेदों का अनुवाद करना चाहता था लेकिन उससे पहले ही सिर-कलम कर दिया गया। खुश हूं कि पीएम मोदी की सरकार में मैंने सामवेद का अनुवाद कर दाराशिकोह के सपने को पूरा किया। दो साल लग गए। अब यह आपके बीच होगी।
By M EkhlaqueEdited By: Updated: Sat, 25 Jun 2022 05:51 PM (IST)
रांची, [संजय कृष्ण]। फिल्मकार इकबाल दुर्रानी पिछले दो साल से सामवेद का उर्दू और हिंदी में अनुवाद कर रहे थे। अब वह प्रकाशन की ओर अग्रसर है। डिजाइनिंग का काम चल रहा है। दुर्रानी इसे स्वयं ही प्रकाशित कर रहे हैं। इसके पीछे कोई खास वजह? बेतकल्लुफ कहते हैं- मैंने इससे इश्क किया है। फिर इसे दूसरे के हवाले क्यों करूं। जी हां, इकबाल दुर्रानी ने पिछले दो वर्षों से कोई फिल्म नहीं की। बस, अनुवाद में दिन रात लगे रहे। अपने काम से इश्क भी इबादत ही है। शनिवार को उनसे छोटी-सी मुलाकात हुई। बात, सामवेद के इर्द-गिर्द ही थी।
इसलिए किया सामवेद का चुनावसामवेद के अपने इस चुनाव के बारे में बहुत खुल कर कहते हैं- सामवेद में ऋग्वेद और यजुर्वेद दोनों समाहित हैं। साम के मूल 75 मंत्र हैं। कोई 99 मंत्र भी कहता है। बाकी ऋग्वेद और यजुर्वेद हैं। इस तरह इसमें कुल बाकी वेद भी समाहित हैं। इसलिए सामवेद का चुनाव किया। अनुवाद के लिए किस भाष्य का चुनाव किया? इसके लिए बाजार में भी भाष्य थे, हिंदी भावार्थ सहित सबका अध्ययन किया। शब्द-शब्द, अक्षर-अक्षर को पढ़ा, उसके अर्थ को समझने की कोशिश की। शब्दों के मूल और उनके अर्थ जानने के लिए संस्कृत के वैदिक और अर्वाचीन शब्द कोशों का सहारा लिया। करीब 12-15 भाष्य मिले, जिनका अध्ययन किया। फिर अनुवाद प्रारंभ किया।
इस तरह किया शब्दों का चुनाववैदिक शब्दों को उर्दू में अनुवाद करते समय कठिनाइयां भी आई होंगी? जी हां। सामवेद में एक मंत्र शुरू होता है- हे प्रकाशवान...। अब यदि इसका उर्दू में अनुवाद करेंगे तो यही कहेंगे- ऐ रोशनी वाले... पर यह शब्द उस वैदिक शब्द के वजन के बराबर नहीं है। यह बहुत हल्का मालूम होता है। जो अर्थ हे प्रकाशवान से ध्वनित होता है, वह हे रोशनी वाले से नहीं। तब, अरबी-फारसी की और लौटना पड़ा और उसके वजन के बराबद शब्द खोजा-नूर-ए-मुजस्स्म। इसका अर्थ है- जो सर से पांव तक नूर ही नूर हो, जो नूर से बना हो, आपादमस्तक प्रकाश, आत्मज्ञान से युक्त। इस तरह हमने शब्दों के वजन के शब्द खोजे ताकि उसके साथ न्याय कर सकूं।
इस तरह मिली मुझे प्रेरणाइस काम को करने की प्रेरणा कहां से मिली? दरअसल, पीछे- बहुत पीछे जब जाएंगे तो दाराशिकोह ने उपनिषदों का अनुवाद किया था। जब उससे पूछा गया कि सबसे प्राचीन ग्रंथ तो वेद हैं, मूल तो वही है? फिर वह वेदों की ओर जाना चाहता था कि उसका सिर कलम कर दिया गया और उसकी चाहत भी दफन हो गई। अब पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में इस नाचीज ने दाराशिकोह के सपने या कहें उसके अधूरे काम को मैंने पूरा किया है। इसकी मुझे बहुत तसल्ली है।
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