Move to Jagran APP

Hazaribagh News: मत्स्यपालन के लिए नई तकनीक केज कल्चर, हजारीबाग में रिकार्ड मछली पालन

Hazaribagh News मत्स्यपालन में नई तकनीक है केज कल्चर। झारखंड के हजारीबाग जिले में केज कल्चर हाल के वर्षों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा हैं। कम वर्षा कम होने के बावजूद इस नई तकनीक से रिकार्ड मछली उत्पादन किया जा रहा है।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 08:15 AM (IST)
Hero Image
Hazaribagh News: मत्स्यपालन की नई तकनीक केज कल्चर से हजारीबाग में रिकार्ड मछली पालन।
हजारीबाग, [मासूम अहमद]। Hazaribagh News एक ओर इस वर्ष मानसून में समय पर समुचित वर्षा नहीं होने से धान सहित अन्य खाद्यान्न फसलों का आच्छादन प्रतिशत काफी कम हो गया है। वहीं दूसरी ओर असमय वर्षा से भी किसान हलकान हैं। सरकार और विभाग इस परिस्थिति को लेकर सूखा की स्थिति की समीक्षा कर रही है। वहीं, दूसरी ओर किसान राहत योजना के तहत राशि भुगतान को लेकर प्रभावित किसानों से निबंधन करवा रही है जो 15 सितंबर तक चलेगा। वहीं, दूसरी ओर सरकार और विभाग ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती और कृषि से संबंद्ध व्यवसाय जैसे पशुपालन, कुक्कुट पालन व मत्स्य पालन की ओर प्रोत्साहित कर रही हैं।

जहां तक मत्स्यपालन की बात है तो कुछ ग्रामीणों का कहना है कि कम वर्षा होने से यह कार्य भी प्रभावित हो रहा है। हालांकि जागरुक और प्रगतिशील मत्स्यपालकों का मानना है कि इस कार्य में अगर नई और उन्नत तकनीक अपनाई जाए तो इसका कई गुणा अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।

हजारीबाग में केज कल्चर की बढ़ी लोकप्रियता

जहां तक मत्स्यपालन में नई तकनीक की बात है तो केज कल्चर इसका ताजा प्रमाण है। यहीं कारण है कि हजारीबाग में केज कल्चर हाल के वर्षों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा हैं। विभाग द्वारा भी इस तकनीक को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यहीं कारण है कि हजारीबाग जिले के कई प्रखंडों में सैंकड़ों मत्स्यपालक केज कल्चर से आर्थिक संपन्नता पा रहे हैं। विशेष रूप से अगर जिले के बरही, विष्णुगढ, टाटीझरिया और डाडी प्रखंड की बात की जाए तो यहां केज बैट्री की करीब पांच सौ इकाइ्रयां संचालित हो रही है। वहीं जिले के सैंकड़ों की संख्या में मत्स्यपालक इसका प्रत्यक्ष रूप् से लाभ ले रहे हेैं। वहीं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाभ लेने की बात की जाए तो करीब पांच हजार ग्रामीणों को इसका लाभ मिल रहा है।

नीति आयोग की टीम सहित वरीय पदाधिकारी कर चुके हैं निरीक्षण

जानकारी के अनुसार, हजारीबाग जिले में प्रति मौसम 15 हजार 600 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। जिले में केज कल्चर के तेजी से लोकप्रिय होते प्रचलन का ही परिणाम है। बारिश कम होने के बावजूद नई तकनीक से बढ़ा रहे मछली उत्पादन में काफी बढोत्तरी हुई है और मत्स्यपालकों को भी काफी फायदा हो रहा है। हजारीबाग जिले में संचालित केज क्ल्चर की इकाईयों का निरीक्षण नीति आयोग की टीम द्वारा भी किया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि जिले के कोयलांचल में उत्खनन के बाद खाली पड़ी गड्ढों और जलस्रोतों में केज कल्चर का प्रयोग सफलता पूर्वक किया जा रहा है।

केज कल्चर से मत्स्य उत्पादन में हुई बढोत्तरी

हजारीबाग के जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार का कहना है कि निश्चित रूप से जिले में केज कल्चर की सहायता से मत्स्य उत्पादन में उत्साहजनक बढोत्तरी हुई है। इससे मत्स्य पालकों में आर्थिक संपन्नता आ रही है। वहीं वर्षा कम होने के बावजूद मत्स्य पालन का व्यवसाय काफी लाभ दे रहा है। अन्य मत्स्य पालकों को भी इसका अधिक से अधिक लाभ लेना चाहिए।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।