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बिहार सरकार में मंत्री रहे बंदी उरांव का निधन, PESA कानून बनाने में निभाई थी महती भूमिका

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के तौर पर अपनी अमिट छाप छोड़कर और वीआरएस लेकर राजनीति में कॅरियर बनानेवाले चार बार के विधायक बंदी उरांव का निधन सोमवार की देर रात हो गया। बंदी उरांव अपने पीछे पुत्र अरुण उरांव पुत्रवधू गीताश्री उरांव और भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।

By Vikram GiriEdited By: Updated: Tue, 06 Apr 2021 12:21 PM (IST)
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बिहार सरकार में मंत्री रहे बंदी उरांव का निधन। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो । भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के तौर पर अपनी अमिट छाप छोड़कर और वीआरएस लेकर राजनीति में करियर बनानेवाले चार बार के विधायक बंदी उरांव का निधन सोमवार की देर रात हो गया। बंदी उरांव अपने पीछे पुत्र अरुण उरांव, पुत्रवधू गीताश्री उरांव और भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके पुत्र अरुण उरांव भी आइपीएस की नौकरी से वीआरएस लेकर भाजपा में शामिल हुए हैं और पार्टी में बड़े पद पर आसीन हैं। बंदी उरांव बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। बंदी उरांव के निधन के साथ ही राजनीति का वह वटवृक्ष गिर गया जिसके नाम की लोग कसमें खाते थे। उनके निधन पर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। वे लगभग 90 वर्ष के थे। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट करते लिखा कि पूर्व आइपीएस अधिकारी, बिहार सरकार में मंत्री रहे और भाजपा नेता डॉ अरूण उरांव के पिता बंदी उरांव जी के निधन का दुखद समाचार मिला। उनका आदिवासियों के उत्थान में बड़ा योगदान रहा। भगवान उनको अपने श्री चरणों में स्थान दे। उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।

उनके निधन पर आदिवासी संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। पूरी ईमानदारी, योग्यता और कर्तव्यनिष्ठा के साथ जिंदगी भर जल, जंगल, जमीन बचाने और झारखंड की अस्मिता सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष करते रहे। सिसई क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके बंदी उरांव फिलहाल कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। चार बार विधायक के साथ-साथ वे बिहार सरकार में मंत्री भी रहे और जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष के तौर पर उन्होंने पेसा कानून बनाने में अहम भूमिका निभाई। विधायक बंधु तिर्की ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि इसके साथ ही एक युग का अंत हो गया। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्‍यक्ष राजेश ठाकुर ने उनके निधन पर शोक व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि आज हमने पार्टी का एक मजबूत स्‍तंभ खो दिया है।

ग्रामसभा के जबरदस्त वकालत करने वाले, बुढ़ादेव को स्थापित करने वाले, आदिवासी समाज के अग्रिम और बौद्धिक जगत के रूप जानने वाले के साथ झारखंड अलग राज्य के कर्मठता के साथ विचार प्रवाह करने वाले के रूप में जाने जाते थे। झारखंड के समाज में उनके काम की मौजूदगी सदा बनी रहेगी। बता दें  कि बंदी बाबा सिसई विधानसभा के पूर्व विधायक छोटानागपुर संथालपरगना कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके थे। 90 साल कि उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली।

रांची जिला स्कूल से ली थी प्राथमिका शिक्षा

विधायक बंदी उरांव का जन्म 15 जनवरी 1931 को ग्राम दतिया, बसाइरतोली भरनो गुमला में हुआ। अपनी प्राथमिक शिक्षा जिला स्कूल रांची से पूरी करने के बाद वे पटना साइंस कॉलेज, पटना इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 1972 में IPS तथा 1980 में SP गिरिडीह के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृती ली। 1980 से 2000 तक सिसई विधानसभा के विधायक रहे। चंद्रशेखर सिंह के कैबिनेट में मंत्री रहे। क्षेत्रीय कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रहे। 1991-92 राष्ट्रीय जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष । पेसा कानून बनाने के लिए भूरिया कमिटी के सदस्य ।

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