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पहली बार गर्भवती हुई थी बाघिन, रांची के चिड़ियाघर में चार नवजात शावकों की मौत; प्रबंधन के जवाब से उड़े सभी के होश

रांची के चिड़ियाघर में चार नवजात शावकों की मौत हो गई है। प्रबंधन ने इस मामले में जो जवाब दिया है उससे सभी के होश उड़ गए हैं। प्रबंधन ने इसके लिए सीधे तौर पर बाघिन को दोषी ठहराया है। बताया जा रहा है कि भगवान बिरसा जैविक उद्यान में बिलासपुर से लाई गई बाघिन गौरी ने चार शावकों को जन्म दिया था।

By Jagran News Edited By: Mukul Kumar Published: Wed, 15 May 2024 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 15 May 2024 09:40 AM (IST)
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

संवाद सूत्र, ओरमांझी (रांची)। भगवान बिरसा जैविक उद्यान (रांची चिड़ियाघर) में बाघिन गौरी के चार नवजात शावकों की मृत्यु हो गई है। बाघिन ने चारों शावकों को 10 मई की रात दो बजे से 11 मई को दिन में 10.30 बजे के बीच जन्म दिया था।

उद्यान प्रबंधन के अनुसार, जन्म के बाद शावकों को दूध पिलाने में बाघिन सहयोग नहीं कर रही थी। इसके साथ ही वह शावकों पर ही लेट गई। उद्यान प्रबंधन सीसीटीवी कैमरे की मदद से लगातार बाघिन पर नजर रख रहा था। जब लगा कि शावकों की जान को खतरा है तो उद्यान के कर्मचारी बाघिन के केज में पहुंचे।

तीन शावकों की बाघिन के नीचे दबने से मौत

तब तक तीन शावकों की बाघिन के नीचे दबने से मौत हो चुकी थी। किसी प्रकार एक शावक को बाहर निकाला गया। लेकिन, बाद में उसकी भी मौत हो गई। शावकों के शवों का पोस्टर्माटम रांची वेटनरी कालेज रांची के एचओडी डा. मधुरेंद्रर गुप्ता द्वारा किया गया। इसके बाद, जैविक उद्यान के शवदाहगृह में जला दिया गया।

इस दौरान जैविक उद्यान के निदेशक जब्बर सिंह, एसीएफ अशोक कुमार सिंह, वनक्षेत्र पदाधिकरी रामबाबू, पशु चिकित्सक डॉ. ओपी साहू, डॉ. एमके गुप्ता व उद्यान कर्मी उपस्थित थे। माना जा रहा है कि जैविक उद्यान प्रबंधन की लापरवाही के कारण शावकों की मौत हुई।

पहली बार गर्भवती हुई थी बाघिन गौरी

हालांकि, इससे प्रबंधन इनकार कर रहा है। जैविक उद्यान में अभी गौरी सहित छह बाघिन अनुष्का, लक्ष्मी, कावेरी, कृष्णा व ताप्शी और दो बाघ जावा व मलिक हैं। बाघिन गौरी को 2018 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर चिड़ियाघर से जैविक उद्यान लाया गया था। वह पहली बार गर्भवती हुई थी।

जैविक उद्यान में बाघ की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से उद्यान प्रशासन द्वारा पहल की गई थी। बाघिन गौरी को 105 दिन के गर्भावस्था में पूरी देखभाल की जा रही थी। जन्म देने की प्रक्रिया ठीक रही।

जैविक उद्यान प्रबंधन के अनुसार बाघिन गौरी का पहला प्रसव था। उसे प्रसव का अनुभव नहीं था। अनुभवहीनता के कारण ही उसके चार शावकों की मौत हो गई।

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