Ghatshila by-election: भाजपा को बाहरी से ज्यादा अपने दे रहे दर्द, छह नेता निष्कासित, फिर भी नहीं थम रहा विरोध
रांची से मिली खबर के अनुसार, घाटशिला उपचुनाव में भाजपा को अपने ही कार्यकर्ताओं से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी ने कई नेताओं को निष्कासित भी किया है, जो झामुमो में शामिल हो गए हैं। बाबूलाल मरांडी घाटशिला में कैंप कर रहे हैं। बंगाली भाषी मतदाताओं को साधने के लिए बंगाल से नेताओं को बुलाया गया है।

घाटशिला उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को विपक्षियों की तुलना में अपने ही लोग ज्यादा परेशान कर रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची । घाटशिला उपचुनाव में उतरी भारतीय जनता पार्टी को विपक्षियों की तुलना में अपने ही लोग ज्यादा दर्द दे रहे हैं। इसमें पूर्व जिलाध्यक्ष और मौजूदा मंडल अध्यक्ष भी शामिल हैं। हालांकि इनको पार्टी बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
ये लोग औपचारिक तौर पर झामुमो में शामिल भी हो गए हैं। अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष को भी पार्टी ने एक दिन पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निकाल दिया है।
खास बात यह है कि इस आदिवासी बहुल सीट पर भाजपा के ही जो नेता विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं वो सामान्य वर्ग के हैं। इनमें से कई तो बांग्लाभाषी हैं, जो सालों से भाजपा के साथ थे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी असंतोष थामने के लिए घाटशिला में चुनाव तक कैंप करेंगे। पार्टी के एक नेता ने बताया कि चुनाव के समय विरोध और असंतोष सामान्य बात है। लेकिन इसके चुनाव परिणाम पर होने वाले असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
बांग्लाभाषी मतदाताओं को साधना बड़ी चुनौती
घाटशिला में सामान्य वर्ग के मतदाताओं में बड़ी संख्या में बांग्लाभाषी हैं। पूर्व जिलाध्यक्ष सौरभ चक्रवर्ती अब झामुमो के लिए काम कर रहे हैं। मामले में डैमेज कंट्रोल के लिए भाजपा ने बंगाल से पार्टी नेताओं को आमंत्रित किया है।
बंगाल भाजपा के कुछ विधायक और सांसद अगले चार दिनों तक लोगों से घर-घर जाकर संपर्क करेंगे। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू भी कार्यकर्ताओं से प्रतिदिन चुनाव का फीडबैक ले रहे हैं।

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