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Jharkhand News: विधायक लंबोदर महतो के बेटे ने फिर किया कमाल, एशिया की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा

गोमिया विधानसभा क्षेत्र के आजसू विधायक डॉ. लम्बोदर महतो के बेटे शशि शेखर ने एशिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा फहराया है। इस चोटी को फतह कर उन्होंने अपने नाम एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। शशि शेखर ने पहले भी कई पर्वतों को फतह किया है। यह उपलब्धि उन्होंने अपने पिता डॉ. लम्बोदर महतो और गोमिया विधानसभा क्षेत्र के लोगों को समर्पित की

By Pradeep singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 19 Aug 2024 05:54 PM (IST)
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शशि शेखर माउंट एल्ब्रुस चोटी पर झंड़ा फहराते हुए

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के पर्वतारोही शशि शेखर ने 17 अगस्त को यूरोप की सबसे ऊँची चोटी, माउंट एल्ब्रुस (5,642 मीटर) पर स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में तिरंगा फहराया। रूस के कॉकस पर्वत श्रृंखला में स्थित इस पर्वत पर चढ़ाई कर उन्होंने एक नई उपलब्धि हासिल की और झारखंड का नाम रोशन किया।

शशि शेखर झारखंड के ग़ोमिया विधानसभा क्षेत्र के आजसू विधायक डॉ. लम्बोदर महतो के पुत्र हैं। शशि ने अपना अभियान 13 अगस्त को रांची की एडवेंचर कंपनी लंबादा एडवेंचर्स के साथ शुरू किया।

इसकी शुरुआत ट्रेक्सोल से हुई जहां से वो आगे गारबशी (3,800 मीटर) में रुककर अपनी एक्लिमेटाइजेशन पूरी की और फिर मारिया शेल्टर (4,200 मीटर) तक का सफर किया।

वहां उन्होंने मौसम साफ होने का इंतजार किया और 17 अगस्त को समिट पुश के लिए निकल पड़े। हालांकि उस दिन भी तेज हवा चल रही थी, इसके बावजूद वे 17 अगस्त की सुबह करीब 8 बजे समिट पर पहुंच गए।

अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत को परखा

शशि ने इस साहसिक यात्रा के दौरान अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत को परखा व पर्वतारोहण के प्रति अपने समर्पण को साबित किया। माउंट एल्ब्रुस पर चढ़ाई के लिए उन्होंने 4-5 दिनों की योजना बनाई जिसमें प्रशिक्षण, राशन और मौसम की तैयारी शामिल थी।

कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की और स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में तिरंगा फहराया। शशिशेखर की माउंटेनियरिंग की सफर प्रेरणादायक है।

उनके पूर्व की उपलब्धियों में विश्व के सबसे ऊंची छोटी माउंट एवरेस्ट के बालकनी (8430m/ 27,657फीट) तक का सफर, नेपाल स्थित माउंट लोबुचे (6,199 मीटर/20,075 फीट ) पर झंडा लहराना और माउंट मनिरंग (5758/19000 फीट) के समिट कैम्प तक की अभियान शामिल है।

क्या बोले शशि शेखर?

शशि शेखर ने इस उपलब्धि को अपने पिता डॉ. लम्बोदर महतो व गोमिया विधानसभा क्षेत्र के लोगों को समर्पित किया, जिनके समर्थन और प्रेरणा ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शशिशेखर ने कहा, "मेरे पिता की अथक मेहनत और उनके काम से प्रेरित होकर मैंने यह उपलब्धि हासिल की है। उनका समर्थन और समर्पण मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है।"

कहां से ली पर्वतारोहण की ट्रेनिंग

उन्होंने अपने पर्वतारोहण के सफर की शुरुआत बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स (बीएमसी) से की, जहां उन्हें एनआईएमएएस द्वारा अरुणाचल प्रदेश के 16,500 फीट गोरीचेन ग्लेशियर में माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग प्राप्त हुई।

इसके बाद, उन्होंने दार्जिलिंग में स्थित हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट से एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स (एएमसी) की ट्रेनिंग उत्तीर्ण की और 17,600 फीट स्थित कब्रू साउथ कैम्प तक का सफर किया।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने एनआईएमएएस अरुणाचल प्रदेश से सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स पूरा किया जिसमे उन्होंने विषम परिस्थिति में खुद को और दूसरो को रेस्क्यू करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इस उपलब्धि ने न केवल शशिशेखर की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को पूरा किया, बल्कि झारखंड में पर्वतारोहण की दुनिया में एक नई मिसाल स्थापित की। उनके इस साहसिक प्रयास ने यह भी दर्शाया कि सही तैयारी, समर्पण और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।

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