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Jharkhand Politics: राष्ट्रपति के पास पहुंचा खतियान और आरक्षण सीमा बढ़ाने का विधेयक, राज्यपाल ने लौटा दिए थे दोनों बिल

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने खतियान आधारित स्थानीयता से संबंधित विधेयक को राष्ट्रपति के विचार हेतु केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है। इसके साथ ही ओबीसी सहित अन्य श्रेणी में आरक्षण सीमा बढ़ाने से संबंधित विधेयक को भी राष्ट्रपति के अनुमोदन हेतु भेज दिया है। कार्मिक विभाग ने इस संबंध में विधानसभा में जानकारी दी है। बता दें कि दोनों विधेयकों को नवंबर 2022 में पारित किया गया था।

By Neeraj Ambastha Edited By: Mohit Tripathi Updated: Tue, 30 Jul 2024 12:39 PM (IST)
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राज्यपाल ने खतियान और आरक्षण संबंधी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने खतियान आधारित स्थानीयता से संबंधित विधेयक 'झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022' पर राष्ट्रपति के विचार हेतु केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है।

इसके साथ ही ओबीसी सहित अन्य श्रेणी में आरक्षण सीमा बढ़ाने से संबंधित विधेयक झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 को भी राष्ट्रपति के अनुमोदन हेतु भेज दिया है।

राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने इसकी जानकारी विधानसभा को दी है। आजसू विधायक डॉ. लंबोदर महतो न दोनों अधिनियमों को शीघ्र लागू करने को लेकर सवाल किया था। इसपर कार्मिक विभाग ने जवाब दिया है।

राज्यपाल ने वापस लौटा दिए थे दोनों विधेयक

दोनों विधेयकों को सबसे पहले 11 नवंबर 2022 को झारखंड विधानसभा में पारित किया गया था। राजभवन ने यह कहते हुए दोनों विधेयकों को वापस लौटा दिया था कि यह विधेयक राज्य सरकार के कार्य क्षेत्र से बाहर है। विधानसभा को इसपर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त नहीं है।

आरक्षण संबंधी विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट का दिया था हवाला

आरक्षण की सीमा बढ़ाने से संबंधित विधेयक पर कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती है।

बाद में विधानसभा ने दोनों विधेयकों को 20 दिसंबर 2013 को दोबारा पारित कराकर राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा।

राज्यपाल ने दूसरी बार दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भेज दिया।

आरक्षण सीमा 50 से बढ़ाकर 77 प्रतिशत करने का था प्रावधान  

बताते चलें कि आरक्षण सीमा बढ़ाने से संबंधित विधेयक में आरक्षण की कुल सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 77 प्रतिशत की गई है।

इनमें अनुसूचित जाति का आरक्षण 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति का 28 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग का 15 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग का 12 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर का 10 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।

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