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राज्यपाल ने लौटाया खतियान संबंधी विधेयक, गरमाई झारखंड की राजनीति, JMM ने BJP को बताया बाहरी जनता पार्टी

1932 के खतियान संबंधी विधेयक के राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने के बाद से राज्य की राजनीति गरमा गई है। विधेयक को लेकर जहां सत्तारूढ़ झामुमो भाजपा पर हमलावर है वहीं भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार को राज्यपाल द्वारा दर्ज कराई गई आपत्तियों पर विचार करना चाहिये।

By Mohit TripathiEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 30 Jan 2023 09:44 PM (IST)
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1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधी विधेयक के राज्यपाल द्वारा वापस लिये जाने से गरमाई सियासत।
रांची, राज्य ब्यूरो: 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति संबंधी विधेयक के राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने के बाद से राज्य की राजनीति गरमा गई है। विधेयक को लेकर जहां सत्तारूढ़ झामुमो भाजपा पर हमलावर है वहीं भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार को राज्यपाल द्वारा दर्ज कराई गई आपत्तियों पर विचार करना चाहिये।

राज्यपाल को ऐसी परिस्थितियों से बचना चहिये- सुप्रियो भट्टाचार्य

झामुमो ने राजभवन पर निशाना साधते हुए दावा किया है कि विधेयक को लौटाते समय राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद (बी) को नहीं पढ़ा। केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक, राज्यपाल को ऐसी स्थितियों से बचना चाहिए, यह सही चीज नहीं है और यह परिपाटी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि राजभवन इस राज्य के लोगों के संरक्षण का काम नहीं करेगी तो पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले इस राज्य के लोगों की सुरक्षा कौन करेगा?

ऐसी चीजों से हम आहत हैं

भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यपाल न केवल केंद्र के प्रतिनिधि हैं, बल्कि संविधान के संरक्षक राष्ट्रपति के भी प्रतिनिधि हैं। ऐसी चीजों से हम आहत हैं। जब-जब कोई सार्थक चीज, जिसका सिरा यहां के मूलवासी-आदिवासी से जुड़ा है, उसे सरकार लागू करती है तो झारखंड विरोधी बाहरी तत्व आंख तरेर देते हैं।

भाजपा को बताया बाहरी जनता पार्टी

उन्होंने भाजपा को बाहरी जनता पार्टी बताते हुए चुनौती देते हुए कहा कि अगर भाजपा में हिम्मत है तो वह खुलकर खतियान का विरोध करे। भाजपा के नेताओं को बोलना चाहिए कि हम खतियान के खिलाफ हैं। वे बोलकर देखें। यह दुखद परिस्थिति है। ऐसी स्थितियों से राजभवन को बचना चाहिए।

खतियान शब्द से भाजपा को लगता है डर

भट्टाचार्य ने कहा कि विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित विधेयक राज्यपाल को भेजा गया था कि वे इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संसद को भेजेंगे। यहां के मूलनिवासी-आदिवासी के लिए नौवीं अनुसूची का कवच प्रदान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि खतियानी जोहार यात्रा के बीच इस तरह की बातें सामने आई हैं कि भाजपा को खतियान शब्द से डर लगता है।

दोबारा राज्यपाल के पास भेजा जाएगा विधेयक

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि विधेयक को लेकर राज्य सरकार कानून के मुताबिक काम करेगी। राज्य सरकार दोबारा राज्यपाल को विधेयक भेजेगी। झामुमो इसे लेकर भाजपा के रवैये की पोल जनता के समक्ष खोलेगी। राज्य के लोगों को बताया जाएगा कि किस प्रकार भाजपा यहां के लोगों के अधिकारों को कानून बनने से रोक रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मन की बात में आदिवासियों की बात करते हैं लेकिन आदिवासी-मूलवासी के हित संबंधी कानूनों पर पेंच फंसाया जाता है।

राज्यपाल की आपत्तियों पर विचार करे सरकार - बाबूलाल

भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि स्थानीयता से संबंधित विधेयक के संबंध में राज्यपाल की आपत्तियों पर गंभीरतापूर्वक विचार करें। यह मामला झारखंड के साढ़े तीन करोड़ जनता के हित से जुड़ा हुआ है। इसमें बार-बार राजनीति नहीं होनी चाहिए।

विधिसम्मत निर्णय ले सरकार

राज्य सरकार झारखंड के बच्चों के हित में झारखंड की धरती पर ही विधिसम्मत निर्णय ले। राज्य सरकार को फेंकाफेंकी की राजनीति बंद कर अपने संविधान सम्मत अधिकारों का सदुपयोग करना चाहिए। राज्य सरकार को नीति बनाने का पूरा अधिकार है।

उन्होंने कहा कि सरकार अपराधियों को बचाने के लिए वकीलों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च कर रही। यह मामला तो राज्य के हित से जुड़ा है इसलिए देश के नामी कानूनविदों और वकीलों को महंगी फीस देकर सलाह लेने से परहेज नहीं करना चाहिए।

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