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Hazaribagh: माहेश्वरी परिवार हत्याकांड में अब CBI की एंट्री, हाईकोर्ट से मिला जांच का आदेश

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में हजारीबाग के महेश्वरी परिवार की छह लोगों की हत्या से संबंधित मामले की CBI जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इसके बाद अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। अदालत ने कहा कि प्रतीत होता है कि इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं की गई है।

By Manoj SinghEdited By: Yashodhan SharmaUpdated: Mon, 28 Aug 2023 07:19 PM (IST)
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माहेश्वरी परिवार हत्याकांड की अब CBI करेगी जांच, हाईकोर्ट से मिला आदेश
राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में हजारीबाग के महेश्वरी परिवार की छह लोगों की हत्या से संबंधित मामले की CBI जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई।

इसके बाद अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। अदालत ने कहा कि प्रतीत होता है कि इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं की गई है।

यह मामला आत्महत्या का नहीं है, इसलिए मामले की जांच सीबीआई करेगी और चार माह में जांच पूरी करते हुए रिपोर्ट दाखिल करेगी।

CID की जांच पर उठाया था सवाल

इस संबंध में नरेश माहेश्वरी के भाई राजेश माहेश्वरी ने याचिका दाखिल कर CID की जांच पर सवाल उठाया था। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने अदालत को बताया कि हजारीबाग के एक फ्लैट में 14 जुलाई 2018 को माहेश्वरी परिवार के छह लोगों का शव बरामद हुआ था।

इसमें परिवार के मुखिया महावीर अग्रवाल, पत्नी किरण अग्रवाल, उनका बेटा नरेश माहेश्वरी, बहू प्रीति अग्रवाल, पोता अमन अग्रवाल और पोती अन्वी अग्रवाल शामिल थी। महावीर अग्रवाल और किरण अग्रवाल का शव फंदे से लटका हुआ था, लेकिन दोनों का पैर बेड पर मुड़ा हुआ था।

बेड पर कोई सिलवट भी नहीं थी। नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट के बाहर नीचे गिरा पड़ा था, लेकिन वहां एक बूंद खून भी नहीं मिला था।

बेटे का गला रेता गया था, उक्त हथियार भी बरामद नहीं हुआ था। घर से छह सुसाइड नोट मिले थे। सभी नोट अलग-अलग रंग के पेन से लिखे गए थे।

पावर ऑफ अटर्नी के मिले थे दस्तावेज

इस मामले में संदिग्ध उमेश साहू के नाम से एक पावर ऑफ अटर्नी के दस्तावेज मिले, जिसमें कहा गया है कि नरेश परिवार को कुछ होने पर दोनों फ्लैट उनका हो जाएगा।

CID की जांच में यह कहा जाना भी पूरी तरह से गलत है कि माहेश्वरी परिवार ने आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या की है। जबकि उसका दूसरे लोगों पर करीब 70 लाख रुपये बकाया था।

इसलिए रखी CBI जांच की मांग

अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने कहा कि उमेश साहू उस दौरान सत्ता का नजदीकी था। CID ने पूरे मामले की जांच लीपापोती की है, इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।

इसके बाद अदालत ने सीआइडी की अंतिम प्रपत्र को खारिज करते हुए मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है।

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