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'OMR शीट गलत भरने वाला सिविल सेवा के लायक नहीं', HC ने खारिज कर दी याचिका, ये है पूरा मामला

Jharkhand High Court झारखंड लोक सेवा आयोग की सिव‍िल सेवा परीक्षा के एक अभ्‍यर्थी की याचिका को हाईकोर्ट ने खार‍िज कर दिया। दरअसल अभ्‍यर्थी ने प्रीलिम्‍स परीक्षा में ओएमआर शीट में गलत रोल नंबर अंक‍ित कर दिया था जि‍स‍े मशीन ने जांच के दौरान स्‍वीकार नहीं किया। इसके बाद अभ्‍यर्थी ने हाईकोर्ट में रोल नंबर में सुधार करवाने के बाद रिजल्‍ट जारी करने की मांग की थी।

By Manoj Singh Edited By: Prateek Jain Updated: Wed, 19 Jun 2024 07:09 PM (IST)
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ओएमआर शीट में रोल नंबर सुधार की मांग को झारखंड हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की अदालत ने जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में प्रार्थी द्वारा ओएमआर शीट में गलत रोल नंबर भरने के मामले में फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि ओएमआर शीट भरने में गलती करने वाला सिविल सेवा के लायक नहीं है। ऐसा करना बड़ी गलती मानी जाएगा।

अदालत प्रार्थी को राहत नहीं दे सकती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 14 जून को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जेपीएससी सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा 22 जून को निर्धारित है। इस संबंध में मयंक कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

गलती के कारण खारिज हो गई OMR शीट

सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कहा गया कि जेपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया है। जिसकी प्रारंभिक परीक्षा में वे भी शामिल हुए थे। उन्होंने गलती से ओएमआर शीट में रोल नंबर भरने में त्रुटि कर दी है। जिसकी वजह से उनका परिणाम जारी नहीं किया गया है।

अगर उनका मैनुअल कॉपी का मूल्यांकन किया जाता है तो वह निर्धारित कट ऑफ मार्क्स से ज्यादा अंक प्राप्त करेंगे। ऐसे में त्रुटि की सुधार करते हुए उन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए, क्योंकि जेपीएससी उनको मुख्य परीक्षा में शामिल होने नहीं दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तकनीकी त्रुटि के कारण की ओएमआर शीट को खारिज नहीं किया जा सकता है। इससे मेरिट पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा सरकार ने वर्ष 2018 में ऐसा ही निर्णय लेते हुए संकल्प जारी किया था।

जेपीएससी ने दिया ये जवाब

जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि उक्त परीक्षा वर्ष 2021 की नियमावली के तहत ली गई है। जिसके कारण पुराना संकल्प इस मामले में लागू नहीं होता है।

अगर मैनुअल जांच की जाती है तो यह नियमावली का उल्लंघन होगा। प्रार्थी की ओएमआर शीट जांचने वाली मशीन ने खारिज की है। इसमें आयोग का कोई लेना-देना नहीं है।

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