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Jharkhand News: JPSC की OMR शीट में त्रुटी मामले की सुनवाई पूरी, अदालत ने फैसला रखा सुरक्षित; पढ़ें पूरा मामला

झारखंड हाई कोर्ट में ओएमआर शीट में गलत रोल नंबर को सुधारने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई और इस सुनवाई में दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने कहा कि 22 जून को होने वाली मुख्य परीक्षा से पहले फैसला यह सुनाया जाएगा। बता दें कि मयंक कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में ये याचिका दाखिल की थी।

By Manoj Singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Fri, 14 Jun 2024 07:53 PM (IST)
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JPSC की OMR शीट में त्रुटी मामले की सुनवाई पूरी
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में ओएमआर शीट में गलत रोल नंबर को सुधारने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने कहा कि मुख्य परीक्षा से पहले फैसला सुनाया जाएगा। 22 जून को मुख्य परीक्षा आयोजित होनी है।

हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका

इस संबंध में मयंक कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कहा गया कि जेपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया है। जिसकी प्रारंभिक परीक्षा में वे भी शामिल हुए थे। उन्होंने गलती से ओएमआर शीट में रोल नंबर भरने में त्रुटि कर दी है।

जिसकी वजह से उनका परिणाम जारी नहीं किया गया है। अगर उनका मैनुअल कॉपी का मूल्यांकन किया जाता है तो वह निर्धारित कट ऑफ मार्क्स से ज्यादा अंक प्राप्त करेंगे।

ऐसे में त्रुटि की सुधार करते हुए उन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए, क्योंकि जेपीएससी उनको मुख्य परीक्षा में शामिल होने नहीं दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया गया हवाला

उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तकनीकी त्रुटि के कारण की ओएमआर शीट को खारिज नहीं किया जा सकता है। इससे मेरिट पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा सरकार ने वर्ष 2018 में ऐसा ही निर्णय लेते हुए संकल्प जारी किया था।

जेपीएससी ने अदालत में क्या कहा?

जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि उक्त परीक्षा वर्ष 2021 की नियमावली के तहत ली गई है। जिसके कारण पुराना संकल्प इस मामले में लागू नहीं होता है।

अगर मैनुअल जांच की जाती है तो यह नियमावली का उल्लंघन होगा। प्रार्थी का ओएमआर शीट जांचने वाली मशीन ने खारिज किया है। इसमें आयोग का कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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