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अब समुद्र में भारत की ताकत बढ़ाएगा HEC, नौसेना ने दिया 370 करोड़ का वर्क ऑर्डर; रूस के बदले पनडुब्‍बी की फोर्जिंग

HEC Ranchi News एचइसी फिर भारत का सीना चौड़ा करने जा रहा है। वह भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बी निर्माण की योजना को अंजाम देने में जुट गया है। यानी जमीन और आसमान के बाद एचइसी समुद्र में भी भारत की ताकत बढ़ाने के लिए तैयार है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Thu, 07 Jan 2021 11:23 PM (IST)
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HEC Ranchi: भारतीय नौसेना ने एचइसी को 370 करोड़ रुपये का वर्क आर्डर दिया है।
रांची, [शक्ति सिंह]। HEC Ranchi चाहे चंद्रयान-2 का लांचिंग पैड हो, सेना के लिए टैंक, बैरल या कोई और निर्माण, हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन (एचइसी) ने हमेशा भारत को मजबूत किया है। अब एचइसी फिर भारत का सीना चौड़ा करने जा रहा है। वह भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बी निर्माण की योजना को अंजाम देने में जुट गया है। यानी जमीन और आसमान के बाद एचइसी समुद्र में भी भारत की ताकत बढ़ाने के लिए तैयार है।

आईएनएस अरिहंत को छोड़कर भारत अब तक पनडुब्बी निर्माण के लिए लगभग रूस पर ही आश्रित रहा है। खासकर फोर्जिंग के काम में। भारतीय नौसेना ने एचइसी की क्षमता को देखते हुए इसे 370 करोड़ का वर्क आर्डर दिया है। पिछले साल नौसेना से आर्डर मिलने के बाद लाकडाउन में इसके निर्माण में बाधा आई, लेकिन अब बहुत तेज गति से इस दिशा में काम शुरू हो गया है ताकि अगले साल वर्क आर्डर तय समय पर पूरा हो जाए।   

पनडुब्बी में होंगे विभिन्न तरह के ढांचागत निर्माण

नौसेना से मिले इस वर्क आर्डर के तहत पनडुब्बी में विभिन्न तरह के ढांचागत निर्माण का काम करना है। समुद्री पानी और हवाओं के संपर्क में आने से पनडुब्बी पर जंग लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए निर्माण के दौरान गुणवत्ता का खास ख्याल रखना पड़ता है। समुद्री पानी और हवा का प्रतिकूल असर इस पर न पड़े, इसके लिए निर्माण के दौरान ही स्टील पर कार्बन, फास्फोरस और सल्फर की मात्रा पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। एचईसी लंबे समय से अपने पुनरुद्धार के लिए संघर्ष करती रही है। कई प्रोजेक्ट भी मिले हैं जिससे एक उम्मीद जगी है। क्योंकि बीच-बीच में एचईसी की आर्थिकक स्थिति डगमगाने से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।

पुरानी मशीनों के माडर्नाइजेशन से बदलेगी सूरत

एचईसी की स्थापना 31 दिसंबर 1958 को हुई थी। 15 नवंबर 1963 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कंपनी को राष्ट्र को समॢपत किया था। इसे मदर आफ आल इंडस्ट्री कहा जाता है। कई बड़ी कंपनियों के लिए मशीनें तैयार करने की वजह से एचइसी को यह नाम दिया गया। गौरवशाली इतिहास वाला एचईसी कालांतर में घाटे में रहने लगा।

आज भी अगर सरकार एचईसी की मशीनों का माडर्नाइजेशन कर दे तो बहुत हद तक स्थिति पहले से बेहतर हो जाएगी। वर्क आर्डर की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। मशीनें पुरानी होने के कारण काम करने में कर्मचारियों को भी परेशानी होती है। इसके बावजूद एचईसी के कर्मचारी इन्हीं मशीनों से अपना शत-प्रतिशत दे रहे हैं। एचइसी ने इन मशीनों को माडर्नाइजेशन के लिए 1260 करोड़ का प्रस्ताव रखा था, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

क्या है फोर्जिंग

उचित स्थान पर दबाव देने से धातु की लचीली अवस्था को मनचाही आकृति देने को फोर्जिंग कहते हैं। लोहारों द्वारा परंपरागत ढंग से लोहे को गरम करके और पीटकर उसे आवश्यक रूप में बदलने का काम भी एक प्रकार का फोर्जन या फोर्जिंग ही है।

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