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Heavy Rain in Garhwa: बारिश ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी, तिलहन-सब्जी की खेती को हो सकता है भारी नुकसान

गढ़वा में बीते दो दिनों से बारिश हो रही है। इससे एक ओर धान के फसल को फायदा हुआ तो वहीं दूसरी ओर तिलहन फसल और सब्जी को भारी नुकसान की आशंका है। बारिश ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है। बताया जा रहा है इस समय जिले में तिल के फसलों की कटाई चल रही है। अगर खेत में पानी भरा तो फसलें डूबने की आशंका है।

By Anjani UpadhayaEdited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 02 Oct 2023 06:45 PM (IST)
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बारिश ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी (फाइल फोटो)
संवाद सहयोगी, गढ़वा। गढ़वा में विगत दो दिनों से रुक-रुक हो रही बारिश धान के फसल के लिए तो बेहतर साबित हुआ है, लेकिन तिलहन और खेतों में लगे मिर्च, टमाटर जैसी सब्जियों की खेती को नुकसान हुआ है।

बता दें कि एक अक्टूबर को 44 मिमी बारिश हुई है। रविवार की पूरी रात बारिश हुई, जबकि सोमवार को भी दिन भर रुक-रुक कर वर्षा होती रही। इस साल धान की खेती उत्पादन लक्ष्य का महज 39 प्रतिशत ही हुआ है। अभी हो रही बारिश धान की खेती के लिए वरदान माना जा रहा है।

बारिश तिलहन फसलों के लिए नुकसान 

खाली पड़े खेतों में अच्छी नमी रहने से रबी फसलों के अच्छा पैदावार की गुंजाइश बढ़ गई थी। हालांकि, इस बारिश के बाद हुए तिलहन फसलों को नुकसान ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है। इस साल खरीफ मौसम में जिले में लक्ष्य का 76 प्रतिशत तिलहन की खेती हुई है।

इन दिनों तिलहन के फसल की कटाई भी चल रही है, लेकिन लगातार बारिश से खेतों में लगे तिलहन फसल को नुकसान की संभावना जताई जा रही है।

कृषि वैज्ञानिक ने क्या कहा

इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र गढ़वा के प्रधान एवं वरीय वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार बताते हैं कि किसानों को इस वर्षा का लाभ लेने की जरुरत है। खाली पड़े खेतों की जुताई लायक स्थिति होने पर असिंचित या बिल्कुल कम सिंचाई वाले फसलों की बुआई कर इसका लाभ ले सकते हैं।

उन्होंने कहा कि तिलहन में सरसों एवं तीसी की खेती की जा सकती है, जबकि जहां एक सिंचाई का साधन हो, वहां दलहनी फसलों में चना, मसूर और मटर की खेती कर सकते हैं। सरसों की भी खेती वैसे खेतों में की जा सकती है, जहां दो सिंचाई का साधन हो। चार या उससे अधिक सिंचाई की स्थिति वाले खेतों में ही गेहूं की बुवाई की जानी चाहिए।

डॉ. अशोक कुमार के अनुसार, अभी जिस तरह से बारिश हो रही है। इसे देखते हुए मक्का, दलहन, तिलहन एवं सब्जियों के खेतों से पानी की निकास की अच्छी व्यवस्था बनाए रखें अन्यथा फफूंद जनित रोग लग सकते हैं। वर्तमान मौसम में नमी के कारण खड़ी फसलों में रोग एवं कीट का आक्रमण हो सकता है।

आवश्यक दवाओं का छिड़काव करें- कृषि वैज्ञानिक

उन्होंने कहा कि इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर आवश्यक दवाओं का छिड़काव फसलों में किया जाना चाहिए। धान में बैक्टीरिया जनित बीमारी (बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट) देखा जा रहा है, जिसके करण पत्तों पर लंबे धारीदार पीलापन दिखाई दे रहा है और पत्ते सूख रहे हैं।

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कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, इसके निदान के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन एक ग्राम प्रति पांच लीटर पानी के दर से घोलकर एक सप्ताह के अंतराल पर दो छिड़काव करें। धान में कीट प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें।

उन्होंने आगे यह भी कहा कि अरहर में उकठा रोग से बचाव के लिए ब्लू कौपर या ब्लाइटौक्स 50 का दो ग्राम प्रति लीटर पानी एवं स्ट्रेप्टोसाइक्लिन एक ग्राम 10 लीटर पानी के दर से एक साथ घोल बनाकर घुटने भर की अवस्था में जड़ पर मोटा छिड़काव करें, जिससे जड़ के आस-पास की मिट्टी तर हो जाए।

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