झारखंड के हर ब्लॉक में गोशाला बनाने की तैयारी में सरकार, कृषि मंत्री दीपिका ने कहा- ऑर्गेनिक खेती पर भी कर रहे काम
झारखंड सरकार में कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि राज्य में अभी केवल 23 गोशालाएं रजिस्टर्ड हैं। यह बहुत कम है। हमारी कोशिश होगी कि ब्लॉक लेबल पर गोशाला का चलाई जाए। ब्लॉक लेबल पर गो शाला चलेगी तो गोवंशों की तस्करी की शिकायत नहीं मिलेगी। गोबर को बहुत प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है ।
राज्य ब्यूरो, रांची। कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि राज्य में मात्र 23 गो शाला निबंधित है। यह संख्या बहुत कम है। हमारा प्रयास होगा कि प्रखंड स्तर पर गोशाला का चलाई जाए। गो सेवा आयोग की ओर से हमारी गोमाता, हमारा दायित्व के जरिए आमजन को गो सेवा से जोड़ा जाना बहुत बेहतरीन प्रयास है। इससे लोग गो सेवा कर पाएंगे।
दीपिका पांडेय गो सेवा आयोग की गोबर प्रसंस्करण प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरण समारोह को संबोधित कर रहीं थी।
उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर पर गो शाला चलेगी तो गाय या गो वंश की तस्करी की शिकायत नहीं मिलेगी। गोबर को बहुत प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है। इससे गोबर गैस बनती है।
दीपिका पांडेय ने कहा कि ऑर्गेनिक फार्मिंग सहित अन्य कार्य हो रहा है। इसके लिए रांची के दस प्रखंडों के महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाना बहुत अच्छी पहल है।प्रशिक्षण के बाद महिलाएं स्वरोजगार कर पाएंगी। विभाग का प्रयास होगा कि इन महिलाओं को बैंक की ओर से पूंजी उपलब्ध कराई जाए ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।
गो सेवा के लिए कहीं से भी दे सकते हैं सहायता: राजीव रंजन
गो सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि हमारी गो माता, हमारा दायित्व के तहत आयोग ने एक वेबसाइट बनाई है, जिसके तहत विश्व के किसी भी कोने से कोई भी गो माता को गोद लेकर सहायता राशि दे सकता है। वह राज्य के किसी भी गो शाला के खाते में सीधी राशि दे सकता है। आयोग के अध्यक्ष होने के नाते गो वंश का संरक्षण और संवर्धन करना की जिम्मेदारी है। गाय और गो वंश की तस्करी को रोकने के प्रयास किया जा रहा है। गो शाला को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। आयोग ने गोबर प्रसंस्करण से कई वस्तुएं बनाने का महिलाओं को पांच दिन का प्रशिक्षण दिया गया है। इससे महिलाओं की आय बढ़ेगी। कई बार देखा जाता है कि जब गाय दूध नहीं देती है, तो उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। लेकिन अब सरकार की ओर से गोबर से बनने वाले वस्तुओं का प्रशिक्षण दिए जाने से लोग इनको अपने पास रखेंगे और उसकी देखभाल भी की जाएगी। गोबर से कंडा और अन्य वस्तुएं बनाए जाने से जंगल की कटाई भी कम होगी।
इस दौरान मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने महिलाओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिया। इसके बाद हमारी गो माता, हमारा दायित्व के तहत आयोग की बेवसाइट का उद्घाटन भी किया। कार्यक्रम में आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन, उपाध्यक्ष राजू गिरी, पशुपालन निदेशक किरण पासी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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