Move to Jagran APP

झारखंड में ED-CBI जैसी जांच एजेंसियों के लिए हेमंत सरकार का बड़ा फैसला, अब राज्य में किसी को सीधे नहीं दे सकेंगे समन

हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक में जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लकेर बड़ा फैसला लिया गया है। इसके तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों को बाहरी एजेंसियां अब सीधे समन नहीं कर सकेंगे। राज्य मंत्रिपरिषद ने फैसला लिया है कि समन से पहले मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग को सूचित करना होगा। राज्य कैबिनेट ने इसके लिए दिशा निर्देश बनाने का काम मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को सौंपा है।

By Pradeep singh Edited By: Shashank ShekharUpdated: Tue, 09 Jan 2024 07:20 PM (IST)
Hero Image
झारखंड में ED-CBI जैसी जांच एजेंसियों के लिए हेमंत सरकार का बड़ा फैसला
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य सरकार के पदाधिकारी किसी भी बाहरी जांच एजेंसी के समन पर सीधे हाजिर नहीं होंगे। वे ऐसी एजेंसी को सीधे दस्तावेज या सरकारी अभिलेख भी उपलब्ध नहीं कराएंगे। समन प्राप्त होने पर उन्हें सबसे पहले विभागीय प्रमुख को सूचित करना होगा। विभागीय प्रमुख का दायित्व होगा कि वे बगैर देरी किए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को सूचित करेंगे।

मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग इसपर विधिक परामर्श लेगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया। निर्णय में किसी खास एजेंसी के नाम का उल्लेख नहीं है।

मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रस्ताव में क्या कुछ कहा गया

मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रस्ताव में कहा गया है कि विगत कुछ समय से राज्य सरकार के संज्ञान में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें राज्य के बाहर की जांच एजेंसियों द्वारा सरकार के सक्षम प्राधिकार को बताए बगैर पदाधिकारियों को सीधे नोटिस या समन भेजकर उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।

कई मामलों में सरकारी दस्तावेज व अभिलेख की मांग भी जांच एजेंसी द्वारा की जाती है। जांच एजेंसियों की नोटिस के बाद पदाधिकारी अपने विभागीय प्रधान या वरीय अधिकारी को संज्ञान में लाए बिना ही सरकारी दस्तावेज और अभिलेख एजेंसियों को सौंप देते हैं जो प्रचलित नियमों के अनुकूल नहीं है। इससे संबंधित कार्यालय में भ्रम की स्थिति पैदा होने के साथ-साथ सरकारी कार्य में बाधा आती है।

इस बात की भी प्रबल संभावना रहती है कि उपलब्ध कराई जा रही सूचना असंगत या अपूर्ण हो। यह राज्य सरकार के क्रियाकलाप एवं राज्य के बाहर की एजेंसी के जांच को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित करता है। ऐसी परिस्थितियों में राज्य सरकार के क्रियाकलाप एवं राज्य के बाहर की जांच एजेंसी को अपेक्षित सहयोग और संबंधित दस्तावेज, अभिलेख एवं तथ्यों को सही रूप से एजेंसी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए सुगठित एवं स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित करने की आवश्यकता सरकार के स्तर से महसूस की गई।

प्रस्ताव में यह भी उल्लेख है कि भ्रष्टाचार संबंधी मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) राज्य सरकार की जांच इकाई के रूप में कार्यरत है।

अभी तो 2024 की हमने शुरुआत की है। आगे इंतजार करिए, अभी और भी निर्णय होंगे।- हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

केंद्रीय एजेंसी के अधिकार पीएमएलए कानून के तहत ईडी को पूरे देश में मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है। इसे सिर्फ संसद द्वारा कानून में संशोधन कर ही सीमित किया जा सकता है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो रही जांच में यह क्षेत्राधिकार सीबीआई को मिलता है।

ये भी पढ़ें: कोहरे का असर, झारखंड से गुजरने वाली राजधानी एक्सप्रेस के थमे पहिए; दिल्ली-भुवनेश्वर 13 तो दिल्ली-हावड़ा 12 घंटे लेट

ये भी पढ़ें: 'एक हफ्ते में खर्च करें पोशाक की राशि नहीं तो...', बैठक के दौरान भड़के शिक्षा पदाधिकारी; दे दिया सख्त निर्देश

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।