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Hemant Soren: एक्शन मोड में हेमंत सोरेन की सरकार, मंत्रियों ने बता दिया अपना अगला टारगेट

Hemant Soren झारखंड में हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल के सदस्यों ने अपने विभागों में पहुंचकर कामकाज संभाल लिया है। कार्यभार संभालने के बाद मंत्रियों ने कम समय में ज्यादा से ज्यादा काम करने और रोजगार व विकास के मामलों को तेजी से बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। बता दें कि झारखंड में दो से तीन महीने के अंदर चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी होने की संभावना है।

By Ashish Jha Edited By: Mohit Tripathi Updated: Wed, 10 Jul 2024 10:34 AM (IST)
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पदभार ग्रहण करते ही एक्शन मं हेमंत सोरेन के मंत्री। (फोटो- एएनआई)

आशीष झा, रांची। झारखंड में शपथग्रहण के अगले दिन से ही मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों में पहुंचकर कामकाज संभाल लिया है। सुबह 11 बजे से दो बजे तक मंत्रियों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा और पहला दिन होने के कारण अधिकारियों एवं पुराने परिचितों ने भी मंत्री तक पहुंचकर हाजिरी बनाई।

इन तमाम गतिविधियों के बीच कम समय में अधिक काम करना और विभागों में रोजगार संबंधी मामलों को तेजी से बढ़ाने को प्राथमिकता देने की बातें भी हुईं।

झारखंड में दो से तीन महीने के अंदर चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी होने की संभावना के मद्देनजर अब काम के लिए कम ही वक्त रह गया है।

विकास और रोजगार को प्राथमिकता

मंगलवार को काम संभालते ही अधिसंख्य मंत्रियों ने विकास कार्यों और रोजगार को प्राथमिकता देने की बात कही। कांग्रेस के मंत्रियों को मंत्रालय भवन में सबसे पहले कामकाज संभालने के लिए पहुंचते देखा गया।

बन्ना गुप्ता, दीपिका पांडेय सिंह पहले हाफ में मंत्रालय भवन पहुंचे तो डॉ. रामेश्वर उरांव और इरफान अंसारी दोपहर के करीब मंत्रालय कक्ष में पहुंचे।

सभी मंत्रियों ने संभाला पदभार

सभी मंत्रियों ने जहां पदभार ग्रहण किया और तस्वीरें खिंचवाई, वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने इन औपचारिकताओं से परहेज किया और सीधे कामकाज संभाल लिया। ऐसे भी वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने चार वर्ष से अधिक समय तो बिता ही लिया है।

दूर हुई कर्मचारी चयन आयोग में कर्मियों की कमी

झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग जो कि प्रदेश में दूसरे और तीसरे दर्जे की नौकरियों के लिए नियुक्तियां निकालने से लेकर परीक्षाओं का आयोजन कराता है।

पिछले कुछ महीनों से आयोग कर्मियों की कमी से जूझ रहा था। अभी हाल में ही यहां एक दर्जन कर्मियों और दो अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई है। इससे आयोग के कामकाज में तेजी आएगी।

संसाधनों की कमी नहीं, भरी है तिजोरी

कई राज्यों में खजाना खाली होने के कारण नियुक्तियां नहीं हो पाती हैं, लेकिन झारखंड में परिस्थिति इसके उलट है।

हाल के तीन वर्षों में बजट के बराबर राशि खर्च करने में भी कई विभाग असफल रहे हैं और इस कारण से एकाउंट में ही पैसा रह जाता है। अब यही पैसा कर्मियों की बहाली होने की स्थिति में खर्च हो सकेगी।

सूत्रों के अनुसार पिछले चार वर्षों के वित्तीय अनुशासन का असर यह रहा है कि कम से कम कर्ज लेकर सरकार का कामकाज चलता रहा है। सरकार ने अधिक ब्याज वसूलनेवाले संस्थानों से ऋण लेना भी बंद कर दिया है।

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