'लालू यादव की राह पर हेमंत, बनाना चाहते हैं पत्नी को CM' राज्यपाल से मुलाकात के बाद बाबूलाल ने कह दी ये बड़ी बात
राज्यपाल की चेन्नई वापसी के साथ ही झारखंड में सियासी हलचलें तेज हो गई है। इस बीच मंगलवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने उनसे मुलाकात किया। इस दौरान बाबूलाल मरांडी ने कहा कि गांडेय विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है। सत्तापक्ष राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा करना चाहता है। लालू यादव की तरह हेमंत सोरेन पत्नी को सीएम बनाना चाहते हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की चेन्नई से वापसी के साथ ही प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई है। मंगलवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने उनसे मुलाकात किया। बाबूलाल ने कहा कि गांडेय विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है।
उन्होंने इससे संबंधित पत्र चुनाव आयोग को भेजने का आग्रह करते हुए कहा कि सत्तापक्ष राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा करना चाहता है। लालू प्रसाद की तरह हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को सीएम बनाना चाहते हैं। इसी वजह से एक स्वस्थ विधायक का दबाव में इस्तीफा कराकर सीट खाली कराया गया।
राज्यपाल से बाबूलाल मरांडी ने इस मामले पर चर्चा
उन्होंने राज्यपाल से गांडेय विधानसभा उपचुनाव कराए जाने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले संवैधानिक संकट से संबंधित भेजे गए पत्र की चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा और बालमुकुंद सहाय भी शामिल थे।राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरफराज अहमद का इस्तीफा अकारण नहीं हुआ। गांडेय में उपचुनाव नही कराया जा सकता है। सेक्शन 151ए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर सामान्य चुनाव में एक साल के कम का समय शेष हो तो उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है।
झारखंड में विधानसभा चुनाव इस साल दिसंबर में हो सकता
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय (प्रमोद लक्ष्मण गुढ़ाधे बनाम भारत निर्वाचन आयोग) में भी यह स्पष्ट किया है कि अगर सामान्य चुनाव एक साल के अंदर होना हो तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। झारखंड में विधानसभा चुनाव दिसंबर-2024 में होना है। सितंबर-अक्टूबर से प्रक्रिया शुरू हो जाती है।ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। जिस दिन विधानसभा क्षेत्र के नियुक्त रिटर्निग ऑफिसर चुनाव आयोग को विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित कर यह सार्वजनिक बता देता है कि किस दल से और कितने निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं। वहीं तिथि विधायक के निर्वाचन की मानी जाती है। सरकार का गठन विधानसभा सत्र कुछ दिन बाद हुआ, इससे उसका कुछ लेना-देना नहीं है।
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