झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी केा चुनौती देने वाली याचिका को झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को सही बताते हुए राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस केस को आगे बढ़ाने के लिए ईडी के पास पर्याप्त सबूत है । इसलिए कोर्ट इस समय मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी केा चुनौती देने वाली याचिका को झारखंड हाई कोई ने शुक्रवार को खारिज कर दी।
झारखंड हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस चंद्रशेखर और न्यायाधीश नवनीत कुमार की खंडपीठ ने अपने आदेश में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को सही बताते हुए राहत देने से इनकार कर दिया।अदालत ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा है कि प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होता है कि हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहने के दौरान सदर थाने में दर्ज प्राथमिकी में छेड़छाड़ की कोशिश की गई। यह संगीन मामला है।
कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि झारखंड पुलिस इस कार्य के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई करेगी, जिसमें प्राथमिकी से सेक्शन 120 बी हटाने की कोशिश की गई है।अदालत ने हेमंत सोरेन की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि यह राजनीति से प्रेरित मामला है। कोर्ट ने कहा कि इस केस को आगे बढ़ाने के लिए ईडी के पास पर्याप्त सबूत है। इसलिए कोर्ट इस समय मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
अदालत ने यह भी कहा है कि हेमंत सोरेन की याचिका के विरुद्ध ईडी ने कोर्ट में उनके विरुद्ध जो दस्तावेज प्रस्तुत की, उसपर हेमंत सोरेन ने किसी तरह की बहस नहीं की।
उन्होंने ईडी के दस्तावेजों व जांच रिपोर्ट को नकारा भी नहीं, केवल अपनी गिरफ्तारी को राजनैतिक विद्वेश बताते हुए राहत की मांग करते रहे। ईडी की रिपोर्ट यह साबित करती है कि हेमंत सोरेन बड़गाईं अंचल के पूर्व राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के साथ जमीन हड़पने में शामिल थे।
अदालत ने सुरक्षित रखा था फैसला
ईडी के हाथों अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई के बाद 28 फरवरी को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।
हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को गलत बताया था। उनकी ओर से हाईकोर्ट में कहा गया था कि जिस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है, वह मामला शेड्यूल अफेंस का नहीं है। उनके खिलाफ मनी मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है।बड़गाईं अंचल की जिस विवादित 8.44 एकड़ जमीन की बात कही जा रही है, उसके मूल दस्तावेज में हेमंत सोरेन के नाम का कोई जिक्र नहीं है। वहां कुछ लोगों ने कह दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की दखल वाली है, इस पर विश्वास करते हुए ईडी अनुसंधान में आगे बढ़ रही है।
इस केस में कोई भी साक्ष्य नहीं है और न ही ईडी अभी तक कोई साक्ष्य जुटा पाई है। जबकि ईडी का कहना था कि 16 अगस्त को अंचलाधिकारी बड़गाईं को राजकुमार पाहन द्वारा उनकी जमीन पर कब्जे की शिकायत के बाद आनन-फानन में 29 जनवरी 2024 को एसएआर कोर्ट ने अंतिम रूप से राजकुमार पाहन को उक्त जमीन का मालिकाना हक दे दिया।यह मालिकाना हक भी उन्हें दिल्ली में हेमंत सोरेन के आवास पर ईडी की छापेमारी के बाद दिया गया। पहले समन के बाद ही तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पावर का उपयोग करते हुए इस केस से संबंधित साक्ष्य को नष्ट करने की कोशिश की है। पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन को 10 समन जारी किया था, जिसमें से वह मात्र दो समन में ही ईडी के समक्ष उपस्थित हुए थे।
सर्वोच्च न्यायालय भी गए हैं हेमंत सोरेन
इस पूरे प्रकरण में हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट भी गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने याचिका दायर कर कहा था कि हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई 28 फरवरी को ही पूरी कर ली है, लेकिन 55 दिन बीत जाने के बाद भी फैसला नहीं सुनाया है। फैसला नहीं सुनाए जाने से वह इस मामले में आगे की न्यायिक प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट से उन्होंने जल्द फैसला सुनाने का निर्देश हाईकोर्ट को देने का आग्रह किया था। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और कहा था यहां मामला लंबित रहने के दौरान भी यदि हाईकोर्ट चाहे तो फैसला सुना सकता है।
यह भी पढ़े: Ranchi के दो होटलों में चल रहा था देह व्यापार, फिल्मी स्टाइल में पुलिस ने किया भंडाफोड़; चार गिरफ्तार
झारखंड सरकार की जल जीवन मिशन में नहीं दिलचस्पी... केंद्रीय मंत्री के बयान पर भड़के मिथिलेश ठाकुर, कहा- राज्य का किया अपमान
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।