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Hemant Soren: राज्यसभा सीट बंटवारे को लेकर झामुमो और कांग्रेस के विवाद के बाद झारखंड में क्या होगा?

Hemant Soren In Trouble मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रवैये से कांग्रेस सदमे में है। हेमंत ने ऐसा झटका दिया है कि कांग्रेस समझ नहीं पा रही कि उसे क्या करना चाहिए। पार्टी के भीतर मंथन जारी है। पार्टी कहीं टूट न जाए इस बात का भी खतरा बना हुआ है।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Tue, 31 May 2022 04:59 PM (IST)
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Hemant Soren: हेमंत सरकार से समर्थन वापस लेगी कांग्रेस... मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे मंत्री... क्या होगा सरकार का भविष्य
रांची, डिजिटल डेस्क। झारखंड की राजनीति अचानक गरमा गई है। झामुमो और कांग्रेस में भारी झगड़ा फंस गया है। हेमंत सोरेन सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। हेमंत सोरेन की सरकार क्या अब गिर जाएगी? यह सवाल हर किसी की जुबान पर इस समय शोर मचा रहा है। राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। अगर रघुवर दास की सरकार को छोड़ दिया जाए तो वैसे भी झारखंड का इतिहास रहा है कि कोई भी सरकार पांच साल नहीं चली है। क्या इस बार भी ऐसा ही कुछ होने जा रहा है? हर कोई अपने अपने तरीके से राजनीतिक विशलेषण कर रहा है। राज्यसभा चुनाव में झामुमो द्वारा अपना प्रत्याशी घोषित कर दिए जाने के बाद से कांग्रेस पूरी तरह से बौखला गई है और झामुमो ने चुप्पी साध रखी है। इस बीच मुख्य विपक्षी दल भाजपा मौज ले रही है। झारखंड तेजी से अस्थिरता की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यसभा चुनाव में झामुमो के प्रत्याशी देने पर कांग्रेस की नाराजगी पर सिर्फ इतना कहा कि सरकार और राज्यसभा चुनाव अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि झारखंड को हमेशा बदनाम करने की साजिश होती रही। वर्तमान में जो हो रहा है वह इसका उदाहरण है।

हेमंत सोरेन ने इस तरह दिया कांग्रेस को गच्चा

कांग्रेस द्वारा पहले विनम्रता से राज्यसभा सीट की मांग। फिर हेमंत सोरेन की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात। इसके बाद दिल्ली से लौट कर हेमंत सोरेन द्वारा अचानक महुआ माजी को प्रत्याशी घोषित कर दिया जाना, इस राजनीतिक घटनाक्रम ने कांग्रेस को औकात में ला दिया है। कांग्रेस समझ नहीं पा रही कि अब उसे क्या करना है। कांग्रेस के भीतर भी दो तरह के सुर सुनाई दे रहे हैं। एक गुट जहां हेमंत साेरेन के प्रति साफ्ट नजर आ रहा तो दूसरा गुट उग्र है। कांग्रेस को डर सता रहा कि पार्टी कहीं टूट न जाए। यही वजह है कि झारखंड कांग्रेस प्रभारी आननफानन में दिल्ली से उड़कर रांची पहुंच गए हैं। पार्टी के विधायक इतने आक्रोशित नजर आ रहे थे कि बेचारे खुली बैठक भी नहीं कर सके। अंतत: अब एक एक कर सभी विधायकों से राय जान रहे हैं।

कांग्रेस विधायकों में एकजुटता नही, दो तरह की राय

कांग्रेस विधायकों की दो तरह की राय अब तक सामने आ चुकी है। कुछ विधायकों का कहना है कि अपमान सहकर सरकार चलाने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए पार्टी आलाकमान को कठोर फैसला लेना चाहिए। कठोर फैसले का अर्थ सिर्फ यही हो सकता कि हेमंत सरकार से समर्थन वापसी। लेकिन कुछ विधायकों को भाजपा का भी डर सता रहा है। इसलिए उनकी राय है कि सरकार को अब बाहर से समर्थन दिया जाए। यानी मंत्रिमंडल में अब शामिल रहने की कोई जरूरत नहीं है। मंत्रियों के इस्तीफे का दबाव दिख रहा है। एक विधायक ने यहां तक कह डाला कि झामुमो को समर्थन जारी रखना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी की लुटिया डूब जाएगी।

कांग्रेस विधायकों के तीखे बयान, भाजपा ले रही चुटकी

कल से आज तक कांग्रेस विधायकों ने जिस तरीके के बयान दिए हैं इससे भी पार्टी के मूड का अंदाजा लगाया जा सकता है। विधायक इरफान अंसारी कह चुके हैं कि पत्थर तो हजारों ने मुझे मारे थे, मगर जो दिल पर आके लगा वह एक दोस्त ने मारा था। इसी तरह विधायक दीपिका पांडेय ने हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा है कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि। पूर्व विधायक सुखदेव भगत तो साफ शब्दों में कह चुके हैं कि निर्णय कठोर लिए जाते हैं, कायर समर्पण करते हैं। इस बीच भाजपा जले पर नमक छिड़कने में पीछे नहीं है। भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कह रहे कि सारे मान-सम्मान गिरवी रखकर, सारे अपमान सहकर भी हम सरकार में बनें रहेंगे...। हम हैं झारखंड के कांग्रेसी।

कांग्रेस सम्मेलन में बन्ना गुप्ता ने की हेमंत की आलोचना

मालूम हो कि हेमंत सोरेन की सरकार से कांग्रेस की नाराजगी पहली दफा नहीं है। चंद माह पहले ही कांग्रेस का सम्मेलन हुआ था। उस सम्मेलन में झारखंड सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता ने दो टूक कह दिया था कि हेमंत सोरेन कांग्रेस को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहते हैं। तब बन्ना गुप्ता के बयान पर खूब बवाल मचा था। खुद कांग्रेस के विधायकों ने बन्ना गुप्ता के बयान की आलोचना की थी। अब बन्ना गुप्ता चुप हैं और विधायक उनकी पुरानी बात दोहराते नजर आ रहे हैं। पार्टी के भीतर अब आग धधक रही है। यह आग हेमंत सरकार के लिए कितना खतरनाक साबित होती है, यह तो भविष्य ही बताएगा।

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