लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड में JMM ने चला बड़ा दांव, भाजपा का प्लान हो सकता है फेल; ये खिलाड़ी करेंगे 'खेल'
Lok Sabha Poll चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में रणनीतिक बदलाव की ओर बढ़ रही है। सोरेन परिवार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सालों से घेरते रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चंपई सोरेन को शुभकामना देते हुए उन्हें आंदोलन की उपज बताया है। चंपई सोरेन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप भी नहीं है।
राज्य ब्यूरो, रांची। चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में रणनीतिक बदलाव की ओर बढ़ रही है। सोरेन परिवार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सालों से घेरते रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चंपई सोरेन को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें आंदोलन की उपज बताया है। चंपई सोरेन पर भ्रष्टाचार को कोई आरोप भी नहीं है।
ऐसे में आंदोलन से जुड़ाव और साफ छवि की वजह से चंपई सोरेन भाजपा को कई जगह देते नहीं दिखते हैं। कोल्हान में झामुमो और भाजपा की लड़ाई में वो हमेशा बीस पड़ते रहे हैं। हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वयं आदिवासी हैं और नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी अनुसूचित जाति से आते हैं। इन दोनों की छवि भी स्वच्छ है। ऐसे में सामाजिक तौर पर भाजपा को झामुमो से बराबर की टक्कर मिलने की उम्मीद है।
हार्डकोर छवि के नेता रहे हैं सीएम चंपई
नवनियुक्त मुख्यमंत्री चंपई सोरेन झामुमो के हार्डकोर माने जाते हैं। संगठन और शिबू सोरेन के प्रति निष्ठा की वजह से पार्टी ने उन्हें परिवार से बाहर जाकर राज्य का मुख्यमंत्री बनाया है। विधानसभा में भी वो भाजपा की नीतियों और नेताओं की जमकर आलोचना करते रहे हैं। आदिवासी वोटरों और नेताओं से जुड़ाव के मामले में भी वो झामुमो के सबसे अहम नेता रहे हैं। भाजपा को उनकी हार्ड लाइन से चुनौती मिलेगी।झामुमो में बिखराव और असंतोष पर भाजपा की नजर
झारखंड मुक्ति मोर्चा में पहली बार सोरेन परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को विधायक दल का नेता बनाया गया है, जबकि शिबू सोरेन के सबसे छोऐ बेटे बसंत सोरेन और बड़े बेटे की बहू सीता सोरेन भी विधायक हैं। परिवार की विरासत बाहर जाने से असंतोष की बातें भी सामने आई हैं। भाजपा को उम्मीद है कि यह दरार आने वाले दिनों में और बढ़ेगी।
इसके अलावा चम्पाई सोरेन कोल्हान इलाके से आते हैं, जबकि संताल परगना से आने वाले स्टीफन मरांडी, लोबिन हेम्ब्रम, नलिन सोरेन जैसे नेता लंबे समय से झामुमो के साथ रहने के बाद भी सबसे बड़े पद से वंचित रहे। संताल से पहले हेमलाल मुर्मू, साइमन मरांडी जैसे झामुमो नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।
हालांकि, कुछ समय बाद वो वापस आ गए लेकिन यह असंतोष बढ़ा तो झामुमो की परेशानी बढ़ेगी। भाजपा इस पर भी नजर जमाए हुए है।
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