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Hemant Soren: हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद होने की अधिसूचना आज होगी जारी

Hemant Soren News देशभर की निगाहें इस समय झारखंड राजभवन की ओर टिकी हुई हैं। हर कोई इस बात का इंतजार कर रहा कि राज्यपाल रमेश बैस आज हेमंत सोरेन के बारे में क्या फैसला सुनाएंगे। इसके बाद हेमंत सोरेन के भविष्य का क्या होगा। पढ़िए यह रिपोर्ट।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 09:28 AM (IST)
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Jharkhand CM Hemant Soren: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व राज्यपाल रमेश बैस।
रांची, राज्य ब्यूरो। Hemant Soren Office Of Profit Case खान विभाग का मंत्री रहते अपने नाम से खनन पट्टा लेने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झारखंड विधानसभा की सदस्यता रद करने को लेकर भारत निर्वाचन आयोग से रिपोर्ट मिलने के बाद सभी की नजरें राजभवन पर टिकी हैं। राज्यपाल रमेश बैस आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं तथा उसपर विधि विशेषज्ञों से परामर्श कर रहे हैं। यह भी तय माना जा रहा है कि राजभवन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की झारखंड विधानसभा की सदस्यता रद करने की अधिसूचना शुक्रवार को किसी भी समय जारी कर सकता है। इसे लेकर राजभवन की गतिविधियां आज सुबह से ही बढ़ गई हैं।

राज्यपाल किसे बनाएंगे झारखंड का कार्यवाहक मुख्यमंत्री

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में हेमंत सोरेन की बरहेट विधायक के रूप में विधानसभा की सदस्यता रद करने की अनुशंसा भी गई है। हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए राहत की बात यह है कि उक्त रिपोर्ट में उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य करने का कोई जिक्र नहीं किया गया है। हालांकि, राज्यपाल रमेश बैस पर यह निर्भर करता है कि वे केवल हेमंत की सदस्यता रद करते हैं या कुछ समय के लिए उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर सकते हैं। चूंकि यह लाभ के पद से जुड़ा है, इसलिए राज्यपाल इसके आगे भी कोई निर्णय ले सकते हैं। यदि राज्यपाल केवल सदस्यता रद करते हैं तो राजभवन महागठबंधन के अगले कदम के निर्णय का इंतजार कर सकता है। इधर, बड़ा सवाल यह भी है कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद होती है तथा मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देते हैं तो राज्यपाल किसे कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाएंगे? चूंकि हेमंत सदस्यता जाने के बाद विधायक नहीं रह जाएंगे। वह लाभ के पद के भी दोषी होंगे तो उन्हें इसकी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकेगी।

खनन की अनुमति नहीं मिलने पर कर दिया था लीज सरेंडर

बता दें कि मुख्यमंत्री द्वारा खनन पट्टा लेने की भाजपा की शिकायत पर राज्यपाल ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद करने को लेकर भारत निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा था। भाजपा ने इसी आधार पर उनकी सदस्यता रद करने की मांग की थी। राज्यपाल द्वारा मंतव्य मांगे जाने के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने सुनवाई के क्रम में भाजपा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब मांगा। सुनवाई पूरी होने के बाद आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल, यह मामला मुख्यमंत्री के नाम रांची के अनगड़ा प्रखंड में खनन पट्टा लीज पर आवंटन से जुड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम लीज आवंटित किया। हालांकि मामला विवादित होने के बाद मुख्यमंत्री ने लीज आवंटन को वापस कर दिया था। हेमंत सोरेन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि यह लीज उन्हें 14 साल पहले 17 मई 2008 को 10 साल के लिए मिली थी। वर्ष 2021 में इसका रिन्यूअल मिला था। खनन की अनुमति नहीं मिलने पर लीज सरेंडर भी कर दिया था।

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