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Hemant Soren: 'जब हेमंत का जन्म ही 1975 में हुआ तो फिर...', HC में सामने आई सबसे चौंकाने वाली बात

हेमंत सोरेन की ओर सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। केंद्र सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विनोद सिंह के वॉट्सऐप चैट में जिस 8.86 जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात कही जा रही है वह उस जमीन का नहीं है।

By Manoj Singh Edited By: Rajat Mourya Published: Thu, 13 Jun 2024 08:48 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2024 08:48 PM (IST)
झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर सुरक्षित रखा फैसला। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में भूमि घोटाला मामले में आरोपित पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। मामले में दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता एसवी राजू ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अनधिकृत रूप से बड़गाईं अंचल के 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। यह पीएमएलए एक्ट में निहित प्रविधानों के तहत मनी लॉन्ड्रिंग है। हेमंत सोरेन भूमि घोटाला के सबसे बड़े लाभुक हैं और वह काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं।

ईडी की ओर से कहा गया कि हेमंत सोरेन ने स्वयं को को बचाने के लिए राज्य के अधिकारियों का उपयोग किया है। जमानत मिलने पर हेमंत सोरेन जांच को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। उन्हें जमानत की सुविधा नहीं दी जाए। हेमंत सोरेन ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया।

ईडी ने कहा कि बड़गाईं स्थित जमीन पर बैंक्वेट हाल बनाए जाने की योजना थी। आर्किटेक विनोद सिंह ने नक्शा बना कर हेमंत सोरेन के मोबाइल पर भेजा था। विनोद सिंह ने सर्वे के दौरान बड़गाईं स्थित जमीन की पहचान की थी। हिलेरियस कच्छप ने भी हेमंत सोरेन को इस जमीन पर अवैध कब्जा करने में मदद की थी। इस जमीन पर हिलेरियस ने ही अपने नाम पर बिजली का कनेक्शन लिया था और इस जमीन की घेराबंदी भी कराई थी।

यह मनी लॉन्ड्रिंग नहीं, राजनीतिक प्रतिशोध का मामला

हेमंत सोरेन की ओर सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। केंद्र सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि विनोद सिंह के वॉट्सऐप चैट में जिस 8.86 जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात कही जा रही है, वह उस जमीन का नहीं है। यह केवल ईडी का अनुमान है। उनकी ओर से कहा कि सदर थाना में जो मामला दर्ज हुआ है, उसकी जांच अभी बाकी है। ईडी कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है, इसलिए जमानत याचिका दाखिल की गई है।

'हेमंत का जन्म 1975 को हुआ और जमीन की डील...'

कोर्ट को यह भी बताया गया कि हेमंत सोरेन का जन्म वर्ष 1975 में हुआ और इस भूमि की खरीद-बिक्री 1970 के आसपास ही हो गई थी। भानू प्रताप के पास से जो दस्तावेज बरामद हुए थे, उसमें हेमंत सोरेन का कहीं भी नाम नहीं था। जिस जमीन की बात की जा रही है, उसका एक भी टुकड़ा भी हेमंत सोरेन के नाम पर नहीं है। यह केस पूरी तरह बेबुनियाद है। हेमंत सोरेन को जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी कोर्ट रूम में मौजूद थीं। बता दें कि हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।

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