Hemant Soren: 134 दिनों से जेल में हैं हेमंत, अब जाकर उठा राज से पर्दा! ED ने HC में कही ये बात
हेमंत सोरेन 134 दिनों से जेल में बंद हैं। अब ईडी ने कोर्ट में अहम खुलासा किया है। हेमंत सोरेन के तत्कालीन मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने स्वीकार किया है कि उन्होंने सीएमओ में कार्यरत उदय शंकर को बरियातू की विवादित जमीन का सत्यापन का निर्देश दिया था। इसके बाद उदय शंकर ने बड़गाईं के तत्कालीन अंचलाधिकारी मनोज कुमार को उक्त जमीन का सत्यापन करने को कहा था।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में भूमि घोटाला मामले में आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। ईडी ने हेमंत सोरेन के दावों को गलत बताते हुए कहा कि बड़गाई की जमीन अपने नाम करने के लिए उन्होंने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद ली।
बुधवार को ईडी की बहस पूरी नहीं हो सकी, जिसके बाद अदालत ने गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखने की बात कही। सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता एसवी राजू ने अदालत को बताया कि हेमंत सोरेन का बड़गाई में 8.86 एकड़ की जमीन पर कब्जा है। बड़गाई के अंचल अधिकारी, राजस्व कर्मी भानु प्रताप एवं उनके प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने पूछताछ के दौरान इसकी पुष्टि की है।
हेमंत सोरेन के तत्कालीन मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने स्वीकार किया है कि उन्होंने सीएमओ में कार्यरत उदय शंकर को बरियातू की विवादित जमीन का सत्यापन का निर्देश दिया था। इसके बाद उदय शंकर ने बड़गाईं के तत्कालीन अंचलाधिकारी मनोज कुमार को उक्त जमीन का सत्यापन करने को कहा था।
तत्कालीन सीओ मनोज कुमार ने अपने बयान में कहा है कि अभिषेक प्रसाद पिंटू और सीएमओ में कार्यरत उदय शंकर के कहने पर उन्होंने हल्का कर्मी भानू प्रताप को इस जमीन का सर्वे करने का निर्देश दिया था। भानु प्रताप प्रसाद जमीन पर अवैध कब्जे से जुड़ी गतिविधियों में हेमंत सोरेन की मदद कर रहे थे।
ईडी ने अदालत को बताया कि हेमंत सोरेन का जुड़ाव उन सबूतों से है, जो ईडी की अलग-अलग छापेमारी में मिले हैं। बड़गाईं अंचल के हल्का कर्मचारी भानू प्रताप के ठिकाने से दस्तावेजों से भरा हुआ जो ट्रंक बरामद हुआ था, उसमें कई ऐसे कागजात मिले हैं, जो भूमि घोटाला से ही संबंधित हैं।
भानु प्रताप प्रसाद, सद्दाम हुसैन एवं अन्य लोग सरकारी जमीनों के दस्तावेज में बदलाव कर नए दस्तावेज बनाकर जमीन पर कब्जा करने का एक बड़ा सिंडिकेट चला रहे थे। हेमंत सोरेन से लेकर कई सरकारी अफसर इनसे मिले हुए थे। हेमंत सोरेन ने इस जमीन पर गैरकानूनी तरीके से 2009-10 में कब्जा जमाया है। इस जमीन की चारदीवारी करा दी गई। हिलेरियस कच्छप को इस भूमि की देखरेख के लिए हेमंत सोरेन ने रखा था। इस जमीन का ईडी ने भी सर्वे किया था।
सर्वे के दौरान जमीन के केयरटेकर संतोष मुंडा ने बताया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है। हेमंत सोरेन के सहयोगी आर्किटेक्ट विनोद कुमार के मोबाइल से नक्शा मिला है, जिससे पता चला है कि इस जमीन पर एक बैंक्वेट हाल बनाने की तैयारी चल रही थी। बैंक्वेट हाल जिस जमीन पर बनाया जाना था, उसके सरकारी रिकार्ड में हेराफेरी कर हेमंत सोरेन को कब्जा दिलाया गया था।ईडी ने कहा कि बचाव पक्ष ने ईडी के सबूतों पर जो सवाल खड़े किए हैं, वो पूरी तरह से बेबुनियाद हैं, क्योंकि राज्य सरकार के कर्मचारियों की मौजूदगी में सभी सबूतों को सील किया गया है और जब्ती सूची पर सभी के हस्ताक्षर हैं। ईडी की बहस सुनने के बाद अदालत ने हेमंत सोरेन के अधिवक्ता को लिखित बहस जमा करने का निर्देश दिया है।
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