Hemant Soren: हेमंत सोरेन ने जेल से बाहर आते ही कर दिया खेला, भौचक्का रह गई भाजपा; अगर अब हुए गिरफ्तार तो...
Hemant Soren झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन द्वारा एक बार फिर राज्य की सत्ता की चाबी हाथ में लेने के फैसले से राजनीतिक गलियारे में अपने-अपने तरीके से देखा जा रहा है। भाजपा इसे जल्दबाजी बताते हुए उनकी घेराबंदी की रणनीति बनाने में जुट गई है। दरअसल भाजपा को इसका आभास भी नहीं था कि हेमंत सोरेन जेल से आते ही सीएम पद की शपथ ले लेंगे।
राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा को इसका आभास नहीं था कि हेमंत सोरेन जेल से बाहर आने के एक हफ्ते के भीतर ही सीएम की कुर्सी संभालने को तैयार हो जाएंगे।
हेमंत सोरेन ने संभलने का मौका दिए बगैर अपनी चाल चली। उनके इस कदम के मायने भी हैं। इसके पीछे अदालत द्वारा उन्हें जमानत स्वीकृत करने के फैसले पर भी एक नजर दौड़ाना होगा।
28 जून को झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय ने दिए गए फैसले में कहा है कि ईडी के पास हेमंत सोरेन के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं हैं। हेमंत सोरेन दोषी नजर नहीं आते।
ईडी इस फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में जाने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में अगर न्यायालय का प्रतिकूल फैसला भी आता है तो हेमंत सोरेन पुराने निर्णय को नहीं दोहराएंगे।
ईडी द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद उन्होंने इसी वर्ष 31 जनवरी को इस्तीफा देकर चम्पाई सोरेन को सत्ता सौंपी थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस प्रकरण में राह दिखाई है।
जेल में रहने के बाद भी वे पद पर बने हुए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल ने हेमंत सोरेन का उल्लेख करते हुए कहा भी था कि उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए था।
ईडी पर निशाना साधने का मौका
हेमंत सोरेन का अगला मिशन विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना होगा। वे आरंभ से केंद्रीय एजेंसियों के विरुद्ध मुखर रहे हैं और उन्होंने अपने विरुद्ध कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है। जमानत पर अदालत का फैसला उन्हें इस दिशा में विरोधियों पर निशाना साधने का मौका प्रदान करेगा।
हेमंत सोरेन के साथ-साथ कांग्रेस का मनोबल भी इससे बढ़ा है। राज्य में कांग्रेस की काफी हद तक निर्भरता उनपर है। यही वजह है कि कांग्रेस इस फैसले में उनके साथ खड़ी है।
पार्टी के विधायकों ने बुधवार की बैठक के दौरान भी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए आम सहमति बनाई तो इसका कारण यही है आलाकमान की तरफ से हर कदम पर हेमंत सोरेन के साथ खडे़ रहने का निर्देश है। जेल से हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने हेमंत सोरेन से फोन पर बातचीत भी है।
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