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Hemant Soren: जेल में बंद हेमंत सोरेन पर सस्पेंस खत्म! लोकसभा चुनाव लड़ने पर आ गया ताजा अपडेट, सियासी हलचल तेज

झारखंड में लोकसभा का चुनाव दिलचस्प होने वाला है। ऐसी खबर है कि हेमंत सोरेन जेल से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। वह अपने पिता की जगह दुमका सीट से चुनावी ताल ठोंक सकते हैं। सूत्रों की माने तो शिबू सोरेन की उम्र 80 साल हो गई है ऐसे में वह इस बार लोकसभा के चुनावी समर में नहीं उतरना चाहते हैं।

By Neeraj Ambastha Edited By: Mohit Tripathi Updated: Thu, 14 Mar 2024 09:17 PM (IST)
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जेल से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे हेमंत सोरेन। (फाइल फोटो)

नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आगामी लोकसभा इलेक्शन में चुनावी ताल ठोंकते नजर आ सकते हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में झारखंड के कई कद्दावर नेता चुनाव नहीं लड़ेंगे। इन कद्दावर नेताओं में शिबू सोरेन का नाम भी सामने आ रहा है।

शिबू की जगह हेमंत लड़ेंगे चुनाव

इसी साल 11 जनवरी को अपना 80वां जन्मदिन मनानेवाले सबसे धाकड़ नेता शिबू सोरेन के बारे में कहा जा रहा है कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। अधिक उम्र होने के कारण वे क्षेत्र में सक्रिय भी नहीं हैं।

शिबू वर्तमान में राज्यसभा सदस्य भी हैं। उनकी जगह सोरेन परिवार के किसी सदस्य के चुनाव लड़ने की चर्चा है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि खुद हेमंत सोरेन भी जेल से ही दुमका से चुनाव लड़ सकते हैं।

2019 में दुमका सीट से हार गए थे शिबू

वर्ष 2019 के पिछले चुनाव में शिबू सोरेन को भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने हराया था। इससे पहले वे आठ बार दुमका संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके थे।

वर्ष 1980 में पहली बार जीतने के बाद शिबू सोरेन वर्ष 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 के आम चुनावों में यहां अपना परचम लहराते रहे।

दुमका सीट पर उनकी सिर्फ़ तीन बार हार हुई। पहली बार 1984 में कांग्रेस के पृथ्वी चंद किस्कू ने उन्हें शिकस्त दी। इसके बाद वर्ष 1998 और 1999 के चुनावों में उन्हें भाजपा प्रत्याशी के रूप में बाबूलाल मरांडी ने हराया था।

इन कद्दावर नेताओं के चुनाव लड़ने पर भी सस्पेंस

शिबू सोरेन के अलावा, बाबूलाल मरांडी, सुदर्शन भगत और हेमलाल मुर्मू जैसे दिग्गजों के भी चुनाव लड़ने पर संशय है। वर्ष 2009 से अबतक लगातार तीन बार लोहरदगा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीतनेवाले सुदर्शन भगत इस बार टिकट नहीं मिलने से चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी ने उनकी जगह राज्यसभा सदस्य समीर उरांव को टिकट दिया है।

बाबूलाल भी नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

यही बाबूलाल वर्ष 2019 के चुनाव में गठबंधन के तहत उनके पक्ष में प्रचार कर रहे थे। उस समय वे झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष थे। बाबूलाल ने पिछला लाेकसभा चुनाव कोडरमा से झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर लड़ा था, जहां अन्नपूर्णा देवी से उन्हें हार मिली थी। भाजपा में वापसी के बाद वे वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

हेमलाल मुर्मू के चुनाव लड़ने पर संशय

झारखंड के एक और कद्यावर नेता हेमलाल मुर्मू हैं, जिनके भी चुनाव लड़ने पर संशय है। झामुमो के इस धाकड़ नेता ने राजमहल संसदीय सीट से वर्ष 2004 में जीत हासिल की थी। हालांकि वर्ष 2014 में ये झामुमो छोड़कर भाजपा चले गए थे, जिसके टिकट पर वर्ष 2014 तथा 2019 में राजमहल से चुनाव लड़ा, लेकिन निराशा हाथ लगी। लगभग नौ वर्ष बाद इनकी झामुमो में वापसी हो गई है।

राजमहल से ही लगातार दो बार चुनाव जीत चुके झामुमो के विजय हांसदा को ही वहां से इस बार भी टिकट मिलने की उम्मीद है। ऐसे में हेमलाल के चुनाव लड़ने पर संशय है।

न तो दिखेंगे लक्ष्मण, न ही जगरनाथ

झारखंड के दो अन्य धाकड़ नेता भी कई बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके थे। लेकिन दोनों के निधन होने से इस बार वे चुनावी मैदान में नहीं दिखेंगे। इनमें सिंहभूम संसदीय सीट से चुनाव लड़नेवाले लक्ष्मण गिलुवा तथा गिरिडीह से पिछले लगातार दो चुनावों में अपना भाग्य आजमानेवाले जगरनाथ महतो जैसे नेता सम्मिलित हैं। दोनों का आकस्मिक निधन कोरोना के कारण हुआ था।

बता दें कि गिलुवा ने सिंहभूम से वर्ष 1999 तथा 2014 में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। जबकि 2004 तथा 2019 में उनकी कांग्रेस प्रत्याशी क्रमश: बागुन सुम्ब्रई तथा गीता कोड़ा से हार मिली थी। वहीं, जगरनाथ महतो ने वर्ष 2014 तथा 2019 में गिरिडीह से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था।हालांकि दोनों बार उन्हें जीत नहीं मिल सकी थी।

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