Ram Navami 2024 date नौ अप्रैल से हिंदू नवसंवत्सर शुरू हो रहा है। इसी दिन से वासंतिक नवरात्र भी शुरू होगा। आदिवासियों के नए साल का आगाज भी चैत के महीने में ही होता है। रांची में प्रकृति पर्व सरहुल की शोभायात्रा 11 अप्रैल से निकाली जाएगी। बंगाली समुदाय भी 14 अप्रैल को नए साल का स्वागत करेंगे। यानी कि एक के बाद एक त्योहारों की धूम है।
जासं, रांची। चैत से हिंदू नए साल (Hindu Nav Varsh 2024) का आगाज हो जाता है। नौ अप्रैल को नया साल शुरू हो जाएगा। इसके बाद आदिवासियों का भी नया साल इसी चैत माह से ही प्रारंभ होता है और फिर बंग समुदाय का भी नूतन वर्ष। इस बार ईद का पर्व भी 11 या 12 को मनाया जाएगा।
वहीं, 11 अप्रैल को गणगौर पूजा भी मारवाड़ी समाज मनाएगा। हालांकि, 16 दिनों का यह उत्सव चल रहा है। 11 को गणगौर पूजा के दिन ही प्रतिमाओं का विसर्जन होगा। ईसाई समुदाय का प्रभु का जन्म संदेश आठ अप्रैल को है। 14 को पास्का का तीसरा रविवार है। अप्रैल हर धर्म-समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
नौ अप्रैल से नवरात्र व नए साल का प्रारंभ
नौ अप्रैल से वासंतिक नवरात्र प्रारंभ (Hindu Nav Varsh 9th April) हो रहा है। इसी दिन से नए संवत 2081 का (Hindu Nav Varsh 2024 Date) भी श्री गणेश हो रहा है। पं रामदेव पांडेय ने बताया कि इसी सप्ताह चैती छठ भी है। 14 अप्रैल को छठ पर्व मनाया जाएगा।15 को सप्तमी पारण है। नवरात्र का कलश स्थापना नौ अप्रैल को है। साल में दो नवरात्र मनाया जाता है। शारदीय व वासंतिक। इसी समय चैती दुर्गा पूजा भी मनेगी।
धुर्वा में बंगाली समाज चार दिनों की चैती दुर्गा पूजा का आयोजन करता है। हर संध्या यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है। कोलकाता से भी कलाकार यहां आते हैं।
गीत-नृत्य से लेकर काव्यपाठ होता है। पूरे शहर का बंग समाज यहां चार दिनों तक उत्सव में सराबोर रहता है। वहीं, नए साल पर बड़ा तालाब में दीपदान का भी आयोजन किया जाता है।
11 को निकलेगी सरहुल की भव्य शोभायात्रा
वैसे तो आदिवासी समुदाय कोई एक दिन पर्व नहीं मनाता है। वह पूरे माह मनाता है। पर, रांची में प्रकृति पर्व सरहुल की शोभायात्रा (Sarhul Procession 2024) साठ के दशक में शुरू हुई थी। इस बार 11 अप्रैल को सरहुल की शोभायात्रा (Sarhul Procession 2024 Date) निकलेगी।
इसमें करीब रांची और आसपास के सैकड़ों संगठन के लोग भाग लेते हैं। तरह-तरह की झांकियां निकलती हैं। मांदर-ढोल-नगाड़े की थाप पर आदिवासी समाज नृत्य (Sarhul Puja Procession on 11th April) करता हुआ सिरमटोली पहुंचता है। यहीं पर इसका समापन होता है।
बंग समाज 14 को करेगा नए साल का स्वागत
बांग्ला समाज का नया साल 14 अप्रैल से शुरू होगा। हालांकि उत्सव में अभी से बंग समुदाय के लोग जुट गए हैं। डा. पंपासेन विश्वास कहती हैं कि 14 अप्रैल का धूमधाम से नए साल का स्वागत किया जाएगा। जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
कथाकार पंकज मित्र कहते हैं कि 'पोइला बोइशाख' यानी बांग्ला कैलेंडर के प्रथम माह बैशाख के प्रथम दिवस पर आयोजित होनेवाले छोटे-बड़े समारोहों में राष्ट्रगान की तरह ही अनिवार्यत: गाया जानेवाला यह गीत नववर्ष का आगमनी गीत तो है ही बांग्ला की जातीय स्मृति का अभिन्न अंग भी रहा है।शारदीय नवरात्र के आरंभ होने से पूर्व जिस तरह 'महिषासुरमर्दिनी' या 'महालया' का पाठ एवं गायन बंगभाषी समुदाय की नस-नाड़ी में स्फुरण भर देता है, वैसे ही 'एशो हे बोइशाख' के गायन से नववर्ष के आगमन का संकेत रुधिर वाहिकाओं में नगाड़े की तरह बजने लगता है। यूनियन क्लब, देशप्रिय क्लब, मेकान कम्युनिटी हाॅल में इस दिन विशेष कार्यक्रम होंगे।
17 को निकलेगा रामनवमी का जुलूस
होली के बाद प्रथम मंगलवार से ही रामनवमी का उत्सव (Ram Navami 2024) शुरू हो जाता है। हर मंगलवार को अखाड़े महावीर चौक पर प्रदर्शन करते हैं। इस बार शहर में 17 को रामनवमी (Ram Navami on 17th April) का भव्य जुलूस निकलेगा। करीब पूरा शहर ही सड़कों पर उतर जाता है। हर घर पर महावीरी पताका भी फहराने लगता है।राम भले अयोध्या में प्रकट हुए हों, पर, झारखंड की रामनवमी (Ram Navami 2024 Date) देश में प्रसिद्ध है। इसकी शुरुआत सौ साल पहले हजारीबाग से हुई थी और इसके बाद रांची से। अब झारखंड के कई जिलों से रामनवमी का जुलूस निकलता है। अखाडें अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन करते हैं। विश्व प्रसिद्ध बैंड और भजन गायक भी यहां अपना कार्यक्रम देते हैं।
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