Move to Jagran APP

झारखंड में अबतक कोई दल अकेले नहीं ला सका है बहुमत की 41 सीटें, अस्थिर सरकारों का रहा है इतिहास

Jharkhand Assembly Elections 2024 झारखंड में गठबंधन की सरकारों तथा अस्थिर सरकारों का लंबा इतिहास रहा है। झारखंड में 2005 से 2019 तक तो अस्थिर सरकारों का ऐसा दौर चला कि तीन बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। राज्य के गठन के बाद सरकार बनाने-गिराने का राजनीतिक खेल कुछ यूं चला कि 24 वर्षों में 13 मुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं।

By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 25 Oct 2024 10:06 PM (IST)
Hero Image
झारखंड में अबतक कोई दल अकेले नहीं ला सका है बहुमत की 41 सीटें।
अभिषेक पोद्दार, धनबाद। झारखंड में गठबंधन की सरकारों तथा अस्थिर सरकारों का लंबा इतिहास रहा है। राज्य में 2005 से 2019 तक तो अस्थिर सरकारों का ऐसा दौर चला कि तीन बार राज्य में राष्टपति शासन लगाना पड़ा, जबकि सरकार बनाने-गिराने का राजनीतिक खेल कुछ यूं चला कि 24 वर्षों में 13 मुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं।

81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है, लेकिन 24 वर्षों के दौरान हुए पांच चुनावों में में अबतक कोई भी पार्टी यहां इतनी सीटें अकेले नहीं ला सकी हैं।

गिरती-बदलती रहीं गठबंधन की सरकारें

यही वजह है कि यहां गठबंधन की सरकारों का ही दौर चलता रहा और अलग-अलग कारणों से सरकारें बीच में ही गिरती-बदलती रहीं। पहली बार 2014 से 2019 तक भाजपा की रघुवर सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था।

इसके बाद हेमंत सोरेन की सरकार भी पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी है, लेकिन राजनीतिक संकट की स्थिति के कारण मुख्यमंत्री बदलने का दौर इसमें भी चला। वर्ष 2005 में झारखंड में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा अकेले 30 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।

वहीं, दूसरे नंबर पर रहे झामुमो को 17, कांग्रेस को नौ और आजसू को दो सीटें मिली थी। विधानसभा चुनाव 2009 के नतीजे देखें तो भाजपा और झामुमो दोनों महज 18-18 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं, कांग्रेस को 14 और आजसू को पांच सीटें मिली थीं।

2014 में भाजपा को सबसे अधिक 37 सीटें मिली थी। फिर भी वह अकेले बहुमत से दूर रह गई। वहीं, झामुमो को 19, कांग्रेस को 6 और आजसू को पांच सीटें मिली थी।

पिछली बार यानी विधानसभा चुनाव 2019 में झामुमो सबसे अधिक 30 सीटें मिली थी। भाजपा 25, कांग्रेस 16 और आजसू को महज दो सीटें मिल सकी थी। इस तरह झामुमो गठबंधन ने हेमंत सोरेन की अगुवाई में सरकार का गठन कर लिया था।

झारखंड में तीन-तीन बार क्यों महीनों तक लगाना पड़ा राष्ट्रपति शासन?

झारखंड में तीन बार ऐसे राजनीतिक संकट भी सामने आए, जब कई सियासी पार्टी आपस में मिलने के बावजूद सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सकी। गठबंधन भी फेल हो गए, जिसकी वजह से राज्य में तीन बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।

झारखंड में पहली बार 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 लगभग एक साल तक, दूसरी बार एक जनवरी 2010 से 10 सितंबर 2010 लगभग नौ महीने तक और तीसरी बार 18 जनवरी 2013 से 13 जुलाई 2013 तक लगभग छह महीने तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।

हालांकि, हर बार जोड़-तोड़ के बाद सरकार बनने के बाद राष्ट्रपति शासन हटा और फिर से विधानसभा चुनाव की नौबत नहीं आई।

चार पार्टियां ही जीत सकी हैं 10 से ज्यादा सीटें

राज्य में हुए पिछले चार विधानसभा चुनाव में अबतक चार पार्टियां ही 10 से ज्यादा सीट जीत पाई है। इसमें भाजपा, झामुमो, कांग्रेस और झाविमो शामिल है।

झाविमो ने 2009 के विधानसभा चुनाव में 11 सीटें जीती थी। हालांकि 2014 के चुनाव में इसकी सीट घटकर आठ हो गई थी। वर्तमान में झाविमो का भाजपा में विलय हो गया है।

2014 में भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

राज्य में हुए चार विधानसभा चुनाव में 2014 के चुनाव में भाजपा ने अबतक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया। इस चुनाव में भाजपा ने 37 सीटें जीती थी। वहीं 2005 के चुनाव में भाजपा 30, 2009 में 18 और 2019 में 25 सीटें मिली। दूसरी तरफ आजसू ने 2009 और 2014 में सबसे अधिक पांच-पांच सीटें अपने नाम की थी।

2019 में झामुमो व कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन

वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो और कांग्रेस ने अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इस चुनाव में झामुमो ने 30 व कांग्रेस ने 16 सीटें जीती थी।

वहीं, 2005 के चुनाव में झामुमो ने अबतक सबसे कम 17 व कांग्रेस ने 2014 के चुनाव में सबसे कम छह सीटें जीती थी। राजद ने 2005 में सात सीटें जीतकर अबतक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।