झारखंड में अबतक कोई दल अकेले नहीं ला सका है बहुमत की 41 सीटें, अस्थिर सरकारों का रहा है इतिहास
Jharkhand Assembly Elections 2024 झारखंड में गठबंधन की सरकारों तथा अस्थिर सरकारों का लंबा इतिहास रहा है। झारखंड में 2005 से 2019 तक तो अस्थिर सरकारों का ऐसा दौर चला कि तीन बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। राज्य के गठन के बाद सरकार बनाने-गिराने का राजनीतिक खेल कुछ यूं चला कि 24 वर्षों में 13 मुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं।
अभिषेक पोद्दार, धनबाद। झारखंड में गठबंधन की सरकारों तथा अस्थिर सरकारों का लंबा इतिहास रहा है। राज्य में 2005 से 2019 तक तो अस्थिर सरकारों का ऐसा दौर चला कि तीन बार राज्य में राष्टपति शासन लगाना पड़ा, जबकि सरकार बनाने-गिराने का राजनीतिक खेल कुछ यूं चला कि 24 वर्षों में 13 मुख्यमंत्री शपथ ले चुके हैं।
81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है, लेकिन 24 वर्षों के दौरान हुए पांच चुनावों में में अबतक कोई भी पार्टी यहां इतनी सीटें अकेले नहीं ला सकी हैं।
गिरती-बदलती रहीं गठबंधन की सरकारें
यही वजह है कि यहां गठबंधन की सरकारों का ही दौर चलता रहा और अलग-अलग कारणों से सरकारें बीच में ही गिरती-बदलती रहीं। पहली बार 2014 से 2019 तक भाजपा की रघुवर सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था।इसके बाद हेमंत सोरेन की सरकार भी पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी है, लेकिन राजनीतिक संकट की स्थिति के कारण मुख्यमंत्री बदलने का दौर इसमें भी चला। वर्ष 2005 में झारखंड में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा अकेले 30 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी।
वहीं, दूसरे नंबर पर रहे झामुमो को 17, कांग्रेस को नौ और आजसू को दो सीटें मिली थी। विधानसभा चुनाव 2009 के नतीजे देखें तो भाजपा और झामुमो दोनों महज 18-18 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं, कांग्रेस को 14 और आजसू को पांच सीटें मिली थीं।
2014 में भाजपा को सबसे अधिक 37 सीटें मिली थी। फिर भी वह अकेले बहुमत से दूर रह गई। वहीं, झामुमो को 19, कांग्रेस को 6 और आजसू को पांच सीटें मिली थी।
पिछली बार यानी विधानसभा चुनाव 2019 में झामुमो सबसे अधिक 30 सीटें मिली थी। भाजपा 25, कांग्रेस 16 और आजसू को महज दो सीटें मिल सकी थी। इस तरह झामुमो गठबंधन ने हेमंत सोरेन की अगुवाई में सरकार का गठन कर लिया था।
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