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Ranchi: दोनों किडनी फेल हो जाने पर 12 साल से कैसे जीवित है यह शख्स? इस तरह दूसरों को भी जीने की दिखा रहा राह

Jharkhand News लोहरदगा के निवासी माजिद 12 साल से मौत से जंग लड़ रहे हैं। वह दूसरों को भी जीने की राह दिखा रहे हैं। दोनों किडनी खराब होने के बाद भी डायलिसिस के माध्यम से जीवन से संघर्ष करना कोई माजिद से सीखे। माजिद कयूम का सप्ताह में दो दिन डायलिसिस होता है। वह खुद लोहरदगा में पीपीपी मोड पर संचालित डायलिसिस सेंटर के इंचार्ज भी हैं।

By Aysha SheikhEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 10 Sep 2023 02:03 PM (IST)
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दोनों किडनी फेल हो जाने पर 12 साल कैसे जीवित है यह शख्स...?
विक्रम चौहान, लोहरदगा : दूसरों को जीने का हौसला देना तो फिर भी संभव है, परंतु खुद को जीने का हौसला देना बेहद मुश्किल है।

लोहरदगा के शहरी क्षेत्र के सोमवार बाजार बंगला रोड के रहने वाले स्वर्गीय अब्दुल कयूम के पुत्र माजिद कयूम पिछले 12 साल से मौत के साथ जंग लड़ रहे हैं।

वर्ष 2011 में खराब हुई दोनों किडनी

उनकी खुद की दोनों किडनी वर्ष 2011 में खराब हो गई थी, जिसके बाद से डायलिसिस के सहारे आज एक सामान्य जीवन जी रहे हैं। साथ ही दूसरों को भी जीने की राह दिखा रहे हैं। सप्ताह में दो दिन माजिद का डायलिसिस होता है।

कभी वह डायलिसिस के लिए पटना या रांची जाते थे। इसमें काफी पैसे खर्च होते थे। शारीरिक परेशानी अलग से होती थी। हालांकि, अब लोहरदगा सदर अस्पताल में पीपीपी मोड पर संचालित डायलिसिस सेंटर में फ्री डायलिसिस सेवा का लाभ ले रहे हैं।

डायलिसिस सेंटर के माजिद कयूम इंचार्ज भी हैं

महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी डायलिसिस सेंटर के माजिद कयूम इंचार्ज भी हैं। केंद्र को संचालित करने वाली कंपनी एस्केग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड ने माजिद को लोहरदगा डायलिसिस सेंटर संचालित करने की जिम्मेदारी दी है।

माजिद प्रत्येक दिन अपने निजी व्यवसाय हार्डवेयर दुकान से समय निकालकर डायलिसिस सेंटर में भी समय देते हैं। यहां पर आने वाले मरीजों का हौसला बढ़ाते हैं। उन्हें जीने का जज्बा देते हैं।

कई मरीज जब पहली बार डायलिसिस के लिए पहुंचते हैं और उनके चेहरे पर एक डर और संशय का भाव दिखाई देता है तो माजिद उसे समझाते हैं। बताते हैं कि कैसे वह पिछले 12 साल से डायलिसिस कर रहे हैं और आज स्वस्थ हैं।

माजिद ने क्यों नहीं की शादी?

माजिद कहते हैं कि उन्होंने शादी नहीं की, फिर भी उन्हें कोई गम नहीं है। लगा कि दूसरी की जिंदगी क्यों बर्बाद करें। इसके साथ ही उन्होंने कई मरीजों को घर जाकर भी हिम्मत दी है।

उन्होंने बताया है कि अभी उम्मीद खत्म नहीं हुई है। हमें आगे बढ़ते जाना है। माजिद के परिवार में पांच भाई और छह बहनें हैं। दुर्भाग्य की स्थिति देखिए चार बहन इसी समस्या से जूझ रही थी। एक भाई को भी यही समस्या थी।

उनके परिवार में किडनी फेल एक जेनेटिक बीमारी के रूप में उभर कर सामने आई है। फिर भी पूरा परिवार एक-दूसरे की परेशानियों को समझता है। एक-दूसरे का साथ देता है।

रांची सदर में वर्ष 2018 में हुई डायलिसिस की शुरुआत

माजिद कहते हैं कि रांची सदर में वर्ष 2018 में डायलिसिस की शुरुआत हुई थी। लोहरदगा में डायलिसिस सेवा शुरू करने को लेकर उन्होंने एस्केग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड के डॉक्टर सत्यजीत से मुलाकात की थी।

उन्होंने कहा था कि वह कोलकाता जाएं और वहां कंपनी के वरीय पदाधिकारी से मिलें। माजिद लोहरदगा में केंद्र खुलवाने को लेकर कोलकाता भी गए। एस्केग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड के पदाधिकारी से भी मिले।

उन्होंने स्थानीय विधायक, पूर्व विधायक और अन्य नेताओं से भी मुलाकात की। सभी को समझाया कि लोहरदगा के लिए यह कितना जरूरी है।

उनकी इस मेहनत का परिणाम रहा कि झारखंड के 18 स्थान में से लोहरदगा में भी पीपीपी मोड पर डायलिसिस सेंटर शुरू हुआ। इस डायलिसिस सेंटर में प्रतिदिन आठ से दस लोगों का फ्री डायलिसिस किया जाता है। माजिद कयूम की इस कोशिश से कई लोगों को जिंदगी मिल गई है।

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