Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

बड़ा सवाल: हेमंत के बिना कितना एकजुट रह पाएंगे विधायक? JMM के सामने कई चुनौतियां, झटके से जल्‍द उबरना होगा

जमीन घोटाले में ईडी ने मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन को हिरासत में ले लिया और मुख्‍यमंत्री ने अपना इस्‍तीफा भी सौंप दिया है। इसके बाद चंपई सोरेन विधायक दल के नेता चुने गए हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्‍या हेमंत के बिना विधायकों को एकजुट रखना संभव हो पाएगा? कांग्रेस विधायकों के छिटकने का खतरा बना हुआ है।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Updated: Thu, 01 Feb 2024 01:07 PM (IST)
Hero Image
हेमंत सोरेन की गैर मौजूदगी में विधायकों को संभालना होगा मुश्‍किल।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड की राजनीति में फिर से उतार-चढ़ाव का दौर प्रारंभ हो गया है। झामुमो विधायक दल के नए नेता चंपई सोरेन पार्टी की विरासत को किस तरह समेट पाएंगे, यह बड़ा सवाल है। हेमंत सोरेन ने लंबे राजनीतिक करियर में अपने पिता और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन की जगह बनाई थी। लेकिन, अब जब उनका इस्तीफा हो गया है और परिवार से बाहर का व्यक्ति मुख्यमंत्री बनने के लिए चयनित किया गया है, तो विधायकों की एकजुटता पर भी सवाल होना उचित है।

विधायकों को खलेगी हेमंत की गैर मौजूदगी

हेमंत सोरेन की भाभी और जामा से विधायक सीता सोरेन हाल ही में अपनी महत्वाकांक्षा बता चुकी हैं। उनके पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की कार्यकर्ताओं के साथ मजबूत साझेदारी रही थी। बोरियो से झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी हेमंत सोरेन के रहते ही उनके खिलाफ मुखर थे।

हेमंत की गैर मौजूदगी में उन्हें संभालना भी मुश्किल होगा। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन अब स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सक्रिय नहीं रहते हैं। हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन भी दुमका से विधायक हैं। उनके आसपास भी झामुमो कार्यकर्ताओं का जमावड़ा रहता है। ऐसे में पार्टी में कुछ नए शक्ति केंद्र भी उभर सकते हैं। चंपई सोरेन के लिए हेमंत की अनुपस्थिति में इन तमाम मामलों पर काम करना चुनौतीपूर्ण रहेगा।

कांग्रेस विधायकों के छिटकने का खतरा

कांग्रेस के विधायकों की खेमेबंदी जगजाहिर है। फिलहाल सभी विधायक एकजुट हैं, लेकिन यह एकजुटता कबतक कायम रहेगी, कहना मुश्किल है। पूर्व में कांग्रेस के विधायकों में आपस में ही इसे लेकर विवाद हो चुका है। तीन विधायकों पर प्राथमिकी भी अपनी ही पार्टी के लोग दर्ज करा चुके हैं।

झामुमो के सामने हैं अब कई चुनौतियां

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। हेमंत सोरेन झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हैं।

भाई दुर्गा सोरेन के निधन के बाद उन्हें तात्कालिक परिस्थितियों की वजह से उत्तराधिकार सौंपा गया था। जमशेदपुर में संपन्न पार्टी के महाधिवेशन में जब उन्हें कमान सौंपी गई तो वे अपने छोटे भाई बसंत सोरेन के साथ थे। बसंत सोरेन दुमका के विधायक हैं और झामुमो की युवा शाखा का नेतृत्व उनके पास है।

पिता के कद को हेमंत सोरेन ने आगे बढ़ाया

आरंभ में हेमंत सोरेन की सांगठनिक क्षमता को लेकर दल के भीतर ही संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा था, लेकिन उन्होंने खुद को सिद्ध किया। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दिखाया। पिता की राजनीतिक विरासत को सफलतापूर्वक आगे करने की वजह से उनका कद काफी बढ़ा।

राज्य में जब ईडी की कार्रवाई उनके विरुद्ध आरंभ हुई तो एक आदिवासी सीएम को परेशान करने का आरोप झामुमो ने लगाया। उनके गिरफ्तारी की आशंका पार्टी को पूर्व में ही थी और यही वजह है कि लगातार राजधानी समेत अन्य शहरों में हाल के दिनों में झामुमो के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

हेमंत की अनुपस्थिति में उनके प्रति सहानुभूति के सहारे झामुमो कितना आगे बढ़ पाएगी, यह भविष्य के गर्त में है। फिलहाल पार्टी को इस झटके से उबरने में समय लग सकता है। लोकसभा चुनाव सिर पर है, ऐसे में हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में निर्णय का दारोमदार विश्वस्तों पर होगा। सबको एकजुट रखना भी बड़ा टास्क होगा। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन काफी वृद्ध हो चले हैं।

नई सरकार के गठन को लेकर राज्यपाल पर दबाव

हम लोगों को राजभवन बुलाया गया था। राजभवन पहुंचे तो कहा गया कि पांच ही लोगों को मिलना है। हम तो सभी विधायकों को लेकर आए थे- राजेश ठाकुर।

संघर्ष हमारा नारा है: बन्‍ना

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता राजभवन के दरवाजे पर नारा लगाते सुने गए कि जोर जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है। उन्होंने कहा कि चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाए जाने तक कांग्रेस के नेता राजभवन के सामने टिके रहेंगे। उन्होंने कहा कि नई सरकार जल्द ही सबके सामने होगी।

47 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा

आलम मंत्री आलमगीर आलम ने राजभवन से निकलने के बाद कहा कि झारखंड के राज्यपाल को 47 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा गया है। नई सरकार के गठन का दावा पेश किया गया। चम्पाई सोरेन हमारे मुख्यमंत्री होंगे। राज्यपाल से जल्द शपथ ग्रहण का समय मांगा।

बसंत पर होगा दारोमदार

हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन पर झामुमो का दारोमदार होगा। वे इसके लिए आगे आ सकते हैं। बसंत सोरेन का राजनीतिक प्रशिक्षण हेमंत सोरेन की देखरेख में हुआ है। दुमका में उनकी जीत सुनिश्चित कराने के लिए मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने पूरा जोर लगाया था। विपरीत परिस्थिति में संगठन के साथ-साथ परिवार को भी जोड़े रखने की जिम्मेदारी उनके कंधे पर होगी।

सीता के रुख पर नजर

हेमंत सोरेन की भाभी और जामा की झामुमो विधायक सीता सोरेन ने कल्पना सोरेन का नाम आगे करने पर तेवर दिखाए थे। अब परिस्थिति इतर है। कल्पना की जगह चम्पाई का नाम आगे किया गया है। ऐसे में अब उनके रुख पर निगाह होगी। सीता सोरेन की दो पुत्रियों ने कुछ वर्ष पहले अपने पिता के नाम पर दुर्गा सोरेन सेना गठित की थी। सीता सोरेन के रुख पर सबकी नजर रहेगी।

दूसरी कतार के नेताओं पर जवाबदेही

झामुमो में दूसरी कतार के नेताओं के कंधे पर भी जवाबदेही होगी। शिबू सोरेन के साथ काम कर चुके चम्पाई सोरेन पर पार्टी दांव लगा चुकी है। अभी दिवंगत जगरनाथ महतो की कमी खलेगी।

इस बीच हेमंत सरकार में मंत्री रहे मिथिलेश ठाकुर, जोबा मांझी, राजमहल के सांसद विजय हांसदा, राज्यसभा सदस्य महुआ माजी, गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू समेत रणनीतिकारों की टीम है।

संगठन का कामकाज देखने वाले विनोद पांडेय और सुप्रियो भट्टाचार्य भी विश्वस्तों में हैं, जिनपर हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में संगठन की ज्यादा जवाबदेही होगी।

यह भी पढ़ें: आखिर क्‍यों 'टाइगर' के नाम से मशहूर हैं चंपई सोरेन, मजदूरों के हक में की थी आवाज बुलंद; इस तरह से राजनीति में हुई थी एंट्री

यह भी पढ़ें: झारखंड सरकार में है घोटालों की लंबी लिस्‍ट, जमीन घोटाले में ED अब तक कर चुकी 236 करोड़ जब्‍त

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें