चार साल में हेमंत सरकार ने कितनी बदली शिक्षा व्यवस्था? ये तीन योजनाएं हैं शानदार, ब्रिटेन-आयरलैंड तक पढ़ने जा रहे बच्चे
हेमंत सोरेन सरकार के चार वर्ष का कार्यकाल शिक्षा में सुधारों को लेकर जाना जाएगा। हेमंत सरकार बेरोजगारों को सीधे भत्ता नहीं देकर तीन नई योजनाओं की शुरुआत की। सरकार की योजनाओं के माध्यम से होनहार एवं गरीब विद्यार्थियों को ब्रिटेन और आयरलैंड के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान किया जाता है। इनकी पढ़ाई का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है।
राज्य ब्यूरो, रांची। हेमंत सोरेन सरकार के चार वर्ष का कार्यकाल शिक्षा में सुधारों को लेकर जाना जाएगा। खासकर स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने को लेकर कई कदम उठाए गए। पहली बार सीएम स्कूल आफ एक्सीलेंस तथा आदर्श विद्यालयों के माध्यम से सरकारी स्कूलों में भी निजी स्कूलों के समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सुविधाएं बहाल करने पर पहल हुई।
पहले हमेशा झारखंड अधिविद्य परिषद से मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करनेवाले विद्यार्थी अन्य बोर्ड के विद्यार्थियों से पिछड़ जाते थे। इसपर ध्यान देते हुए सरकार ने इन परीक्षाओं का पैटर्न बदला तो इसका परिणाम भी सामने आया।
चार वर्षों के कालखंड के शुरुआती वर्षों के दौरान कोरोना के कारण स्कूलों के बंद होने से सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हुई थी। इसके बाद भी मैट्रिक और इंटर की परीक्षाओं के परिणाम का रिकार्ड टूटा।
उच्च शिक्षा में सुधार को लेकर कुछ प्रयास तो हुए लेकिन विभिन्न इंडिकेटर में झारखंड इस मामले में पिछड़ा ही रहा। चाहे उच्च शिक्षा में ग्रास इनरालमेंट रेशियो की बात करें या फिर कालेजों की उपलब्धता की, झारखंड सभी राज्यों में लगभग निचले पायदान पर अभी भी बना हुआ है।
चिंता की बात यह भी है कि झारखंड एक भी सरकारी कालेज और विश्वविद्यालय एनआइआरएफ रैंकिंग में स्थान नहीं बना पाते हैं। यह सिलसिला इस वर्ष भी जारी रहा। मेडिकल कालेज, डेंटल कालेज, एग्रीकल्चर एंड एलायड सेक्टर तथा इनोवेशन श्रेणी में झारखंड का कोई भी संस्थान रैंकिंग में नहीं आ सका।
स्कूलों को आदर्श विद्यालय में विकसित करने की तैयारी
हेमंत सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में 4,416 स्कूलों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करना सबसे महत्वपूर्ण है। इनमें से पहले चरण में 80 स्कूलों को सीएम स्कूल आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित कर उन्हें सीबीएसई से संबद्धता दिलाई गई है।
साथ ही इनमें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू कराई गई है। इन स्कूलों में बेहतर आधारभूत संरचना के साथ-साथ मूलभूत सुविधाएं, साइंस लैब, पुस्तकालय, डिजिटल क्लास रूम, कंप्यूटर की सुविधा, खेल आदि सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
चार वर्ष बाद जैक बोर्ड का पूरी तरह हुआ गठन
झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) का चार वर्ष से अधिक समय बाद पूरी तरह बोर्ड का गठन हुआ। बोर्ड के लिए विभिन्न श्रेणी में 11 सदस्यों की नियुक्ति गई। 20 जनवरी 2019 से ही जैक के 11 सदस्यों के पद रिक्त थे। सदस्यों की नियुक्ति के लिए दो-दो बार विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगाने के बाद भी नियुक्ति नहीं हो सकी थी।
सबसे पहले जून 2020 में छह श्रेणी में कुल 11 सदस्यों के चयन के लिए विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगाए थे, लेकिन दो वर्ष से अधिक समय में भी सदस्यों का चयन नहीं हो पाया। इसके बाद विभाग ने जून 2020 में जारी विज्ञापन को रद कर नवंबर 2022 में नए सिरे से विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे।
ग्रामीण युवाओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकतीं है तीन योजनाएं
हेमंत सरकार बेरोजगारों को सीधे भत्ता नहीं देकर, तीन नई योजनाओं की शुरुआत की। बेरोजगारों खासकर ग्रामीण युवाओं के लिए ये योजनाएं महत्वपूर्ण हो सकती हैं। इनमें 'बिरसा' योजना एक है, जिसके तहत तीन वर्षों में प्रत्येक प्रखंड में एक-एक 'बिरसा' कौशल विकास केंद्र खोले जाने हैं। इस वर्ष पहले चरण में 80 केंद्र खुले हैं।
इन केंद्रों पर सामान्य श्रेणी के 18-35 वर्ष के युवाओं तथा आरक्षित श्रेणी के अधिकतम 50 वर्ष आयु के पुरुष एवं महिलाओं को गैर आवासीय कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसी तरह रोजगार प्रोत्साहन योजना के माध्यम से झारखंड कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित कार्यक्रमों के तहत कौशल प्रशिक्षण के बाद सफल युवक एवं युवतियों को तीन माह के अंदर नियोजन नहीं होने पर रोजगार प्रोत्साहन भत्ता दिया जाएगा।
इसके तहत युवकों को प्रतिमाह एक हजार रुपये तथा युवतियों, दिव्यांगों एवं थर्ड जेंडर को 1500 रुपये अधिकतम एक वर्ष तक डीबीटी के माध्यम से दिए जाएंगे। वहीं, गैर आवासीय प्रशिक्षण के प्रशिक्षणार्थियों को उनके घर से प्रशिक्षण केंद्र तक आने-जाने के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये दिए जाएंगे। यह राशि भी डीबीटी के माध्यम से प्रशिक्षुओं के बैंक खाते में जाएगी।
ब्रिटेन और आयरलैंड में मिला उच्च शिक्षा का अवसर
मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति तथा चेवनिंग मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा छात्रवृत्ति योजना भी राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इन योजनाओं के माध्यम से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा ओबीसी श्रेणी के होनहार एवं गरीब विद्यार्थियों को ब्रिटेन और आयरलैंड के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान किया जाता है। इनकी पढ़ाई का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है।
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