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कोल्हान में JMM के प्रदर्शन पर कितना असर डाल पाएंगे चंपई सोरेन? विस चुनाव में पार्टी को झटका लगने के आसार

चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में काफी लंबा राजनीतिक सफर रहा है। उनके झामुमो से अलग होने के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इस झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में झामुमो को झटका मिल सकता है। क्योंकि चंपई सोरेन को कोल्हान टाइगर भी कहा जाता है और कोल्हान प्रमंडल में 14 विधानसभा सीटें आती हैं।

By Pradeep singh Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 19 Aug 2024 09:33 AM (IST)
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कोल्हान टाइगर के नाम से जाने वाले चंपई सोरेन झामुमो के प्रदर्शन को दे सकते हैं झटका (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, रांची। चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का लंबा राजनीतिक सफर समाप्ति की ओर है। 14 विधानसभा सीटों वाले कोल्हान प्रमंडल में अलग राज्य आंदोलन से लेकर झामुमो की भीतर तक पैठ बनाने में कोल्हान टाइगर के नाम से लोकप्रिय इस राजनीतिक शख्सियत का बड़ा योगदान रहा है।

बड़े औद्योगिक घरानों को भी उन्होंने मजदूर आंदोलन के दौरान सम्मानजनक समझौते को विवश किया है तो इसकी वजह यही है कि जनमानस पर उनका प्रभाव है, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में झामुमो को झटका पहुंचा सकता है।

कोल्हान भी है झामुमो का गढ़

यह इस दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है कि संताल प्रमंडल की तरह कोल्हान भी झामुमो का अभेद्य गढ़ है। यह चंपई सोरेन के प्रभाव का ही परिणाम है कि विपरीत परिस्थितियों में उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया।

यही मौका उनके दल से बाहर जाने का भी सबब बना है, क्योंकि पद से हटाए जाने के बाद से ही राजनीतिक गलियारे में यह बात छनकर सामने आ रही थी कि वे नाराज हैं और अलग रास्ता तय कर सकते हैं। हालांकि हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद ऐसा लग रहा था कि वे साथ बने रह सकते हैं।

भाजपा में शामिल होने पर चंपई सोरेन कितना डालेंगे असर 

देखना यह होगा कि भाजपा में शामिल होने के बाद वे कितना असर डाल पाते हैं? चंपई सोरेन की अनुपस्थिति में झामुमो को कोल्हान प्रमंडल में अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती होगी, क्योंकि पिछली बार इस प्रमंडल में भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाया था।

ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी सीटों पर भी भाजपा बुरी तरह परास्त हुई। जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि भाजपा के रणनीतिकारों ने कोल्हान क्षेत्र पर मजबूती की तरफ ध्यान केंद्रित किया। चंपई के रुख को देखते हुए इसमें सफलता भी मिल रही है।

बंगाल के एक बड़े नेता की मध्यस्थता

बंगाल भाजपा के बड़े नेता की मध्यस्थता को इस राजनीतिक घटनाक्रम में महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। यही कारण है कि दिल्ली रवाना होने के पहले चंपई सोरेन शनिवार को सड़क मार्ग से कोलकाता पहुंचे।

कोलकाता के एक बड़े होटल में चंपई सोरेन की शनिवार की रात भाजपा के कई कद्दावर नेताओं से भी मुलाकात हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली की राह पकड़ी।

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