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अलर्ट! बीते दस सालों में झारखंड में सामान्य से 15 से 30 प्रतिशत कम हुई बारिश, क्‍या कुदरत दे रही खतरे का संकेत

झारखंड में पिछले दस वर्षों में सामान्य से 15 से 30 प्रतिशत कम वर्षा है। 1 अगस्त को दक्षिणी हिस्से यानी पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम सिमडेगा और सरायकेला खरसावां के अलावे पश्चिमी हिस्से यानी गढ़वा पलामू चतरा और कोडरमा में जबकि निकटवर्ती मध्य भाग रांची रामगढ़ हजारीबाग बोकारो व खूंटी में कहीं कहीं वर्षा होने की संभावना है। बारिश का इस तरह से कम होना खतरे का संकेत है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 31 Aug 2023 09:54 AM (IST)
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झारखंड में इस साल वर्षपात काफी कम रहा।
जासं, रांची। इस वर्ष भी राज्य में मानसून ने दगा दे दिया है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के पूर्वानुमान के अनुसार, 1 जून से 30 अगस्त तक सामान्य रुप से 792.5 मिमी वर्षा होनी थी, लेकिन अब तक सिर्फ 503.3 मिमी ही वर्षा रिकार्ड की गई है, जो कि सामान्य से काफी कम है।

बारिश कम होना खतरे का संकेत

विभागीय रिकार्ड के अनुसार, पूरे राज्य में 36 प्रतिशत कम वर्षा रिकार्ड की गई है। वहीं राजधानी रांची की बात करें, तो 30 अगस्त तक 810 मिमी वर्षा होने की संभावना थी लेकिन 487.2 मिमी वर्षा ही अब तक रिकार्ड की गई है, जो कि सामान्य वर्षापात से 40 प्रतिशत कम है। राज्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान सामान्य वर्षापात का जो रिकार्ड है वह सामान्य से 15 से 30 प्रतिशत कम रहा है। जो कि किसानी और आमजनों के लिए खतरनाक संकेत है।

मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार, वर्ष 2013 में 1091.9 मिमी, वर्ष 2014 में 930.3 मिमी, 2015 में 951.9, 2016 में 1101.6 और 2017 में 988.1 मिमी, वर्ष 2018 में 785 मिमी, वर्ष 2019 में 858.9, 2020 में 902.4, 2021 में 1041.5, वर्ष 2022 में 817.6 मिमी, जबकि वर्ष 2023 में अब तक 503.3 मिमी ही वर्षा रिकार्ड की गई है। जो कि सामान्य से काफी कम है।

झारखंड में 80 प्रतिशत से अधिक खेती मानसून पर ही निर्भर है। यदि मानसून के दौरान अच्छी वर्षा न हो, तो कई इलाके में पेयजल संकट की भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। मौसम विभाग की ओर से झारखंड में 2023 में सामान्य से कम वर्षा की संभावना जताई गई है, लेकिन अब तक सामान्य से 36 प्रतिशत कम वर्षा रिकार्ड की गई है।

राज्य में पिछले 10 वर्षों में एकाध साल को छोड़ दें, तो किसी भी वर्ष सामान्य रुप से वर्षा नहीं हुई है। वर्षापात में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। मौसम विज्ञान केंद्र से जारी रिपोर्ट की माने, तो वर्ष 2013 के बाद से लगातार वर्षापात में कमी दर्ज की जा रही है जो कि किसानी के लिए खतरनाक संकेत है। 

वैश्विक वातावरण का पड़ रहा असर

पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि पूरे देश में मानसून के प्रवेश करने से लेकर समाप्त होने तक परिवर्तन देखा जा रहा है। दरअसल, यह वैश्विक समस्या बनती जा रही है अति व अल्प वृष्टि ने समस्या बढ़ा दी है। झारखंड की बात करें, तो सिमटती हरियाली व काॅन्‍क्रीट जंगल के बढ़ते प्रभाव ने पर्यावरण को बिगाड़ दिया है।

पेड़-पौधों की कटाई से क्लाउड बैंड का बनना कम हो गया है, जिस कारण शहरी क्षेत्र हीट आइलैंड में कंवर्ट होता जा रहा है। वहीं जिन क्षेत्रों में हरियाली है वहां आज भी थोड़ी-बहुत वर्षा हो जाती है। यह हरियाली बादलों को आकर्षित करती है और हम इन हरियाली को ही समेटने की तैयारी में लगे हैं।

पूरे राज्य में तालाब व नदियों का सिकुड़ना भी वाष्पीकरण को कम कर रहा है। जिसके भयावह परिणाम आने बाकी हैं। जलस्त्रोतों को बर्बाद करने का ही परिणाम है कि जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। अब भी नहीं चेते तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे।

मध्य भागों में कहीं-कहीं मेघ गर्जन व वज्रपात को लेकर येलो अलर्ट

पिछले 24 घंटे के मौसम की बात करें, तो राज्य में मानसून की गतिविधि काफी कमजोर रही है। सबसे अधिक वर्षा 22.5 मिमी गढ़वा के भवनाथपुर में रिकार्ड की गई। जबकि सबसे अधिक अधिकतम तापमान 36.9 डिग्री गोड्डा का और सबसे कम न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रांची का रिकार्ड किया गया है।

पूरे राज्य के मौसम की बात करें, तो 31 अगस्त को दक्षिणी हिस्से यानी पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा और सरायकेला खरसावां के अलावे पश्चिमी हिस्से यानी गढ़वा, पलामू, चतरा और कोडरमा में जबकि निकटवर्ती मध्य भाग रांची, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो व खूंटी में कहीं कहीं वर्षा होने की संभावना है।

वहीं 1 सितंबर को भी राज्य के दक्षिणी हिस्से और पश्चिमी हिस्सों में कहीं कहीं हल्की वर्षा होने की संभावना है। 2 और 3 सितंबर को राज्य के पूर्वी यानी देवघर, दुमका, जामताड़ा, गिरिडीह, गोड्डा, पाकुड़ व साहेबगंज में और मध्य भागों में कहीं कहीं मेघ गर्जन व वज्रपात को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है।

ऐसा रहेगा राजधानी का मौसम

  • 31 अगस्त: सामान्यत: बादल छाए रहेंगे, हल्की वर्षा होने की संभावना, अधिकतम 32 डिग्री व न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना
  • 1 सितंबर: आंशिक बादल छाए रहेंगे, अधिकतम 32 डिग्री व न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस
  • 2 सितंबर: सामान्यत: बादल छाए रहेंगे, हल्की वर्षा होने की संभावना, अधिकतम 31 डिग्री व न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस
  • 3 सितंबर: सामान्यत: बादल छाए रहेंगे, हल्की वर्षा होने की संभावना, अधिकतम 31 डिग्री व न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना।

इस तरह मानसून करता है प्रवेश

मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद की माने, तो गर्मी के मौसम में जब हिंद महासागर में सूर्य की किरणें विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होती है तो मानसून के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है।

इस प्रक्रिया में समुद्र की सतह गर्म होने लगती है। उसका तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है। इस दौरान धरती का तापमान 45 से 46 डिग्री तक पहुंच जाता है।

ऐसी स्थिति में हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानूसनी हवाएं सक्रिय हो जाती हैं। ये हवाएं एक-दूसरे को आपस में काटते हुए विषुवत रेखा पार कर आगे बढ़ने लगती है।

इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। विषुवत रेखा पार कर ये हवाएं और बादल वर्षा करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर की ओर रुख करते हैं। जिस कारण झारखंड व आसपास के राज्यों में वर्षा होती है।

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