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वह दौर जब जनता ने लिया था आपातकाल के जुल्‍मों का हिसाब... फिर हुआ कड़िया, रीतलाल और एके राय जैसे नेताओं का उदय

Lok Sabha Election 2024 देश में लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं। हम आपको अतीत के पन्‍ने से छठे लोकसभा के उस किस्‍से को बताने जा रहे हैं जब झारखंड की जनता ने आपातकाल के सभी जुल्‍मों का हिसाब लिया था। उस दौरान राज्‍य में 14 की 14 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।

By Mritunjay Pathak Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 19 Apr 2024 01:18 PM (IST)
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आपातकाल के बाद कड़िया, रीतलाल एके राय जैसे नेताओं का हुआ उदय
मृत्युंजय पाठक, रांची। भारत में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले जेपी आंदोलन (सम्पूर्ण क्रांति) के बाद वर्ष 1977 में छठे लोकसभा चुनाव हुए। इंदिरा गांधी के शासन का विरोध करने वाली सात पार्टियों के विलय से भारतीय लोक दल (बीएलडी) का गठन हुआ था।

जनता ने लिया आपातकाल के सभी जुल्‍मों का हिसाब

चुनाव में पूरे देश की तरह झारखंड क्षेत्र की जनता ने भी आपातकाल के दौरान हुए सभी जुल्मों का हिसाब लिया। झारखंड क्षेत्र की 14 की 14 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 12 सीटों पर बीएलडी के प्रत्याशी जीते थे। सिंहभूम से झारखंड पार्टी के बागुन सुम्ब्रई और धनबाद से निर्दलीय एके राय ने बाजी मारी थी।

खास बात यह रही कि रांची लोकसभा क्षेत्र की जनता ने केरल के मावेलिककारा शाही परिवार से जुड़े रवींद्र वर्मा को चुनकर लोकसभा भेजा। वह मोरारजी देसाई के नजदीकी और भारतीय लोक दल के प्रत्याशी थे। चुनाव के बाद केंद्र में बनी मोरारजी देसाई सरकार में रांची के सांसद रवींद्र वर्मा श्रम और संसदीय मंत्री बनाए गए।

लोस चुनाव-1977 का परिणाम

पहली बार केंद्र में मंत्री बने कड़िया मुंडा

1977 के लोकसभा चुनाव में झारखंड क्षेत्र में कांग्रेस विरोध की राजनीति के नए नेताओं का उदय हुआ। कड़िया मुंडा, जगदंबी प्रसाद यादव, रीतलाल प्रसाद वर्मा और एके राय जैसे नेताओं ने पहचान बनाई।

रांची के रवींद्र वर्मा के साथ ही प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने अपने मंत्रिमंडल में खूंटी के सांसद कड़िया मुंडा को शामिल किया।

मुंडा इस्पात राज्य मंत्री बनाए गए थे। कड़िया मुंडा ने खूंटी, रीतलाल प्रसाद वर्मा ने कोडरमा और जगदंबी प्रसाद यादव ने गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से कई बार जीत दर्ज की। तीनों झारखंड क्षेत्र में भाजपा के बड़े चेहरा बनकर उभरे।

झारखंड क्षेत्र में बढ़ी लोस सीटों की संख्या

अविभाजित बिहार के जमाने में 1971 में हुए पांचवें लोकसभा चुनाव के समय झारखंड क्षेत्र लोकसभा की 13 सीटें थीं। 1977 के चुनाव से पहले सीटों पर परिसीमन हुआ। 1977 में नए लोकसभा क्षेत्र के रूप में कोडरमा का सृजन हुआ। इसके बाद लोकसभा क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 14 हो गई।

कोडरमा में हुए पहले लोकसभा चुनाव में बीएलडी प्रत्याशी रीतलाल प्रसाद वर्मा निर्वाचित हुए। 15 नवंबर, 2000 को अलग राज्य बनने के बाद भी झारखंड में लोकसभा की सीटों में वृद्धि नहीं हुई। आज भी राज्य में लोकसभा की 14 ही सीटें हैं।

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