Inflation in India: ईट, गिट्टी, छड़, सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी से कारोबार ठप, कितनी फीसदी बढ़ी कीमतें?
Inflation in India ईट गिट्टी छड़ सीमेंट की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। जिसके कारण कई जगह पर कारोबार ठप पड़ गया है। वहीं रियल एस्टेट से जुड़े डेवलपर्स ने आशंका जताई है कि अगर कच्चे माल की कीमतें इसी तरह बढ़ती रही तो उनका कारोबार ठप हो जाएगा।
रांची, जासं। Inflation in India रियल एस्टेट से जुड़े करीब 40 फीसदी डेवलपर्स ने आशंका जताई है कि अगर कच्चे माल की कीमतें और निर्माण की लागत इसी तरह बढ़ती रही तो वह अपनी परियोजनाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे। उनका कारोबार ठप हो जाएगा। इम्पैक्ट एसेसमेंट सर्वे की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है। क्रेडाई ने देश भर के करीब 1,850 डेवलपर्स से मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर गहराते संकट के नकारात्मक प्रभावों को प्रमुखता से उभारा है। इस सर्वेक्षण में 78 फीसदी डेवलपर्स ने निर्माण की लागत में 20 फीसदी की भारी बढ़ोतरी का भी संकेत दिया। साथ ही मकान की कीमतें 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ने की भी बात कही गई है।
पिछले दो वर्षों से जो स्थिति है उससे छड़, गिट्टी, ईट, सीमेंट जैसे कच्चे माल की कीमतें 115 फीसदी तक बढ़ गई है। इससे रियल एस्टेट से जुड़े बिल्डर और डेवलपर्स के लिए इस मुसीबत से निपटना मुश्किल हो गया है।
सीमेंट की लागत 100 रुपये प्रति बैग से ज्यादा बढ़ी
सर्वे में डेवलपर्स ने बताया कि सीमेंट की लागत 100 रुपये प्रति बैग से ज्यादा बढ़ गई है। स्टील की कीमतों में 2.3 गुना इजाफा हुआ है। पिछले साल 39 हजार प्रति मीट्रिक टन की दर से मिलने वाला स्टील आज की तारीख में 90 हजार प्रति मीट्रिक टन की कीमत पर मिल रहा है। इन नकारात्मक प्रभाव के बाद भी उद्योग कच्चे माल की कीमतों में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी के बावजूद लचीला बना हुआ है।
कच्चे माल की खरीद बंद
इस सर्वे में 46 फीसदी डेवलपर्स ने यह भी कहा कि इससे उनकी मौजूदा परियोजनाओं को समय पर पूरा करने और उपभोक्ताओं को उनके घरों की डिलिवरी देने पर असर पड़ सकता है। मजबूर होकर अधिकांश 66 फीसदी डेवलपर्स ने अस्थायी रूप से कच्चे माल की खरीद बंद कर दी है।
कच्चे माल की कीमतों में सुधार नहीं हुआ, तो बंद हो सकता है निर्माण कार्य
सर्वे में 76 फीसदी डेवलपर्स का मानना है कि अगर कच्चे माल की कीमतों में सुधार नहीं हुआ और उन्हें मौजूदा स्थिति से तुरंत निजात नहीं मिली, तो वह केवल 6 महीने तक ही अपनी परियोजनाओं पर काम जारी रख पाएंगे। इसका प्रभाव दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में ज्यादा है, क्योंकि कच्चे माल और प्रति फुट जगह की बिक्री में इतना असर पहले कभी देखने को नहीं मिला था।
सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने में रियल एस्टेट क्षेत्र में दूसरे नंबर पर
डेवलपर्स का मानना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। ऐसे में काम की रफ्तार कम होने या काम बंद होने से श्रमिक वर्ग पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े 250 से ज्यादा उद्योगों के कामकाज पर भी इसका प्रभाव दिखाई देगा।