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आप भी सुनिए तिब्बतियों की दर्द भरी दास्तां: तिब्बती लड़कियों से जबरन शादी कर चीनीयों ने हमारी जनसंख्या कम कर दी.....

International Human Rights Day 2021 अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस(International Human Rights Day) के अवसर पर शुक्रवार को रांची सर्कुलर रोड(Ranchi Circular Road) स्थित तिब्बती(Tibetan) पोताला मार्केट परिसर में विश्व शांति(World Peace) के लिए पूजा अर्चना शांति पाठ एवं दीप प्रज्जवलित किया गया। भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई हैं।

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Fri, 10 Dec 2021 03:03 PM (IST)
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आप भी सुनिए तिब्बतियों की दर्द भरी दास्तां:तिब्बती लड़कियों से जबरन शादी कर चीनीयों ने हमारी जनसंख्या कम कर दी....

रांची (डिजिटल डेस्क)। International Human Rights Day 2021: अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस(International Human Rights Day) के अवसर पर शुक्रवार को रांची सर्कुलर रोड(Ranchi Circular Road) स्थित तिब्बती(Tibetan) पोताला मार्केट परिसर में विश्व शांति(World Peace) के लिए पूजा अर्चना, शांति पाठ एवं दीप प्रज्जवलित किया गया। यह आयोजन परम पावन दलाई लामा(Dalai Lama) की लंबी आयु के लिए किया गया। इस कार्यक्रम में निर्वासित तिब्बतियों(Tibetans) एवं तिब्बत मुक्ति साधना(Tibet Liberation Meditation) के समर्थक समूह के सदस्यों ने भाग लिया।

भारत सरकार से लगाई हैं मदद की गुहार:

कार्यक्रम में चीनीयों द्वारा किए जा रहें नरसंगहार के लिए निर्वासित तिब्बतियों  ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई हैं। समूह के सदस्यों का कहना हैं कि चीनीयों ने तिब्बती लड़कियों से जबरन शादी कराकर तिब्बतियों की जनसंख्या कम कर दी है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन पर दबाव बनाने में भारत सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। यदि आज महात्मा गांधी जीवित होते तो तिब्बतियों के साथ इस लड़ाई में भाग ले रहे होते। आइए हम सब मिलकर तिब्बत की इस लड़ाई को आगे बढ़ायें।

तिब्बत ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे अधिक मानवाधिकार का किया जा रहा है हनन:

तिब्बत दुनिया का ऐसा क्षेत्र है जहां आज सबसे अधिक मानवाधिकार का हनन किया जा रहा है। तिब्बती क्षेत्र में दिन प्रतिदिन चीनीयों की क्रूरता बढ़ती ही जा रही है। तिब्बतियों के निर्वासन के 62 साल हो चुके हैं। इन वर्षों में परम पावन दलाई लामा ने तिब्बत की समस्या को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है और उनके प्रयास से तिब्बत मुक्ति के अहिंसक आंदोलन को दुनिया भर में मान्यता मिली तथा परम पावन दलाई लामा को 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाबजूद तिब्बत में मानवाधिकार हनन चरम पर है।

परमाणु कचरा डंप करने के कारण पर्यावरण को हुआ है भारी नुकसान:

इस क्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई अत्यधिक निर्माण कार्य एवं परमाणु कचरा डंप करने के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है और इस क्षेत्र के ग्लेशियर के पिघलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। नदियों का पानी जहरीला हो गया है, जिससे मनुष्यों के जीवन के साथ साथ वन्य जीवों एवं पेड़ पौधों पर घातक प्रभाव पड़ रहा है। इस क्षेत्र में चीनी कब्जे के बाद लगभग 1.2 मिलियन तिब्बतियों की हत्या कर दी गई है और काफी बड़ी संख्या में चीनीयों को यहां बसाया गया है। इन चीनीयों की शादी तिब्बती लड़कियों से जबरन कराकर तिब्बतियों की जनसंख्या के अनुपात को काफी कम कर दिया गया है।

पंचेन लामा का 6 वर्ष की आयु में 1995 में चीनीयों द्वारा कर लिया गया अपहरण:

तिब्बत स्थित मठों एवं शैक्षणिक संस्थानों को ध्वस्त कर तिब्बती संस्कृति को समाप्त किया जा रहा है। दलाई लामा के बाद सबसे बड़े लामा, पंचेन लामा का 6 वर्ष की आयु में 1995 में चीनीयों द्वारा अपहरण कर लिया गया। 26 वर्ष गुजर जाने के बाद भी पंचेन लामा के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

चीन ने पूरे विश्व में कोरोना वायरस फैलाकर लाखों लोगों को असमय मृत्यु के मुंह में झोंक दिया:

तिब्बत में हो रहे भीषण अत्याचार के विरोध में अब तक दो सौ से अधिक तिब्बती युवाओं ने खुदकुशी की है। लेकिन कठोर पाबंदी के कारण खबरें बाहर नहीं आ पाती है। विगत डेढ़ साल से पूरी दुनिया चीन की करतूतों से तबाही के कगार पर पहुंच गई है। चीन ने पूरे विश्व में कोरोना वायरस फैलाकर लाखों लोगों को असमय मृत्यु के मुंह में झोंक दिया। करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए एवं पूरे विश्वास की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई।

चीन को विश्व राजनीति में किया जाना चाहिए अलग थलग:

चीन की इन करतूतों की निंदा विश्व मंचों पर की जानी चाहिए। चीन को विश्व राजनीति में अलग थलग किया जाना चाहिए। हमारी मांग है कि भारत एवं अन्य देशों को बीजिंग में 2022 में आयोजित होने वाले शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करना चाहिए।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन पर दबाव बनाने में भारत सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण:

हमें पूरा यकीन है कि तिब्बत की समस्या केवल और केवल आपसी बातचीत के जरिए सुलझाई जा सकती है। लिहाजा हमें दुनिया के मंच पर एक आम राय बनाने की जरूरत है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन पर दबाव बनाने में भारत सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है।

आज महात्मा गांधी जीवित होते तो तिब्बतियों के साथ इस लड़ाई में ले रहे होते भाग:

भारत सरकार के कुटनीतिक प्रभाव एवं भारत की जनता की एकजुटता ही निर्वासित तिब्बतियों के लिए संबल है। तिब्बत के प्रश्न पर भारत सरकार एवं यहां की जनता को एक होने की जरूरत है। ऐसा करके हम तिब्बत की समस्या का शांतिपूर्ण हल ढूंढने के लिए चीन पर दबाव डाल सकते हैं। यदि आज महात्मा गांधी जीवित होते तो तिब्बतियों के साथ इस लड़ाई में भाग ले रहे होते। आइए हम सब मिलकर तिब्बत की इस लड़ाई को आगे बढ़ायें।

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