International Migrants Day: फिर भी दिल है हिंदुस्तानी... विदेश में रहकर आती है रांची की याद, लोगों ने हल्का किया अपना मन
International Migrants Day 2023 विदेश में रहने वाले रांची के लोगों ने बताया कि उन्हें रांची की बहुत याद आती है। उनका मन आज भी अपने पैतृक गांव-शहर से जुड़ा है। एक शख्स ने बताया कि हम सभी लोग गत दिनों छठ पूजा के मौके पर एकत्रित हुए और सूर्यदेव को अर्घ्य देकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की थी।
By kumar GauravEdited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 18 Dec 2023 02:02 PM (IST)
जागरण संवाददाता, रांची। आज अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस है। झारखंड के हर शहर के कई ऐसे लोग हैं, जो विदेश में रहते हैं। वहां कोई न कोई काम धंधा करते हैं। लेकिन उनका मन आज भी अपने पैतृक गांव-शहर से जुड़ा है। वे अपनी सभ्यता संस्कृति को बचाकर रखने में न सिर्फ अपना योगदान दे रहे हैं बल्कि संगठन बनाकर इसका प्रसार करने में भी जुटे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस
बता दें कि 18 दिसंबर 1990 को प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के सदस्यों के अधिकारों के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पर एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें लाखों प्रवासियों द्वारा उनके मेजबान और घरेलू देशों की अर्थव्यवस्था में किए गए योगदान को मान्यता दी गई।
यह दिवस पहली बार 1990 में मनाया गया था। इसके अलावे 1997 में फिलिपिनो और अन्य एशियाई प्रवासी संगठनों ने 18 दिसंबर को प्रवासियों के साथ एकजुटता के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाना और बढ़ावा देना शुरू किया।
केस 1 : रांची के माउंट मोटर गली निवासी रूपेश कुमार और शुभ सिन्हा अपने दो बेटे ऋषि राज और श्री राज के साथ 2007 से न्यूजीलैंड के आकलैंड शहर में रह रही हैं। श्रीराज का जन्म 2010 में आकलैंड में ही हुआ रूपेश कुमार ने 2007 में न्यूजीलैंड के आकलैंड शहर में होटल में मास्टर शेफ की नौकरी से शुरुआत की थी लेकिन आज अपने मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ दो रेस्तरां का संचालन कर रहे हैं। संगम और जुनून नाम के दो रेस्तरां हैं, जिसमें भारतीय कम्युनिटी के अलावे न्यूजीलैंड के स्थानीय लोगों भी रोजगार दे रहे हैं। उनकी पत्नी शुभू सिन्हा किड्स स्कूल का संचालन करती हैं। रूपेश कुमार आकलैंड शहर में एक सम्मानित व्यवसायी के रूप जाने जाते हैं।
केस 2 : बिरसा एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी से सेवानिवृत्त पदाधिकारी अजय कुमार इन दिनों लंदन के नार्थम्प्टनशायर शहर में अपने बच्चों के साथ प्रवास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेश में रहने के बाद भी उनके स्वजन अपनी सभ्यता व संस्कृति से जुड़े हैं। सभी लोग गत दिनों छठ पूजा के मौके पर एकत्रित हुए और सूर्यदेव को अर्घ्य देकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। इसमें बिहार व झारखंड के लोगों ने भाग लिया। यहां बसे बिहार और झारखंड राज्य के लोगों ने बिहारी कनेक्ट यूके संगठन बनाकर अपनी सभ्यता संस्कृति के प्रसार में लगे हैं।
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