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Alamgir Alam के गले की फांस बनी रिश्वतखोर इंजीनियर के खिलाफ जांच, एसीबी जमशेदपुर में दर्ज हुई थी FIR, ये है पूरा मामला

महज 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार पथ निर्माण विभाग जमशेदपुर के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा की गिरफ्तारी का मामला अब आलमगीर आलम की गिरफ्तारी तक पहुंच गया है। साल 2019 में एसीबी जमशेदपुर में दर्ज कांड में कोर्ट में 11 जनवरी 2020 को पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा व वीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी थी।

By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Thu, 16 May 2024 12:11 AM (IST)
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Alamgir Alam के गले की फांस बनी रिश्वतखोर इंजीनियर के खिलाफ जांच। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। महज 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार पथ निर्माण विभाग जमशेदपुर के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा की गिरफ्तारी का मामला अब मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी तक पहुंच गया है।

एसीबी जमशेदपुर में 13 नवंबर 2019 को दर्ज कांड में एसीबी जमशेदपुर ने कोर्ट में 11 जनवरी 2020 को पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा व वीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी थी।

इसके आधार पर ही ईडी ने 17 सितंबर 2020 को ईसीआइआर किया था। इसके बाद ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले का बड़ा मामला पकड़ा था और 23 फरवरी 2023 को ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था।

ईडी की छानबीन में मिले तथ्यों व सूचनाओं के आधार पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने तीन मार्च 2023 को कांड संख्या 22/2023 दर्ज की थी। यह एएफआइआर वीरेंद्र कुमार राम, मुकेश मित्तल व अन्य अज्ञात पर दर्ज हुई थी। इसमें बंद हो चुके भारतीय नोट की बरामदगी से संबंधित धाराएं भी लगीं थीं। ईडी ने उन सभी कांडों को भी अपने ईसीआइआर में जोड़ दिया था।

छानबीन के बाद ईडी ने 21 अप्रैल 2023 को वीरेंद्र राम, आलोक रंजन, राजकुमारी व गेंदा राम के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद 20 अगस्त 2023 को ईडी ने मुकेश मित्तल, तारा चंद, नीरज मित्तल, रामप्रकाश भाटिया, हरिश यादव व हृदया नंद तिवारी के विरुद्ध पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था।

उस वक्त छानबीन में यह बात सामने आई थी कि वीरेंद्र राम टेंडर के बदले में 1.5 प्रतिशत का कमीशन लेते थे। कमीशन की राशि वरिष्ठ अधिकारियों न नेताओं में बंटती थी।

इस मामले में ईडी ने 21 फरवरी 2023 व 27 फरवरी 2023 को तीस ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें नकद, जेवरात, गाड़ियां व अवैध दस्तावेज मिले थे। सभी वीरेंद्र राम से संबंधित थे जिसे उन्होंने अवैध तरीके से अर्जित की थी। ईडी ने वीरेंद्र राम के पास सवा सौ करोड़ की संपत्ति का पता लगाया था।

मंत्री के नाम पर पीए वसूलता था कमीशन

ईडी ने छानबीन में पाया है कि ग्रामीण विकास विभाग में मंत्री आलमगीर आलम के नाम पर उनके निजी सचिव संजीव लाल ने टेंडर में कमीशन वसूला।

कमीशन की राशि वसूलने के लिए संजीव लाल ने अपने घरेलू नौकर जहांगीर आलम को लगाया था, जो रुपयों को अपनी स्कूटी से झोले में भरकर अपने हरमू रोड स्थित फ्लैट में ले जाता था।

छानबीन में ईडी को यह जानकारी मिली थी कि वीरेंद्र राम व अन्य इंजीनियरों ने भी संजीव लाल को टेंडर कमीशन में करोड़ों रुपये दिए थे। सिंहमोड़ हटिया के एक ठेकेदार राजीव सिंह ने संजीव लाल तक कमीशन के दस करोड़ रुपये पहुंचाए थे।

दस दिनों में कहां से कितने रुपये बरामद

  • मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घरेलू नौकर जहांगीर आलम के फ्लैट से 32.20 करोड़ रुपये।
  • संजीव लाल के करीबी बिल्डर मुन्ना सिंह के घर से 2.93 करोड़ रुपये।
  • सहयोगी ठेकेदार राजीव सिंह के सिंहमोड़ हटिया स्थित आवास से 2.14 करोड़ रुपये।
  • संजीव लाल के एक अन्य ठिकाने से 10 लाख रुपये।
  • संजीव लाल के प्रोजेक्ट भवन स्थित कार्यालय से 1.75 लाख रुपये नए नोट व 28 हजार रुपये के पुराने नोट बरामद।

नौकर के फ्लैट से मिल चुके हैं मंत्री से की गई अनुशंसा के पत्र

मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घरेलू नौकर जहांगीर आलम के फ्लैट से ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर मंत्री से की गई अनुशंसा से संबंधित कागजात व गोपनीय पत्र की भी बरामदगी ईडी ने पिछले दिनों की थी।

जहांगीर के आवास से ईडी ने वह पत्र भी बरामद किया था, जिसे ईडी ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को लिखा था। वह पत्र ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम व अन्य के विरुद्ध छानबीन में मिले तथ्यों से संबंधित था।

ईडी ने छानबीन में मिले तथ्यों से राज्य सरकार को अवगत कराने के लिए मुख्य सचिव को भेजा था, ताकि टेंडर कमीशन घोटाले में संलिप्त अधिकारियों पर सरकार के स्तर से कार्रवाई हो सके।

मुख्य सचिव से वह पत्र ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को भेजा गया था। वह पत्र संजीव लाल के नौकर जहांगीर के फ्लैट से मिलना संदेहास्पद था।

अब ईडी का संदेह पुख्ता हो गया था कि इस खेल में बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर नेताओं तक की मिलीभगत है। इन्हीं बिंदुओं पर छानबीन के क्रम में अब मंत्री की भी गिरफ्तारी हो चुकी है।

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